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Reading: बीजेपी लुच्चे, लफंगे और गुंडों की पार्टी है —अरविन्द केजरीवाल
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बीजेपी लुच्चे, लफंगे और गुंडों की पार्टी है —अरविन्द केजरीवाल

Beyond Headlines
Beyond Headlines Published March 25, 2019 3 Views
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5 Min Read
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Afroz Alam Sahil, BeyondHeadlines

नई दिल्ली: ‘बीजेपी लुच्चे, लफंगे और गुंडों की पार्टी है, जो इस देश को बर्बाद करना चाहती है.’

ये बातें आज दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने दिल्ली के कांस्टिट्यूशन क्लब में कही. वो यहां संजॉय बसु, नीरज कुमार और शशि शेखर द्वारा लिखित ‘वादा-फ़रामोशी’ नामक पुस्तक के लोकार्पण समारोह में बतौर मुख्य अतिथी बोल रहे थे.

केजरीवाल ने एक मुस्लिम परिवार के हालिया वायरल वीडियो में गुंडों द्वारा बेरहमी से पिटाई पर टिप्पणी करते हुए कहा कि यह हिंदुत्व के नाम पर किया जा रहा है. मैं भी हिन्दू हूं. ज़रा कोई बताए कि कौन से रामायण, गीता और हनुमान चालीसा में लिखा है कि मुसलमानों को मारो? 

केजरीवाल ने मोदी की तुलना हिटलर से की और जर्मनी में हिटलर के शासन के दौरान प्रचलित स्थिति की तुलना करते हुए उन्होंने कहा कि डर पैदा करने की नीयत से वहां लोगों को सार्वजनिक रूप से मारा-पीटा जाता था ताकि समाज में ये संदेश जाए कि कोई हिटलर के ख़िलाफ़ न बोले. आज यही माहौल हमारे देश में भी है. बिल्कुल हिटलरशाही की तरह ये सरकार काम कर रही है. अगर मोदी सरकार 2019 का चुनाव जीतती है तो ये आख़िरी चुनाव होगा और वे संविधान को बदल देंगे, जैसा कि साक्षी महाराज ने दावा किया है.

एक्टिवीज़म के अपने पुराने दिनों को याद करते हुए कहा कि जब वो 2001 में अरुणा रॉय से मिले थे तब उन्होंने समझाया कि आरटीआई क्या है. 

उन्होंने कहा कि वह अरुणा राय को अपना गुरु मानते हैं और उन्हें विश्वास है कि एक लोकतंत्र, या एक जनतंत्र में, आरटीआई राष्ट्र के लोगों की सेवा करता है क्योंकि लोग प्रधान होते हैं और सरकार उनके प्रति जवाबदेह होती है.

इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि वजाहत हबीबुल्ला ने अपने पुराने दिनों को याद करते हुए कहा कि कैसे तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने उन्हें मुख्य सूचना आयुक्त के पद को स्वीकार करने के लिए लिखा था, क्योंकि उन्हें एक विश्वविद्यालय का कुलपति नियुक्त किया गया था. उन्होंने बताया सूचना आयुक्त के रूप में सरकार के पक्ष में कार्य करना उनके लिए कितना कठिन साबित हुआ था.

पुस्तक के लॉन्च के बाद हुई चर्चा में सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील संजय हेगड़े ने कहा कि अब हम सभी अपना मतदान अधिकार के रूप में करते हैं, लेकिन जब आज़ादी के बाद एक युवा राष्ट्र को इस सिद्धांत पर लॉन्च किया गया कि सभी नागरिकों को समान अधिकार प्राप्त हैं, तो यह किसी अजूबे से कम नहीं था. 

उन्होंने कहा कि हमें अपने नेता का चयन करने का अधिकार आज़ादी के साथ मिला लेकिन आरटीआई के माध्यम से सूचित होकर वोट देने का अधिकार पाने में 60 साल लग गए.

बता दें कि संजॉय बसु, नीरज कुमार और शशि शेखर यानी इन तीन लोगों ने मिलकर यह किताब लिखी है —‘वादा-फ़रामोशी’. ये किताब पूरी तरह से आरटीआई से हासिल महत्वपूर्ण दस्तावेज़ों के आधार पर लिखी गई है. यह किताब पिछले पांच वर्षों में मोदी सरकार के कामकाज का एक दस्तावेज़ है.

इन सह-लेखकों में से एक, नीरज कुमार ने कहा कि उन्हें 2 साल और कई आरटीआई लगाने के बाद पुस्तक के लिए डाटा मिला क्योंकि सरकार से जानकारी निकालना मुश्किल था. उन्होंने कहा कि पुस्तक पाठकों को केन्द्र सरकार के प्रचार में एक अंतर्दृष्टि देगी और उन्हें सरकार के द्वारा शुरू की गई योजनाओं का वास्तविक चेहरा दिखाएगी.

सह-लेखक संजोय बसु ने कहा कि शीर्षक के अलावा पूरी किताब एक आरटीआई-आधारित दस्तावेज़ है, जो लेखकों द्वारा प्राप्त आरटीआई उत्तरों के वास्तविक स्कैन के साथ है. 

वहीं सह-लेखक शशि शेखर ने कहा कि कभी किसी शायर ने कहा था कि जब तोप मुक़ाबिल हो तो अख़बार निकालो, लेकिन अख़बारों की हक़ीक़त अब कौन नहीं जानता, इसलिए मैं कहता हूं कि …जब तोप मुक़ाबिल हो तो अख़बारों के बजाए किताब निकालो. हमने इस किताब में एक अख़बार प्रकाशित किया है. बता दें कि शशि शेखर पेशे से पत्रकार हैं. 15 वर्ष से अधिक पत्रकारिता का अनुभव रखते हैं.

TAGGED:Arvind KejriwalEditor's PickElection 2019Wada faramoshi
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