BeyondHeadlines News Desk
आरा: ‘अब तक इस मुल्क में जितने चुनाव हुए हैं, यह चुनाव उन सबसे महत्वपूर्ण और निर्णायक है. यह इस लोकतंत्र में परीक्षा की घड़ी है. जनता ने जो प्रश्नपत्र मोदी सरकार के लिए सेट किए हैं, आज वह उससे भाग रही है कि वह पांच साल के वादों से जुड़े प्रश्नों का जवाब नहीं देगी.’
ये बातें भाकपा-माले के राष्ट्रीय महासचिव कामरेड दीपंकर भट्टाचार्य ने कही. वो राजद महागठबंधन समर्थित भाकपा-माले प्रत्याशी राजू यादव के नामांकन के अवसर पर स्थानीय रमना मैदान में एक विशाल जनसभा को संबोधित कर रहे थे.
उन्होंने कहा, पहली बार वोट देने वाले नौजवान वोटरों से मोदी पुलवामा के शहीदों के नाम पर वोट मांग रहे हैं, तो पुलवामा पर वोट ज़रूर पड़ेंगे, पर उनके ख़िलाफ़ पड़ेंगे. विदेश दौरों के लिए उनके पास पैसे हैं, पर जवानों के लिए पैसा नहीं है. पुलवामा में जवानों की शहादत के लिए मोदी सरकार खुद ज़िम्मेवार है, पर उन्हीं के नाम पर वह वोट मांग रही है और दूसरी ओर प्रज्ञा ठाकुर जैसी आतंकी को अपनी पार्टी का उम्मीदवार बनाया है, जिसने आतंकवाद के ख़िलाफ़ लड़ाई लड़ने वाले शहीद हेमंत करकरे का अपमान किया है.
मोदी सरकार कृषि, रोज़गार, महंगाई, भ्रष्टाचार आदि सारे मोर्चों पर विफल रही है. भ्रष्टाचार को इसने संस्थाबद्ध कर दिया है. चुनाव में चंदा कौन कंपनी दे रही है, यह ज़ाहिर न हो इसको सरकार ने बक़ायदा क़ानूनी दर्जा दे दिया है. यह सरकार लोगों की नागरिकता और सामाजिक आधार पर निर्धारित आरक्षण के अधिकार को ख़त्म करने में लगी हुई है. एक तरफ़ इसने अंबानी-अडानी जैसे पूंजीपतियों को देश के जल-जंगल-ज़मीन को लूटने की छूट दे दी है, वहीं दूसरी ओर सरकारी नौकरियों और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा-स्वास्थ्य आदि पर सिर्फ़ उच्च मध्यवर्ग का क़ब्ज़ा हो, इसके लिए काम कर कर रही है.
कामरेड दीपंकर ने कहा कि भाजपा-आरएसएस इस देश में लोकतंत्र और संविधान को बदलकर हिटलरशाही थोपना चाहते हैं. पिछले चुनाव में महागठबंधन बना था, पर नीतीश कुमार ने जनादेश से गद्दारी की और बिहार को सांप्रदायिक-सामंती-संघी उत्पात और उन्माद के हवाले कर दिया. इसलिए यह चुनाव नीतीश कुमार से भी बदला लेने का चुनाव हो गया है.
उन्होंने कहा कि रामजन्मभूमि के नाम पर सांप्रदायिक उन्माद भड़काए जाने से लेकर बाबरी मस्जिद ध्वंस, अटल बिहारी वाजपेयी के शासनकाल और गुजरात जनसंहार के दौर में भी भोजपुर से भाजपा की जीत नहीं हुई थी. लेकिन 2014 में भाजपा ने आरा संसदीय सीट पर क़ब्ज़ा कर लिया था. यह भोजपुर की इंक़लाबी ज़मीन पर एक कलंक के धब्बे की तरह था. हम पर सामंती-तानाशाही दंबगीयत का एक माॅडल थोपा गया, पर इस बार भोजपुर को आरएसएस-भाजपा के चंगुल से आज़ाद करा लेना है. जनांदोलन के माॅडल को स्थापित करना है, जहां जनप्रतिनिधि हमेशा जनता के संकट और संघर्षों के साथ खड़ा रहता है. राजू यादव की जीत हिटलरशाही की ताबूत पर लोकशाही का कील ठोंकने का काम करेगी. भोजपुर की धरती पर सामाजिक न्याय और धर्मनिरपेक्षता चाहने वालों की एकता ज़रूर रंग लाएगी.
पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने भाजपा सरकार द्वारा एसटी-एससी क़ानून को कमज़ोर किए जाने, जनसंख्या और सामाजिक आधार पर आरक्षण के बजाए सवर्ण आरक्षण लागू करने, गरीबों-महादलितों-दलितों को मतदाता सूची से बाहर करने और नागरिकता के अधिकार से वंचित किए जाने की साज़िशों की चर्चा करते हुए राजू यादव को तीन तारा वाले झंडे पर बटन दबाकर भारी मतों से विजयी बनाने की अपील की.
राजद के पूर्व सांसद शिवानंद तिवारी ने कहा कि आज तक ऐसा दूसरा कोई प्रधानमंत्री नहीं हुआ जो देश के संविधान का अपमान करता हो. जितने साहस से लोग सच नहीं बोल पाते, उतने साहस से यह झूठ बोलता है.
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री द्वारा प्रज्ञा ठाकुर को पांच हज़ार की हिंदू सभ्यता का प्रतिनिधि बताना हिंदुओं का अपमान है. उन्होंने कहा कि यह लोकतंत्र ही है, कि आज पिछड़े और दलित समुदाय के लोगों को जनप्रतिनिधि बनने का मौक़ा मिला है. भाजपा-आरएसएस इस लोकतंत्र को ही ख़त्म करना चाहते हैं. मोदी ऐसे पिछड़े हैं, जो अगड़ों के एजेंट हैं.
बक्सर से महागठबंधन के प्रत्याशी वरिष्ठ राजद नेता जगतानंद सिंह ने कहा कि राजद ने राजू यादव को सौ फ़ीसदी समर्थन किया है. उनकी निश्चित तौर पर जीत होगी.
वीआईपी पार्टी के मुकेश सहनी ने कहा कि भाजपा-संघ विभाजनकारी ताक़त हैं, इनके ख़िलाफ़ बड़ी एकता के वे पक्षधर हैं. उनके समुदाय और पार्टी समर्थकों का वोट राजू यादव को मिलना तय है.
ऐपवा की राष्ट्रीय सचिव और भाकपा-माले पोलित ब्यूरो सदस्य कविता कृष्णन ने कहा कि भोजपुर में दशकों से बराबरी और न्याय के लिए जो संघर्ष चल रहा है, का. राजू यादव उस संघर्ष के प्रतिनिधि हैं. आज इस देश में बेरोज़गारी, कृषि संकट, महंगाई, गैरबराबरी चरम पर है. गरीबों, दलितों, आदिवासियों, महिलाओं, किसान-मज़दूरों सबके संवैधानिक अधिकारों पर यह सरकार हमला कर रही है. इस वक़्त जनता के अधिकारों के लिए लड़ने वाले राजू यादव जैसे प्रतिनिधियों को संसद में भेजना बेहद ज़रूरी है.
माले विधायक दल के नेता कामरेड महबूब आलम ने कहा कि आरा में एकता अचानक नहीं बनी है, बल्कि बिहार विधान सभा में सृजन घोटाला, मुज़फ्फपुर शेल्टर कांड जैसे कई मुद्दों पर भी जनप्रतिनिधियों की एकजुटता बनी है. इस वक़्त भाजपा-आरएसएस को पराजित करने की ज़रूरत को भाकपा-माले ने शिद्दत से महसूस किया है और उसी कार्यनीति पर अमल कर रही है.
आरा संसदीय क्षेत्र से भाकपा-माले प्रत्याशी कामरेड राजू यादव ने कहा कि देश का लोकतंत्र, संविधान, आरक्षण का अधिकार बचाने की लड़ाई है. इस देश को गोडसे का नहीं, बल्कि भगतसिंह और डाॅ. अंबेडकर के सपनों का देश बनाना है. भाजपा के शासन में हो रहे अन्याय के ख़िलाफ़ न्याय की लड़ाई का झंडा लेकर वे चुनाव के मैदान में हैं. उनकी जीत भोजपुर की जनता की जीत होगी.