इस निर्दलीय उम्मीदवार का दे रहा है हर कोई साथ, शहला के बाद अब नेवी चीफ़ ने भी किया समर्थन

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BeyondHeadlines News Desk

लद्दाख: जम्मू-कश्मीर की लद्दाख लोकसभा सीट का चुनाव इस बार बेहद दिलचस्प मोड़ पर आ चुका है. तमाम स्टार प्रचारकों के प्रचार के बाद भी ये सीट अब भारतीय जनता पार्टी के हाथों से निकलती दिख रही है. इस सीट पर लड़ाई दिलचस्प इसलिए है कि यहां मुक़ाबले में नई दिल्ली के जामिया मिल्लिया इस्लामिया से पढ़े एक छात्र सज्जाद हुसैन कड़ी टक्कर देते नज़र आ रहे हैं. ख़ास बात ये है कि सज्जाद निर्दलीय उम्मीदवार हैं. 

बता दें कि सज्जाद हुसैन को पहले से ही नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी का समर्थन हासिल है. वहीं छात्र नेता और जेनएनयूएसयू की पूर्व उपाध्यक्ष शेहला रशीद भी इनके साथ खड़ी नज़र आ रही हैं. माना जा रहा है कि हाल के दिनों में अपनी पार्टी बनाने वाले शाह फ़ैसल भी सज्जाद के साथ खड़े हैं. 

इन तमाम समर्थनों के बाद दिलचस्प ये है कि देश भर के तमाम यूनिवर्सिटियों के छात्रों व अलुमनाई का समर्थन सज्जाद हुसैन को मिल रहा है. जामिया मिल्लिया इस्लामिया एलुमनाई एसोसिएशन पहले ही अपना समर्थन दे चुकी है. अब भारत में शांति के लिए मैग्सेस अवार्ड से सम्मानित नेवी के पूर्व चीफ़ सेवानिवृत्त एडमिरल एल. रामदास ने भी पुणे से एक पत्र भेजकर सज्जाद को अपने समर्थन का ऐलान किया है.  

BeyondHeadlines से ख़ास बातचीत में सज्जाद हुसैन कहते हैं, जिस तरह से हर ओर से लोगों ने मुझे अपना समर्थन दिया है. उससे इतना तो तय हो गया है कि मैंने अपनी ज़िन्दगी में ज़रूर कुछ अच्छे काम किए होंगे. ख़ास तौर पर मैं अपने तमाम स्थानीय नेताओं व लीडरों का शुक्रगुज़ार हूं कि उन्होंने ही मुझे लड़ने का हौसला दिया. यक़ीनन जीत हमारी होगी. मैं हमेशा अपने लोगों के लिए लड़ता रहूंगा.

बता दें कि लद्दाख़ क्षेत्रफल के दृष्टिकोण से देश के बड़े लोकसभा क्षेत्रों में से एक है, वहीं आबादी के मामले में छोटे लोकसभा क्षेत्रों में शामिल है. यहां वोटरों की संख्या सिर्फ़ 1.66 लाख है. 2014 में यहां बीजेपी के थुपस्तान छेवांग ने जीत दर्ज की और यहां पहली बार कमल खिला. दूसरे स्थान पर निर्दलीय प्रत्याशी गुलाम रज़ा रहे, जो महज़ 36 वोटों से ये चुनाव हारे थे. छेवांग को 31 हज़ार 111 और गुलाम रज़ा को 31 हज़ार 75 वोट मिले थे. तीसरे नंबर पर निर्दलीय प्रत्याशी सैय्यद मोहम्मद क़ाज़िम रहे और उनको 28 हज़ार 234 वोट मिले. इसके साथ ही चौथे नंबर पर रहे कांग्रेस के सेरिंग सेम्फेल को 26 हज़ार 402 वोटों से संतोष करना पड़ा था. छेवांग ने पार्टी नेतृत्व से असहमति का हवाला देते हुए नवंबर 2018 में लोकसभा से इस्तीफ़ा दे दिया और अपनी पार्टी छोड़ दी.

इस बार इस लोकसभा सीट से सिर्फ़ चार उम्मीदवार मैदान में हैं. बीजेपी ने यहां जामयांग शेरिंग नामग्याल को चुनाव मैदान में उतारा है, वहीं कांग्रेस पार्टी ने रिगजिन स्पालबार पर दांव लगाया है. इसके अलावा असगर अली कर्बलाई और सज्जाद हुसैन बतौर निर्दलीय अपनी क़िस्मत आज़मा रहे हैं. हालांकि असगर अली कर्बलाई का संबंध भी कांग्रेस से ही है और बाग़ी उम्मीदवार के तौर पर लड़ रहे हैं. यहां मतदान पांचवें चरण में 6 मई को है.

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