BeyondHeadlines News Desk
उत्तर प्रदेश : अलीगढ़ के गोंडा में किसानों ने 700-800 गाय को ले जाकर सरकारी स्कूल में बांध आने के बाद बवाल खड़ा हो गया है.
गौरतलब है कि किसानों की फ़सल को इन आवारा पशुओं से नुक़सान पहुंच रहा है, जिससे तंग आकर किसानों ने आवारा पशुओं को सरकारी स्कूल व अस्पताल में बांध आए.
किसानों का कहना है कि ज़िला मजिस्ट्रेट गौशाला बनाने की ज़िम्मेदारी नहीं निभा रहे हैं. ऐसे में ज़रूरत इस बात की है कि हर भाजपा सांसद, विधायक, वीएचपी, बजरंग दल, संघ व हिन्दू युवा वाहिनी के सदस्य एक-एक गाय किसानों से लेकर पालने का संकल्प लें.
इस पूरे मामले पर समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता अमीक जामेई का कहना है कि किसान पहले से ही भाजपा की किसान विरोधी नीतियों से परेशान हैं. जहां एक तरफ़ MSP नहीं बढ़ाई गई, उसकी फ़सलों के डेढ़ गुना दाम 2014 में किए वादे के मुताबिक़ नहीं दिए गए. ऊपर से साहुकारों के चंगुल में जकड़ा किसान क़र्ज़ में डूबा है. फ़सल नष्ठ होने की समय जमा फ़सल बीमा से भरपाई उसे नहीं मिल रही है. बिजली सिंचाई महंगी है तो ऐसे में बची-खुची लहलहाती फ़सल को जानवर तबाह कर रहे है तो किसान इन जानवरों का क्या करें?
समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता अमीक जामेई ने कहा कि राज्य की भाजपा सरकार को चाहिए कि हर ग्राम पंचायत स्तर पर 100 गाय के रहने के लिए एक गौशाला बनाई जाए जिसमें खाने-पीने और गाय के स्वास्थ का प्रबंध हो, या मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गाय को किसानों के ज़रिए पेंशन दे, क्योंकि किसान अपने बच्चों को तो पाल नहीं पा रहा. अगर यह मांगे राज्य सरकार नहीं मानती है तो किसानों को चाहिए कि फ़सल बर्बाद करने वाले आवारा पशुओं को ज़िला मजिस्ट्रेट के निवास व दफ्तर में बांध आए.
जामेई ने कहा कि मुख्यमंत्री ने कहा था कि हर ज़िले में गौशाला बनाई जाएंगी, लेकिन अलीगढ़ के इस मामले में डीएम सी.बी. सिंह ने मीडिया में बयान दिया है कि आवारा पशुओं अथवा गाय की देखभाल के लिए ग्राम प्रधान की ये ज़िम्मेदारी है कि वो इस समस्या से निबटे. यह बयान भाजपा सरकार की नीतियों की पोल खोलता है कि न तो उसे गौवंश के संरक्षण की कोई चिंता है और न ही किसानों के फ़सल नष्ट होनी की कोई परवाह है.