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शौर्य स्मारक: वीरता और वीरों की झलकियां

By Medha Shukla 

कुछ दिनों पहले मैं एक फ़िल्म देखने गई थी जिसका नाम था ‘उरी: द सर्जिकल स्ट्राइक’… 2016 के उरी अटैक पर बनी यह फ़िल्म भारतीय सेना द्वारा पाकिस्तान पर किए गए सर्जिकल स्ट्राइक पर आधारित है. विक्की कौशल एवं अन्य कलाकारों ने जिस बख़ूबी से अपने किरदार को निभाया है वो क़ाबिल-ए-तारीफ़ है.

यक़ीनन मेरी तरह लाखों लोगों ने इस फ़िल्म को देखा होगा और वापस अपने घर आकर इस फ़िल्म के मक़सद व बातों को भूल गए होंगे, जिसे निर्देशक ने इस फ़िल्म के ज़रिए दिखाना चाहा था.

सोचने की बात ये है कि क्या कभी हम ने ये सोचा है कि जो लोग सीमा पर जाकर देश की रक्षा करते हैं, वो वहां क्या महसूस करते होंगे. हम सिनेमा हॉल में बैठे गोलियों की आवाज़ सुनकर डर जाते हैं. हम खून की धाराएं बहते देखकर सिहर जाते हैं. पर क्या कभी मन में ये ख्याल आया कि जिनके हाथों में बंदूके होती हैं और जिनका खून वाक़ई बहता है, उन पर क्या बीतती है.

वो लोग जो हमें चैन से सोने देने के लिए अपनी नींदे क़ुर्बान कर देते हैं, ऐसे जवानों के बारे में जानने के लिए हम में से शायद ही कोई इच्छा जताता है.

पिछले दिनों मुझे पता चला कि भोपाल शहर मे एक जगह है जिसका नाम है शौर्य स्मारक’… यह जगह अपने नाम से ही सब कुछ बयान कर देता है. युद्ध से जुड़ी जानकारियां और भारतीय सेना के जवानों व शहीदों की तस्वीरें बेहतरीन है.

12 एकड़ में फैले इस जगह की बात ही कुछ अलग है. इस जगह के हर कोने से देशभक्ति की खुशबू आती है. 14 अक्टूबर 2016 के दिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस ‘शौर्य स्मारक’ का उद्घाटन किया था. इस जगह की संरचना दिल्ली की शिल्पकार शोना जैन ने की है.

अरेरा हिल्स के बीचों-बीच स्थित इस जगह की स्थापना मध्य प्रदेश सरकार ने की है. इसके बनने के पीछे की कहानी कुछ इस तरह है कि शौर्य स्मारक का पहला बीज 10 जुलाई 2008 को पड़ा. दिल्ली में कर्नल मुशरान की जयंती पर इंडिया हैबिटेट सेंटर में एक कार्यक्रम था. विषय था भारतीय सेना के प्रति युवा आकर्षित क्यों नहीं होते?

इस पर तब के सेना अध्यक्ष जनरल दीपक कपूर ने उलाहना देते हुए कहा, आम आदमी और युवाओं के बीच सेना का आकर्षण बनाए रखने के लिए अब तक किया ही क्या गया है?

कार्यक्रम में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी मौजूद थे. उन्होंने वहीं ऐलान कर दिया कि उनकी सरकार भोपाल में एक ‘शौर्य स्मारक’ बनाएगी और आज शौर्य स्मारक हम सब के सामने है.

यूं तो यह काफ़ी दूर तक फैला हुआ है, पर इसकी ख़ासियत है यहां पर बना हुआ युद्ध संग्रहालय’… जहां सन् 1649 से लेकर 1947 तक के युद्ध की पूरी गाथा है.

स्वतंत्रता के समय की पूरी कहानी चित्रों के माध्यम से प्रस्तुत की गई है. फिर वो चाहे महाभारत या रामायण हो, मौर्य वंश के दौर का युद्ध या स्वतंत्रता संग्राम, हर एक दौर को चित्रों और तथ्यों के द्वारा इतनी बारीकी से दिखाया गया है, जो खुद में बेहद रोचक है.

भारतीय तिरंगे के इतिहास की विस्तृत जानकारी अपने आप में बेहतरीन है. यहाँ लगे सारे चित्र हाथ से बने हैं, जो एक उम्दा कला का प्रदर्शन है और जीवंत होने का एहसास दिलाती हैं.

पाकिस्तान और चीन से हुए युद्ध में शहीद हुए सारे जवानों की तस्वीरें और जानकारियां उनके योगदान का उल्लेख करती हैं. वो हर एक व्यक्ति, हर एक शहीद जिसने अपना रक्त बहाकर देश के लिए बलिदान दी…

सबसे ख़ूबसूरत और अद्भुत है वो कमरा जहां यह दिखाया गया है कि सियाचिन युद्ध के वक़्त किन हालातों में जवान रहते हैं. उस ठंड का एहसास महसूस होता है हर दर्शक को. साथ ही वायु सेना, नौ-सेना और थल सेना के विभिन्न पद और चिन्ह की भी प्रदर्शनी लगी है, जो हमें इन चीज़ों से अवगत कराती हैं.

यहां परमवीर चक्र और महावीर चक्र जैसे अनेक पुरस्कारों से नवाज़े गए सैनिकों की तस्वीरें भी मौजूद हैं. म्यूज़ियम से बाहर निकलते ही एक बड़ा पार्क है, जहां कई रोचक और कल्पनाशील वास्तुकला संबंधित आकृति है, जो सैनिकों के द्वारा किए गए बलिदान को चित्रित करती हैं. उनमें से एक है 62 फीट ऊंची मूर्ति जिसे ‘शौर्य स्तम्भ’ के नाम से जाना जाता है.

शौर्य स्तम्भ के इर्द-गिर्द अनेक शहीदों के नाम शीशे से बने बोर्ड पर अंकित हैं. ठीक उसी स्तम्भ के पास में शहीदों के सम्मान में ‘स्मारक ज्योति’ जलती रहती है.

इन सबके अलावा एक रंगभूमि है और एक गोलाकार बड़ी सी जगह जो युद्ध की तकलीफ़ों का विवरण करती है. जीवन और मृत्यु के सच से वाक़िफ़ कराती है. पार्क से थोड़ा हटकर एक खुला थिएटर है, जहां शाम के वक़्त वीर जवानों और वीरता से जुड़े क़िस्से दिखाए जाते हैं. साथ ही एक कैफेटेरिया है, जहां लोगों के लिए खाने पीने की व्यवस्था है.

शौर्य स्मारक भीरताय सेनाओं के पराक्रम और शूरवीर योद्धाओं की शौर्य गाथाओं को बताने वाला यह देश में अपनी तरह का इकलौता स्मारक है.

शौर्य स्मारक की शिल्पकार शोना जैन का कहना है कि ये हमने स्मारक नहीं मंदिर बनाया है. एक ऐसी जगह जहां लोग सिर्फ़ फूल न चढ़ाएं, बल्कि फौजियों के संघर्ष, उनके बलिदान को महसूस कर सकें.

सच कहा जाए तो वाक़ई शौर्य स्मारक भारतीय सेना की वीरता का एक रंगीन और कल्पनाशील प्रदर्शन है और साथ ही उन सभी शहीदों को विनम्र श्रद्धांजलि जो अपने परिवार से लंबे समय तक दूर रहते हैं. हमारी हिफ़ाज़त के लिए अपने प्राण की बाज़ी लगा देते हैं.

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