दावे से कहता हूं कि अगर ये देश इस समय इंदिरा गांधी जैसी आयरन लेडी के हाथ होता तो अब तक पाकिस्तान की आर्मी के हाथ तोड़ दिए गए होते.
आपके पड़ोस में हाफ़िज़, मसूद अज़हर और सलाउद्दीन जैसे खूंखार आतंकी बैठकर देश पर एक के बाद दूसरे हमले करते रहें और आप पिछले पांच साल से ट्विटर पर ज्ञान उड़ेलते रहें और तीन साल से ऊपर महबूबा के साथ सरकार चलाते रहें!
ये देश नरेन्द्र मोदी के प्रति जितना नरम है उतना किसी प्रधानमंत्री के साथ आज तक नहीं हुआ है. अगर किसी कांग्रेसी प्रधानमंत्री ने ऐसा किया होता तो वो सर उठाकर चलने लायक़ न रह जाता.
ज़रा सोचिए:
—नवाज़ शरीफ़ के घर बियाह में दावत खाने ये प्रधानमंत्री जाएं.
—पाकिस्तान की बदनाम आईएसआई को पठानकोट के भीतर आकर जांच करने और फिर भारत की पीठ में छुरा घोंपने का मौक़ा ये प्रधानमंत्री दें.
—साढ़े चार साल तक पाकिस्तान का मोस्ट फेवर्ड नेशन स्टेटस ये प्रधानमंत्री बरक़रार रखें. (अभी छीना है चुनाव के ठीक पहिले)
—हुर्रियत के नेताओं को लोकसभा चुनावों से ठीक पहले तक सुरक्षा इन प्रधानमंत्री के कार्यकाल में दी जाए. (अभी-अभी छीनी है, जैसे आज ही मालूम पड़ा हो कि ये पाकपरस्त अलगाववादी हैं)
—रोज़ पाकिस्तान से बातचीत की मांग करने वाली कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के साथ सरकार और पब्लिक स्टेज ये प्रधानमंत्री शेयर करें.
—कश्मीर के सैकड़ों पत्थरबाज़ों पर मुक़दमे इन प्रधानमंत्री की राष्ट्रवादी सरकार में वापस लिए जाएं.
—आर्मी के बहादुरों की सर्जिकल स्ट्राइक को सरकारी प्रचार की थाली में परोसकर ये प्रधानमंत्री भुनाएं.
और आख़िर में
पुलवामा के शहीदों की शहादत के रोज़ ही उदघाटन, स्माइल, हैंड वेव जैसे कैमरे के लिए ख़ासे आकर्षक पोज ये प्रधानमंत्री दें.
और हम क्या करें? उनकी शान में नारा लगावें, अपने मोहल्ले में पाकिस्तान का पुतला फूंके या अपने घर की थाली पीटें?
वाक़ई ये देश नरेंद्र मोदी के प्रति जितना नरम है उतना किसी प्रधानमंत्री के साथ आज तक नहीं हुआ है!