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स्मृति ईरानी की डिग्री को लेकर दाख़िल याचिका को स्वीकार करने के बाद भी क्यों कर दिया गया खारिज़?

Afroz Alam Sahil, BeyondHeadlines

नई दिल्ली: स्मृति ईरानी अपनी डिग्री को लेकर एक बार फिर से चर्चा में हैं. उनकी डिग्री का ये विवाद कोई नया नहीं है. साल 2014 में सबसे पहले BeyondHeadlines ने उनके ज़रिये चुनाव आयोग को दिए हलफ़नामे के आधार पर उनकी डिग्री की पूरी सच्चाई इस देश के लोगों के सामने रखा था. BeyondHeadlines ने ही इस बात का भी पर्दाफाश किया कि स्मृति ईरानी ने अपनी शैक्षिक योग्यता को लेकर चुनाव आयोग को गुमराह करने का काम किया है.

इस सच्चाई के आने के बाद साल 2015 में ये विवाद उस वक़्त गरमाया, जब उनका नाम देश के शिक्षा मंत्री के तौर पर पेश किया गया था. तब ये मामला अदालत में भी पहुंचा था.

बता दें कि साल 2015 में दिल्ली की पटियाला हाई कोर्ट में स्मृति के ख़िलाफ़ लेखक अहमर खान ने एक याचिका दाखिल की थी. कोर्ट ने इस याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया था. लेकिन बाद में अदालत ने इस फर्जी डिग्री मामले में केंद्रीय मंत्री स्मृति इरानी को समन करने की मांग करने वाली याचिका को अचानक खारिज कर दिया.

अदालत ने कहा कि यह अनावश्यक रूप से उन्हें परेशान करने के लिए दाखिल की गई थी क्योंकि वह एक केंद्रीय मंत्री हैं. कोर्ट ने ये भी कहा कि शिकायत दर्ज करने में क़रीब 11 साल का लंबा विलंब हुआ है.

हालांकि अदालत के पहले के निर्देश के अनुसार ईरानी की शैक्षणिक योग्यता के बारे में दिल्ली राज्य चुनाव आयोग ने शनिवार को मेट्रोपोलिटन मेजिस्ट्रेट हरविंदर सिंह के समक्ष एक सीलबंद लिफाफे में कुछ रिकॉर्ड पेश किया था. इसके बाद अदालत ने इस पर 18 अक्टूबर, 2016 को आदेश सुनाने का फैसला किया था. अदालत ने छह अक्टूबर को चुनाव आयोग के अधिकारियों को निर्देश दिया था कि मामले में स्पष्टीकरण के लिए कुछ दस्तावेजों की ज़रुरत है. क्योंकि स्वतंत्र शुरुआती सुनवाई के दौरान अदालत को चुनाव आयोग के एक अधिकारी ने बताया कि शैक्षणिक योग्यता के बारे में ईरानी द्वारा दायर दस्तावेज़ नहीं मिल रहे हैं.

हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि इस बारे में वेबसाइट पर सूचना मौजूद है. अदालत के आदेश का पालन करते हुए दिल्ली विश्वविद्यालय ने भी ईरानी के 1996 के बीए पाठ्यक्रम से संबंधित दस्तावेज़ सौंपे थे, क्योंकि 2004 के लोकसभा चुनावों में दायर हलफनामे में जिक्र रिकॉर्ड अब तक नहीं मिला है. फिर अचानक से अदालत ने इस मामले को खारिज़ कर दिया.

कब-कब स्मृति ईरानी ने अपनी क्या डिग्री बताई है?

स्पष्ट रहे कि 2004 में स्मृति ईरानी दिल्ली के चांदनी चौक लोकसभा सीट से कपिल सिब्बल के खिलाफ चुनाव लड़ी थी, लेकिन हार गई थीं. उस समय चुनाव आयोग को अपनी शैक्षिक योग्यता ग्रेजूएट बताया था. उन्होंने बताया कि 1996 में दिल्ली विश्वविद्यालय से बी.ए. किया है. लेकिन राज्यसभा व 2014 लोकसभा चुनाव में चुनाव आयोग को अपनी शैक्षिक योग्यता 12वीं पास बताई. साथ ही यह भी बताया कि 1994 में दिल्ली विश्वविद्यालय से पत्राचार के माध्यम से बी.कॉम, पार्ट-1 की पढ़ाई की है. इस बार भी उन्होंने यही जानकारी दी है. अब अपने नामांकन के दौरान दिए हलफनामे में स्मृति ने कहा कि उन्होंने 1991 में सेकेंडरी स्कूल परीक्षा और 1993 में सीनियर सेंकेडरी स्कूल परीक्षा पास की.

दो बार फेल होने के बाद 12वीं में शिक्षा मंत्री जी को आए सिर्फ 47 फीसदी अंक!

ईरानी 12वीं कक्षा में दो बार फेल हुईं और तीसरी बार में जब उन्होंने यह परीक्षा उत्तीर्ण की तो उन्हें कुल 47 प्रतिशत अंक मिले.

यह दावा किसी और ने नहीं, बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नज़दीकी समझी जाने वाली पत्रकार मधु किश्वर ने 2015 में ट्वीटर पर किया था. उन्होंने पहले ट्वीट में लिखा था-

मधु किश्वर ने ये भी ट्वीट किया था कि ‘ स्मृति महज 12वीं पास हैं. वह फैशन मॉडल बनने गईं और टीवी सीरियल की बहू बनीं. क्या भारत की शिक्षा मंत्री बनने के लिए यही शैक्षिक योग्यता है? हैरानी नहीं होगी कि अगर ईरानी की आश्चर्यजनक योग्यता के मद्देनज़र उन्हें डिप्टी पीएम बना दिया जाए. लेकिन वर्तमान में शिक्षा व्यवस्था में फैली अव्यवस्था से भारत को बाहर निकालने के लिए अलग तरह का नज़रिया होना चाहिए. ईरानी पत्राचार से बीकॉम फर्स्ट ईयर पास होने का दावा करती हैं, लेकिन ऐसी कोई डिग्री नहीं है. यानी उन्होंने बस एडमिशन लिया और पढ़ाई छोड़ दी. एफिडेविट में गलत जानकारी दी गई है.’

तब स्मृति ईरानी का मानना था कि जानबूझकर उनके बारे में अफवाहें फैलाई जा रही हैं. एक अंग्रेजी अखबार को दिए इंटरव्यू में स्मृति ने कहा कि जानबूझकर उनके बारे में कहनियां गढ़ी जा रही हैं और उसे मीडिया में फैलाया जा रहा है.

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