BeyondHeadlinesBeyondHeadlines
  • Home
  • India
    • Economy
    • Politics
    • Society
  • Exclusive
  • Edit/Op-Ed
    • Edit
    • Op-Ed
  • Health
  • Mango Man
  • Real Heroes
  • बियॉंडहेडलाइन्स हिन्दी
Reading: बेगूसराय में कन्हैया कुमार कितना मज़बूत?
Share
Font ResizerAa
BeyondHeadlinesBeyondHeadlines
Font ResizerAa
  • Home
  • India
  • Exclusive
  • Edit/Op-Ed
  • Health
  • Mango Man
  • Real Heroes
  • बियॉंडहेडलाइन्स हिन्दी
Search
  • Home
  • India
    • Economy
    • Politics
    • Society
  • Exclusive
  • Edit/Op-Ed
    • Edit
    • Op-Ed
  • Health
  • Mango Man
  • Real Heroes
  • बियॉंडहेडलाइन्स हिन्दी
Follow US
BeyondHeadlines > Election 2019 > बेगूसराय में कन्हैया कुमार कितना मज़बूत?
Election 2019IndiaLatest NewsYoung Indianबियॉंडहेडलाइन्स हिन्दी

बेगूसराय में कन्हैया कुमार कितना मज़बूत?

Beyond Headlines
Beyond Headlines Published March 15, 2019
Share
10 Min Read
SHARE

Shahnawaz Bhartiya for BeyondHeadlines

हम सब यह जानते हैं कि आगामी लोकसभा चुनाव 2019 का बिगुल फूंका जा चुका है, जिसके लिए हर दल ने अलग-अलग सीटों पर अपनी दावेदारी पेश करना शुरू कर दिया है. इसी क्रम में बेगूसराय से लोकसभा प्रत्याशी के लिए सीपीआई ने अपनी दावेदारी कन्हैया कुमार के नाम से पेश किया है. 

डॉ. कन्हैया कुमार जेएनयू छात्रसंघ के भूतपूर्व अध्यक्ष और देश के सबसे युवा चर्चित चेहरा हैं. वहीं दूसरी ओर अन्य दल ने भी अपनी दावेदारी पेश की है. अब सवाल उठ रहा है कि सीपीआई की दावेदारी कितनी मज़बूत है?

सबसे पहले यह बताता चलूं कि वर्तमान बेगूसराय लोकसभा सीट पूर्व के बेगूसराय और बलिया को मिलाकर बना है, जिसका क्षेत्र पूरा बेगूसराय ज़िला है, जिसमे सात विधानसभा आता है. ऐतिहासिक रूप से बेगूसराय को लेनिनग्राद के नाम से जाना जाता है, जहां वामपंथ ने हमेशा के अपनी मज़बूत उपस्थित दर्ज की है.

सातों विधानसभा सभा का अवलोकन जब करते हैं तो यह पाते हैं कि बेगूसराय विधानसभा सभा को कांग्रेस ने 10, भाजपा ने 5, राजद ने 0 तथा वामपंथ ने 3 बार जीता है. वहीं दूसरी ओर अगर उप-विजेता को देखा जाए तो कांग्रेस 4, भाजपा 1, राजद 0 और वामदल 9 वार दूसरे नंबर पर रही है.

बखरी विधानसभा में कांग्रेस 2, भाजपा 1, राजद 2 तथा वामदलों ने 10 बार जीत हासिल की है और कांग्रेस 5, भाजपा 1, वामदलों ने 3 बार द्वितीय स्थान प्राप्त किया है.

तेघरा को कांग्रेस ने 2, भाजपा ने 0, राजद ने 1 तथा वामदलों ने 2 बार जीता है तथा कांग्रेस ने 2, भाजपा ने 0, राजद ने 1 तथा वामदलों ने 2 बार द्वितीय स्थान प्राप्त किया है.

मटिहानी को कांग्रेस ने 2, भाजपा ने 0, राजद ने 0 तथा वामदलों ने 5 बार जीता है, जबकि कांग्रेस को 5, भाजपा को 1, राजद को 0 तथा वामदलों को 3 बार पराजय का सामना करना पड़ा है.

साहेबपुर कमाल जब से बना है एक बार राजद जीती और एक बार हारी है. जबकि पहले के बलिया विधानसभा में राजद, जदयू तथा लोजपा का दबदबा रहा है. तनवीर हसन साहब ख़ुद अपने यहां से दो बार विधानसभा चुनाव हार चुके हैं. 

चेरिया बरियारपुर को कांग्रेस ने 2 बार, भाजपा ने 0, राजद ने 1 और वामदलों ने 1 बार जीता है. वहीं दूसरी ओर कांग्रेस को 2, भाजपा को 0, राजद को 2 तथा वामदलों को 1 बार पराजय का सामना करना पड़ा है.

वहीं अगर पूर्व के बरौनी विधानसभा की बात करें तो सन 1977 से 2005 तक लगातार 8 बार सीपीआई ने चुनाव जीता है. सब मिलकर अगर देखा जाए तो हर दल से ज़्यादा वामदलों ने विधानसभा चुनाव जीते हैं.

अब रही लोकसभा चुनाव की बात तो पहले बेगूसराय और बलिया दो अलग-अलग लोकसभा क्षेत्र रहा है, जिसमें से बेगूसराय में 1967 में सीपीआई ने कांग्रेस को हराकर चुनाव जीता था एवं पिछले चुनाव 2014 में भी सीपीआई ने 1,92,639 वोट लाकर तीसरा स्थान प्राप्त किया था, जबकि 1967 में 1, 80, 883 वोट लाकर सीपीआई ने चुनाव जीत लिया था. कहने का तात्यापर्य यह है कि सीपीआई का कैडर वोट अभी भी उसके साथ है क्योंकि 2009 के चुनाव में भी सीपीआई को 1,64,843 वोट आए थे. 

बलिया लोकसभा जो पहले बेगूसराय से अलग था, वहां सीपीआई तीन बार 1980, 1991 तथा 1996 में लोकसभा चुनाव जीत चुकी है. 1998 में भी जब राजद चुनाव जीती थी उस वक़्त भी 1,87,635 वोट पाकर सीपीआई 52,484 वोट से पिछड़कर दूसरे पायदान पर थी.

अभी तक के लोकसभा चुनाव को देखा जाए तो कुल 16 लोकसभा चुनाव में से सीपीआई ने 1962 से छः चुनाव लड़ी है, जिसमें से 1962 हासिम अख़्तर (51, 163), 1977 इंद्रदेव सिंह (72, 096), 1998 रमेन्द्र कुमार (विजयी 1,44,540), 2009 शत्रुघ्न प्रसाद सिंह (164843) एवं 2014 राजेंद्र प्रसाद सिंह (1,92,639) चुनाव लड़े हैं. बाक़ी 1962 से पहले सीपीआई ने चुनाव नहीं लड़ा है और बाद में कई बार गठबंधन के कारण दूसरे दल को समर्थन किया है. इस बार जब सीपीआई के पास भारत का सबसे चर्चित क्रांतिकारी चेहरा ख़ुद है तो फिर यह सवाल कहां से आता है कि वामदल का बेगूसराय में आधार नहीं है.

लोकसभा और विधानसभा दोनों को मिलाकर अवलोकन करने पर हम यह पाते हैं कि वामदल पूरे बेगूसराय के 7 विधानसभा क्षेत्रों में से मटिहानी एवं साहेबपुर कमाल को छोड़कर किसी भी विधानसभा में महागठबंधन के सारे घटक-दल में से सबसे ज़्यादा मज़बूत है. और अगर संभावित उम्मीदवारों को देखें तो कन्हैया कुमार से ज़्यादा लोकप्रिय उम्मीदवार कोई नहीं है. जहां तक क्षेत्र में लोगों के बीच मिलना-जुलना और मेहनत की बात करें तो कन्हैया कुमार 2014 के लोकसभा चुनाव से ही अपने क्षेत्र के लोगों के बीच काम कर रहे हैं. अन्य किसी भी दल का कोई व्यक्ति उनके मुक़ाबके कहीं नहीं टिकता. जब भी बेगूसराय में किसी भी प्रकार का कोई भी सामाजिक वैमनस्यता फैलाने की कोशिश हुई वामपंथियों ने हर समाज के लोगों से कंधा से कंधा मिलाकर साम्प्रदायिक शक्तियों का डटकर मुक़ाबला किया है तब और नेतागण कहाँ थे.

वर्तमान सरकार में जनता पर हुए हर अत्याचार के विरुद्ध यहां से लेकर दिल्ली तक कन्हैया कुमार एवं उनका संगठन एआईएसएफ़ और दल सीपीआई ने हर मोर्चे पर आंदोलन कर साम्प्रदायिक शक्तियों को परास्त किया है, तो आज जब समाज को इनकी सबसे ज़्यादा ज़रूरत है तब यह कहना कि इनका कोई आधार नहीं, यह कहां तक उचित है. 

हाँ! यह सच है कि राजद में तनवीर हसन ने बेगूसराय से पहली बार 2014 में कांग्रेस के समर्थन से चुनाव लड़ा और 3,69,892 वोट पाए, लेकिन उनकी भी हार ही हुई. जबकि 2009 में जदयू से मुनाज़िर हसन मात्र 2,05,680 वोट लाकर जीत हासिल की थी. तनवीर हसन कई बार चुनाव लड़ चुके हैं पर अभी तक एक बार भी जीत नहीं पाए हैं. हां, एक बार एमएलसी बने हैं, जिसमें भी बेगूसराय सीपीआई के दो विधायकों ने ही उनकी मदद की थी.

अगर हम बेगूसराय लोकसभा की बात करें तो यहां का समीकरण हर बार अलग ही होता है. वर्तमान में सारे समीकरण, मेहनत, युवा जोश, ईमानदारी तथा लोकप्रियता को देखते हुए यह माना जा रहा है कि अगर कन्हैया कुमार अकेले भी चुनाव लड़ेंगे तो उनकी जीत की संभावना को नकारा नहीं जा सकता.

जनता के विश्वास में भी कन्हैया कुमार सबसे ऊपर हैं. यह बात तो तय है कि कन्हैया कुमार जितनी प्रमुखता से अपने क्षेत्र के बारे में दलगत राजनीति से ऊपर उठकर राष्ट्रीय पटल पर बात रख सकते हैं, कोई अन्य उम्मीदवार नहीं रख सकता. एक और  बात जो कन्हैया कुमार को दूसरों से अलग करती है वो है उनकी विचारधारा जो किसी अन्य संभावित उम्मीदवार के पास नहीं है.

एक बात तो तय है कि कन्हैया कुमार दल-बदलू नहीं हैं और ना ही उन्हें यह चिंता है कि हर बात कहने से पहले यह सोचना है कि कहीं कोई आका नाराज़ ना हो जाए. दूसरी बात कि कन्हैया कुमार जब अपने क्षेत्र का मुद्दा रखेंगे तो पूरा देश सुनेगा, क्योंकि उनकी लोकप्रियता सिर्फ़ बेगूसराय तक ही सीमित नहीं है. तीसरी बात वो बेगूसराय की भौगोलिक परिस्थितियों से पूरी तरह वाकिफ़ हैं और जानते हैं कि अगर युवाओं ने इस बार उनका साथ दिया तो बेगूसराय में व्यवसाय तथा लघु-उद्योगों की अपार संभावनाएं हैं; बस धर्म, जाति, सम्प्रदाय इत्यादि से ऊपर उठकर एक बार पूरे समाज की भलाई के मद्देनज़र सही दिशा-निर्देशन में चलने की आवश्यकता है.

नोट : BeyondHeadlines का मानना है कि हर किसी को अपना विचार रखने का पूरा अधिकार है. इसी सोच के साथ BeyondHeadlines ने कल तारिक़ अनवर चम्पारणी का लिखा एक लेख ‘क्या मुसलमानों की गर्दन पर चाकू चलाकर कन्हैया को सुरक्षित किया जा रहा है?’ प्रकाशित किया था. शाहनवाज़ भारतीय का ये लेख उसी के जवाब में है.

TAGGED:BegusaraiEditor's PickElection 2019Kanhaiya Kumar
Share This Article
Facebook Copy Link Print
What do you think?
Love0
Sad0
Happy0
Sleepy0
Angry0
Dead0
Wink0
“Gen Z Muslims, Rise Up! Save Waqf from Exploitation & Mismanagement”
India Waqf Facts Young Indian
Waqf at Risk: Why the Better-Off Must Step Up to Stop the Loot of an Invaluable and Sacred Legacy
India Waqf Facts
“PM Modi Pursuing Economic Genocide of Indian Muslims with Waqf (Amendment) Act”
India Waqf Facts
Waqf Under Siege: “Our Leaders Failed Us—Now It’s Time for the Youth to Rise”
India Waqf Facts

You Might Also Like

I WitnessWorldYoung Indian

The Earth Shook in Istanbul — But What If It Had Been Delhi?

May 8, 2025
EducationIndiaYoung Indian

30 Muslim Candidates Selected in UPSC, List is here…

May 8, 2025
Waqf FactsYoung Indian

World Heritage Day Spotlight: Waqf Relics in Delhi Caught in Crossfire

May 10, 2025
Waqf Facts

India: ₹1,662 Crore Waqf Land Scam Exposed in Pune; ED, CBI Urged to Act

May 10, 2025
Copyright © 2025
  • Campaign
  • Entertainment
  • Events
  • Literature
  • Mango Man
  • Privacy Policy
Welcome Back!

Sign in to your account

Lost your password?