BeyondHeadlinesBeyondHeadlines
  • Home
  • India
    • Economy
    • Politics
    • Society
  • Exclusive
  • Edit/Op-Ed
    • Edit
    • Op-Ed
  • Health
  • Mango Man
  • Real Heroes
  • बियॉंडहेडलाइन्स हिन्दी
Reading: शाहिद अहमद की आईआरएस से आईपीएस बनने की कहानी
Share
Font ResizerAa
BeyondHeadlinesBeyondHeadlines
Font ResizerAa
  • Home
  • India
  • Exclusive
  • Edit/Op-Ed
  • Health
  • Mango Man
  • Real Heroes
  • बियॉंडहेडलाइन्स हिन्दी
Search
  • Home
  • India
    • Economy
    • Politics
    • Society
  • Exclusive
  • Edit/Op-Ed
    • Edit
    • Op-Ed
  • Health
  • Mango Man
  • Real Heroes
  • बियॉंडहेडलाइन्स हिन्दी
Follow US
BeyondHeadlines > India > शाहिद अहमद की आईआरएस से आईपीएस बनने की कहानी
IndiaLeadReal HeroesYoung Indianबियॉंडहेडलाइन्स हिन्दी

शाहिद अहमद की आईआरएस से आईपीएस बनने की कहानी

Beyond Headlines
Beyond Headlines Published April 20, 2019 52 Views
Share
8 Min Read
SHARE

Afroz Alam Sahil, BeyondHeadlines

ख़ुद पर यक़ीन हो तो हम कुछ भी कर सकते हैं. शाहिद को भी ये यक़ीन था कि जब सब कर सकते हैं, तो मैं भी कर सकता हूं. और आज शाहिद कामयाब हैं. इनकी इस बार यूपीएससी की सिविल सर्विस परीक्षा में 475 रैंक आई है. जबकि पिछली परीक्षा में इन्होंने 695 रैंक हासिल की थी. 

BeyondHeadlines से बातचीत में शाहिद बताते हैं कि पिछली बार मुझे आईआरएस मिला था. लेकिन बनना मुझे आईएएस है, इसलिए मैंने अपनी तैयारी जारी रखी. हालांकि ट्रेनिंग के साथ तैयारी करना इतना आसान नहीं होता है, इसलिए इस बार 475 रैंक ही हासिल हो सका है. इस रैंक पर आईपीएस मिलेगा. 

लेकिन आपको बनना तो आईएएस है? इस पर शाहिद कहते हैं, ‘बिल्कुल! बनना तो आईएएस ही है. इंशा अल्लाह मेरी कोशिश अगली बार भी जारी रहेगी. हालांकि वो ये भी बताते हैं कि अगली बार शायद परीक्षा दे पाना मुश्किल होगा क्योंकि अभी नागपुर में मेरी ट्रेनिंग चल रही है. और इस दौरान परीक्षा दे पाना लगभग नामुमकिन सा है.’ लेकिन यक़ीनन शाहिद के हौसले बुलंद हैं. 

उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर के शाहिद अहमद के लिए ये कर पाना इतना आसान नहीं था. 2016 में अचानक वालिद का साया सर से उठ गया. ज़िम्मेदारियों का बोझ इन पर ही आ गिरा, बावजूद इसके शाहिद अपनी तैयारियों में लगे रहे और दूसरी कोशिश में ही पिछले साल कामयाब हो गए. और अब तीसरी कोशिश में अपनी रैंक बेहतर भी कर ली है. आगे उन्हें पूरी उम्मीद है कि आगे अच्छी रैंक के साथ आईएएस भी ज़रूर बनेंगे.

शाहिद का परिवार पहले कानपुर के क़िदवई नगर में रहता था, लेकिन अब शिफ्ट होकर जाजनऊ इलाक़े में रहता है. इनके पिता हाजी जमील अहमद बिजनेसमैन थे. अम्मी बानो अहमद घर का काम संभालती हैं. 6 सदस्यों वाले परिवार में इनका नंबर 5वां है. इनसे बड़ी चार बहने हैं और सबसे छोटा एक भाई है.

शाहिद ने दसवीं व बारहवीं की पढ़ाई कानपुर के विरेन्द्र स्वरूप स्कूल से की है. फिर आगे की पढ़ाई के लिए दिल्ली आ गए. 2015 में दिल्ली यूनिवर्सिटी के सेंट स्टीफ़न कॉलेज से केमेस्ट्री ऑनर्स में बीएससी की डिग्री हासिल की. और अब डीयू से ही लॉ की पढ़ाई कर रहे हैं. फिलहाल बीए एलएलबी के आख़िरी साल में हैं.

शाहिद कहते हैं कि, जब मैं स्कूल में था, तब ही सोच लिया था कि सिविल सर्विस में जाना है. क्योंकि एडमिनिस्ट्रेटिव चीज़ें मुझे हमेशा से अच्छी लगती थीं. स्कूल में कैप्टन था. स्कूल की कई सारी चीज़ों को मैनेज करता था. तब ही मेरे टीचरों ने कहा कि तुम्हें सिविल सर्विस में जाना चाहिए. वहीं से इसके बारे में जानने की कोशिश की. इन्टरनेट पर इसके बारे में पढ़ा, फिर मैंने तय किया कि यही करना है.

शाहिद ने बतौर सब्जेक्ट लॉ लिया था. उनका कहना है कि, क्योंकि मैं लॉ पढ़ भी रहा हूं. इससे बाक़ी पेपर्स में भी थोड़ी मदद मिल जाती है. इसलिए मुझे यही लेना बेहतर लगा.

अपनी तैयारी के बारे में शाहिद बताते है कि, 2016 में मैंने एक कोचिंग ज्वाईन की, लेकिन एक महीने में ही छोड़ दिया. मुझे नहीं लगा कि कोचिंग से कोई फ़ायदा होने वाला है. हमदर्द स्टडी सर्किल का टेस्ट दिया और सेलेक्ट हुआ. फिर यहीं रहकर मैंने खुद से पढ़ाई की. यहां मुझे अच्छे लोगों से मिलने का मौक़ा मिला. अच्छे लोगों से दोस्ती हुई. यहां का माहौल काफ़ी अच्छा है. 2017 में मैं जामिया मिल्लिया इस्लामिया आ गया. यहां भी काफ़ी गाईडेंस व मदद मिली.

सिविल सर्विस की चाहत रखने वालों से शाहिद कहते हैं कि, तैयारी शुरू करने से पहले सबसे ज़रूरी होता है कि सिलेबस और पिछले साल के प्रश्न-पत्र पर अच्छे से रिसर्च करके उसे समझा जाए. क्योंकि पढ़ने के लिए मैटेरियल बहुत ज़्यादा है. लेकिन हमें बहुत सोच समझ कर प्लानिंग के साथ सिलेबस के अनुसार पढ़ना होगा. एग्ज़ाम की डिमांड को समझना भी ज़रूरी है.

वो आगे कहते हैं कि, पढ़ने के साथ-साथ ये भी ज़रूरी है कि आपको लिखना आए. आपने जितना पढ़ा है, अगर उसे आप मेन्स पेपर में लिख नहीं पाए तो फिर कोई फ़ायदा नहीं है. आपका कुछ नहीं होने वाला.

शाहिद को क्रिकेट से काफ़ी दिलचस्पी है. साथ ही नॉन-फिक्शनल बुक्स भी आप खूब पढ़ते हैं. शाहिद का कहना है कि ये डायरेक्टली तो आपको एग्ज़ाम में मदद नहीं करेगा, लेकिन ये आपके पर्सनालिटी पर थोड़ा फ़र्क़ ज़रूर डालता है. ऐसे में ये इंटरव्यू के लिए फ़ायदेमंद हो सकता है. हालांकि सबके लिए फ़ायदेमंद हो, ये ज़रूरी नहीं है. लेकिन इतना तो ज़रूर है कि इससे चीज़ों को देखने का नज़रिया बनता है.

अपनी क़ौम के नौजवानों से शाहिद का कहना है कि, क्या कभी आपने सोचा कि हम सरकारी नौकरियों में कम क्यों हैं. खुद से सवाल कीजिए कि सिविल सर्विस में हमारा प्रतिशत कितना है. कभी हमने सोचा कि यहां जितने होने चाहिए, उतने नहीं हैं. आख़िर इसकी वजह क्या है. दरअसल, तालीम की कमी इसकी असल वजह है. जिस मज़हब में सबसे ज़्यादा तालीम की अहमियत पर ज़ोर दिया गया है, आज उसी क़ौम के लोग तालीम पर तवज्जो सबसे कम दे रहे हैं.

वो आगे कहते हैं कि, मेरे मां-बाप भी पढ़े-लिखे नहीं थे, लेकिन उन्होंने तालीम की अहमियत को समझा और सारे भाई-बहनों को पढ़ाया-लिखाया. ऐसे में ज़रूरी है कि तमाम मां-बाप अपने बच्चों की तालीम पर ख़ास तवज्जो दें. ख़ास तौर पर लड़कियों की पढ़ाई को लेकर ध्यान देने की ज़रूरत है. इनके अंदर पोटेंशियल बहुत है. बस इन्हें आगे बढ़ने दिया जाए. अगर आपने थोड़ा सा साथ दे दिया और उन्हें पढ़ने के लिए प्रमोट कर दिया तो आगे चलकर यही सबसे बेहतर करेंगी. 

नौजवानों से आगे कहते हैं कि, सबसे पहले आप खुद पर यक़ीन रखें कि जब सब कर सकते हैं तो हम भी कर सकते हैं. ये मत सोचिए कि ये बहुत मुश्किल इम्तिहान है. हम नहीं पढ़ पाएंगे. ये बात दिल-दिमाग़ से निकाल देनी चाहिए.

आख़िर में शाहिद कहते हैं कि, मुझे हमेशा अफ़सोस रहता है कि काश मेरे अब्बू होते तो शायद इस कामयाबी पर खुश होते. उन्होंने बहुत संघर्ष करके मुझे पढ़ाया है. ज़िन्दगी भर मेरे दिल में ये कसक रहेगी कि काश अपने बेटे के इस काम को देख पाते या फिर मैं ही उनकी ज़िन्दगी के दौरान ये कामयाबी हासिल कर पाता.

TAGGED:Editor's PickSHAHID AHMADUPSCUPSC ResultUPSC RESULT 2018शाहिद अहमद की आईआरएस से आईपीएस बनने की कहानी
Share This Article
Facebook Copy Link Print
What do you think?
Love0
Sad0
Happy0
Sleepy0
Angry0
Dead0
Wink0
“Gen Z Muslims, Rise Up! Save Waqf from Exploitation & Mismanagement”
India Waqf Facts Young Indian
Waqf at Risk: Why the Better-Off Must Step Up to Stop the Loot of an Invaluable and Sacred Legacy
India Waqf Facts
“PM Modi Pursuing Economic Genocide of Indian Muslims with Waqf (Amendment) Act”
India Waqf Facts
Waqf Under Siege: “Our Leaders Failed Us—Now It’s Time for the Youth to Rise”
India Waqf Facts

You Might Also Like

ExclusiveHaj FactsIndiaYoung Indian

The Truth About Haj and Government Funding: A Manufactured Controversy

June 7, 2025
I WitnessWorldYoung Indian

The Earth Shook in Istanbul — But What If It Had Been Delhi?

May 8, 2025
EducationIndiaYoung Indian

30 Muslim Candidates Selected in UPSC, List is here…

May 8, 2025
Waqf FactsYoung Indian

World Heritage Day Spotlight: Waqf Relics in Delhi Caught in Crossfire

May 10, 2025
Copyright © 2025
  • Campaign
  • Entertainment
  • Events
  • Literature
  • Mango Man
  • Privacy Policy
Welcome Back!

Sign in to your account

Lost your password?