हकीम अजमल ख़ान को ‘भारत रत्न’ के साथ-साथ दिल्ली सरकार से आयुर्वेद एवं यूनानी तिब्बिया कॉलेज को विश्वविद्यालय का दर्जा दिए जाने की मांग

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BeyondHeadlines News Desk

नई दिल्ली: महान स्वतंत्रता सेनानी और आयुर्वेदिक एवं यूनानी तिब्बिया कॉलेज क़रोल बाग़ के संस्थापक हकीम अजमल खान को भारत रत्न न दिए जाने का मामला फिर से गरमा गया है.

बता दें कि हकीम अजमल खान को उनके द्वारा स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने और देश के अंदर शिक्षा के क्षेत्र में अमूल्य योगदान देने के लिए भारत रत्न दिए जाने की मांग कई दशक से की जा रही है. हकीम अजमल खान जामिया मिल्लिया इस्लामिया के संस्थापकों में से भी एक थे.

पूरी दुनिया में यूनानी तिब्ब का डंका बजाने वाले हकीम अजमल ख़ान आज़ादी के मतवाले थे. इंडियन नेशनल कांग्रेस के अध्यक्ष भी बने और मुस्लिम लीग से भी जुड़े. असहयोग आंदोलन में भी हिस्सा लिया और खिलाफ़त तहरीक के क़ायद भी थे. 11 फ़रवरी 1868 को दिल्ली में पैदा हुए हकीम अजमल ख़ान ने सियासत की तो उसे उसकी उंचाई तक पहुंचाया और हिन्दुस्तान के अकेले ऐसे शख़्स बने जो ऑल इंडिया नेशनल कांग्रेस, ऑल इंडिया मुस्लिम लीग, हिन्दु महासभा और ऑल इंडिया ख़िलाफ़त कमिटी के अध्यक्ष भी रहे.

‘मसीह उल मुल्क हकीम अजमल खान मेमोरियल सोसायटी’ के संस्थापक महासचिव डॉक्टर असलम जावेद का कहना है कि हकीम साहब द्वारा देश के प्रति दिए गए योगदान को देखते हुए उन्हें बहुत पहले ही भारत रत्न से सम्मानित किया जाना चाहिए था, लेकिन ना तो कांग्रेस पार्टी की सरकार ने और ना ही भाजपा की सरकार ने देश के प्रति दिए गए उनके बलिदान और योगदान को सराहा गया.

उन्होंने कहा कि आज जब एक बार फिर सरकार द्वारा भारत रत्न सम्मान की घोषणा कर दी गई है तब हकीम अजमल खान के द्वारा किए गए कार्य एक बार फिर हमें याद आ रहे हैं.

उन्होंने कहा कि हकीम साहब ने आयुर्वेद और यूनानी चिकित्सा पद्धतियों के उत्थान और विकास के लिए क़रोल बाग में तिब्बिया कॉलेज की स्थापना की थी. आज इस कॉलेज से प्रत्येक वर्ष सैकड़ों छात्र डॉक्टर की उपाधि प्राप्त करके देश और समाज की सेवा कर रहे हैं.

उन्होंने दिल्ली सरकार से आयुर्वेद एवं यूनानी तिब्बिया कॉलेज क़रोल बाग़ को राज्य विश्वविद्यालय का दर्जा दिए जाने की भी मांग की है. इसके अलावा उन्होंने तिब्बिया कॉलेज में हकीम अजमल खान की याद में एक म्यूजियम बनाए जाने की भी मांग दिल्ली सरकार से की है.

उन्होंने कहा कि पंचकुइयां रोड स्थित क़ब्रिस्तान में हकीम साहब की मज़ार काफ़ी दयनीय स्थिति में है. वहां पर लोगों द्वारा अतिक्रमण किया गया है. उन्होंने दिल्ली सरकार से उनकी मज़ार पर स्मारक बनाए जाने की भी मांग की है.

डॉ. खान ने दिल्ली सरकार से तिब्बिया कॉलेज में लंबे समय से की जा रही कैंटीन की मांग को दोहराते हुए कहा है कि सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए क्योंकि वहां पढ़ने वाले छात्रों और स्टाफ़ को कैंटीन के नहीं होने की वजह से काफ़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

उन्होंने केंद्र सरकार से ग़ाज़ियाबाद में नेशनल यूनानी इंस्टीट्यूट के स्थान पर यूनानी एम्स बनाए जाने की मांग की है.

उन्होंने कहा कि पहले यहां पर सरकार द्वारा यूनानी एम्स बनाए जाने का प्रस्ताव किया गया था, जिसे बाद में बदल दिया गया है.

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