By Abhishek Upadhyay
पता नहीं कि माँ गंगा ने बनारस में किसे बुलाया था! पता नहीं कि किसने माँ गंगा का बेटा होने का दावा किया था! पर इतना ज़रूर मालूम है कि माँ गंगा का असली बेटा आज मर गया. 87 साल के प्रोफ़ेसर जी.डी. अग्रवाल ने आज दम तोड़ दिया.
आईआईटी कानपुर में एंवायरमेंटल इंजीनियरिंग का प्रोफ़ेसर रह चुका ये सन्यासी पिछले 111 दिनों से लगातार अनशन पर था. 87 साल की उम्र में दाना पानी छोड़कर ये तपस्वी केंद्र सरकार से बस एक मांग कर रहा था कि गंगा के वास्ते एक क़ानून बना दो. पार्लियामेंट में एक एक्ट ला दो. इस एक्ट में गंगा किनारे के सारे अवैध ख़नन ख़त्म करने का प्रावधान हो.
इस एक्ट के तहत गंगा की सहायक नदियों पर हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट बंद कर दिए जाएं. गंगा साफ़ हो. निर्मल हो. अविरल हो. गंगा की ख़ातिर प्रोफ़ेसर अग्रवाल की जान चली गई. सरकार ने एक्ट लाने का भरोसा तो दिया पर गंगा की अविरल धारा के दुश्मन बनकर खड़े हाइड्रो इलेक्ट्रिक यानी जल-विद्युत प्रोजेक्ट्स पर चुप्पी साध ली.
प्रोफ़ेसर अग्रवाल आईआईटी कानपुर से रिटायर हुए. गंगा की साधना में कब सन्यास लिया और कब स्वामी ज्ञान स्वरूप सानन्द बन गए, शायद वक़्त को भी न पता चला. इससे पहले साल 2012 में भी गंगा की ख़ातिर अनशन किया था. तब की सरकार को पूरे ढ़ाई महीने यानी क़रीब 75 दिन लगे थे पसीजने में और फिर नेशनल गंगा रिवर बेसिन ऑथोरिटी की मीटिंग बुलाई गई थी. पर अबकी सरकार तो और भी पत्थर निकली. माँ गंगा की गोद मे गंगा पुत्र मर गया पर सरकार बस निगोसिएशन करती रह गई.
अपनी मौत के दो दिन पहले यानी बीते सोमवार को प्रोफ़ेसर अग्रवाल ने मीडिया से बात की थी. कहा था कि अगर सरकार नहीं मानेगी तो उनका अनशन उनकी मौत के साथ ही पूरा होगा.
सरकार ने प्रोफ़ेसर अग्रवाल की और तो कोई इच्छा पूरी नहीं की, पर जाने अनजाने ये इच्छा ज़रूर पूरी कर दी. वाक़ई उनकी मौत के साथ ही उनका अनशन ख़त्म कर दिया. गंगा के असली पुत्र प्रोफ़ेसर अग्रवाल को हृदय से श्रद्धांजलि…