शुजा के पहले हरि प्रसाद भी रख चुके हैं ईवीएम का सच, इस काम के लिए उन्हें मिला था अमेरिका का ‘पायनियर अवार्ड’

Beyond Headlines
3 Min Read

By Afroz Alam Sahil

ईवीएम हैकिंग एक बार फिर से चर्चा में है. इस बार सवाल लंदन से खड़ा किया गया है. हालांकि सैय्यद शुजा के दावे को हास्यास्पद बताया जा रहा है.

यक़ीनन ये कोई नई बात नहीं है. ईवीएम मशीन को लेकर हर सवाल को हमेशा मज़ाक का सामना करना पड़ा है. लेकिन यहां मैं बता दूं कि ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है. इससे पहले भी हरि प्रसाद नाम के एक शख़्स ने भी ईवीएम पर रिसर्च करके यह सबित किया था कि ईवीएम मशीनों में हेरा-फेरी करके चुनाव परिणामों को किसी एक पक्ष में किया जा सकता है. इस काम के लिए इन्हें अमेरिका का प्रतिष्ठित ‘पायनियर अवार्ड’ भी मिला.

लेकिन हरि प्रसाद जैसे ही भारत के मुंबई एयरपोर्ट पर पहुंचे, मुंबई एयरपोर्ट पर इन्हें ‘ईवीएम चोर’ बताकर गिरफ़्तार कर लिया गया. ये बात साल 2010 के अगस्त महीने की है. तब केन्द्र में यूपीए की सरकार थी और महाराष्ट्र में कांग्रेस…

हरि प्रसाद की गिरफ़्तारी के साथ ही मुझे सुबह के चार बजे इसकी सूचना मिल गई. खुद उन्होंने अपना ऑडियो भेजा था.

फिर हमारे चैनल ने चैनल हेड अजीत साही के फ़ैसले पर इसे कैम्पेन के तौर पर लिया. आनन-फ़ानन में कई आरटीआई कार्यकर्ताओं को चैनलों में बुला लिया गया.

हम इतनी जल्दी में थे कि एंकर को लगा कि ये मामला आरटीआई का है. मानव अधिकार कार्यकर्ता फिरोज़ मिठीबोरवाला को भी एंकर ने आरटीआई कार्यकर्ता मान लिया.

खैर, हमारा कैम्पेन चलता रहा. और हम तब तक लगे रहे, जब तक हरि प्रसाद की रिहाई न हो गई. रिहाई होते ही हरि प्रसाद हमारे स्टूडियो भी आए.

मुझे याद है कि तब मैंने खुद चुनाव आयोग को ईवीएम से संबंधित कुछ सूचना के लिए आरटीआई भी दाख़िल की थी. मेरा आरटीआई दाख़िल करना भी मेरे चैनल के लिए ख़बर थी. बल्कि हर दिन हमने काउंट-डाऊन चलाना शुरू कर दिया था.

ख़ैर, आज जब फिर से ईवीएम पर सवाल खड़े किए गए हैं, तो ऐसे में आप चाहे शुजा का जितना मज़ाक उड़ा लें, लेकिन एक बार उसके ज़रिए खड़े किए गए कुछ सवालों के बारे में तो गंभीरता के साथ सोचना ही होगा. उसने जिन हत्याओं की बात की, उसकी जांच-पड़ताल तो करना ही चाहिए. और ये हर तरह से हमारे लोकतंत्र के हित में है.   

(अफ़रोज़ आलम साहिल का ये लेख उनके फेसबुक टाईमलाईन से लिया गया है.)

Share This Article