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‘सरकार कर रही है ‘राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम’ को लागू करने में देरी, लोगों के स्वास्थ्य पर गंभीर ख़तरा’

BeyondHeadlines News Desk

नई दिल्ली : नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 8 अक्टूबर 2018 को केन्द्र के राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) को अधिसूचित करने की प्रस्तावना पर मीडिया में आई एक रिपोर्ट के बाद आत्म-संज्ञान लेते हुए केन्द्र और राज्य सरकारों को मिलकर तय समय-सीमा के भीतर योजना बनाकर पूरे देश में वायु प्रदूषण को राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता मानक के अंदर लाने के लिए कहा है.

इस मामले में ग्रीनपीस इंडिया के सीनियर कैंपेनर सुनील दहिया कहते हैं, “यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि अदालत को योजना बनाने से लेकर उसे लागू करने तक हर क़दम पर हस्तक्षेप करके यह सुनिश्चित करना पड़ रहा है कि लोगों के हितों की रक्षा हो. क्या यह सरकार की ज़िम्मेदारी नहीं है कि वह बिना कोर्ट के हस्तक्षेप के नीतियों को लागू करे?”

सुनील आगे कहते हैं, “हम लोग देख रहे हैं कि सरकार लगातार पर्यावरण से जुड़े क़ानून कमज़ोर करके और प्रदूषण फैलाने वाले कंपनियों के हित में नीतियों में बदलाव कर रही है.”

आम लोगों और मीडिया के काफ़ी दबाव के बाद पर्यावरण मंत्रालय ने अप्रैल में एनसीएपी के ड्राफ्ट को लोगों की प्रतिक्रिया के लिए अपने बेवसाइट पर सार्वजनिक किया था, लेकिन पांच महीने बीत जाने के बावजूद अभी तक कार्यक्रम को लागू नहीं किया जा सका है.

ग़ौरतलब रहे कि वायु प्रदूषण की ख़राब स्थिति पर सवाल उठाने पर राज्य और केन्द्र सरकार एक-दूसरे पर उंगली उठाने लगते हैं. दूसरी तरफ़ पर्यावरण मंत्रालय और ऊर्जा मंत्रालय दोनों ही प्रदूषण फैलाने वाले औद्योगिक ईकाईयों और थर्मल पावर प्लांट के ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं. दोनों ने मिलकर थर्मल पावर प्लांट के लिए जारी उत्सर्जन मानकों को लागू करने की समय सीमा को पांच साल और बढ़ाने की अनुमति दे दी.

एनजीटी ने 8 अक्टूबर 2018 को अपने आदेश में कहा है कि एनसीएपी को अंतिम प्रारुप देने में थोड़ी प्रगति हुई है, लेकिन अभी भी वर्तमान वायु प्रदूषण की स्थिति को देखते हुए इस कार्यक्रम को लागू करने की गति बेहद धीमी है.

एनजीटी के मुताबिक़ सितंबर 2018 तक 102 शहरों में से सिर्फ़ 73 शहरों की कार्ययोजना ही जमा हो सकी है. इसमें से भी 36 शहरों की ही कार्ययोजना तैयार है, 37 शहरों की योजना अभी भी अपूर्ण है और 29 शहरों ने अभी तक अपना कार्ययोजना जमा ही नहीं किया है.

एनजीटी ने अपने आदेश में इस बात को साफ़-साफ़ कहा गया है कि वाहनों की संख्या को, औद्योगिक ईकाईयों के प्रदूषण को नियंत्रित करने और वायु गुणवत्ता को मानकों के भीतर लाने की तत्काल ज़रुरत है.

ग्रीनपीस इंडिया के सुनील कहते हैं, “यह जानना सुखद है कि पर्यावरण मंत्री वायु प्रदूषण की वजह से देश की अंतर्राष्ट्रीय छवि ख़राब होने को लेकर चिंतित हैं, लेकिन यह चिंता तब तक ठोस नहीं मानी जाएगी जब तक कि एनसीएपी को योजनाबद्ध तरीक़े से तत्काल लागू नहीं किया जाए. ”

साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि, यह निराशाजनक है कि पर्यावरण मंत्री आराम से अपनी ज़िम्मेदारी राज्य सरकार पर डाल दे रहे हैं और राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम को लागू करने में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं. उनके दावों के हिसाब से एनसीएपी को बहुत पहले लागू हो जाना चाहिए था. क्योंकि इसकी समय सीमा 5 जून और 15 अगस्त 2018 ही तय था.

अदालत के इस आदेश के ग्रीनपीस इंडिया को उम्मीद है कि एनजीटी के हस्तक्षेप के बाद जल्द ही केन्द्र सरकार इस कार्यक्रम को लागू करने की दिशा में पहल करेगी और देशभर में वायु प्रदूषण की वजह से लोगों के स्वास्थ्य पर उतपन्न ख़तरा कम होगा.

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