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‘मेरा बेटा बदमाश नहीं था. पुलिस ने फ़र्ज़ी एनकाउंटर करके उसकी हत्या की है…’

BeyondHeadlines News Desk

मुज़फ़्फ़रनगर/लखनऊ: मुज़फ़्फ़रनगर के ख़तौली गांव का माहौल अभी भी गमगीन है. शहज़ाद के घर लोगों का आना-जाना लगा हुआ है. आज लखनऊ से रिहाई मंच के एक प्रतिनिधिमंडल ने भी शहज़ाद के परिजनों से मुलाक़ात की.

दो दिन पहले सहारनपुर के गागलहेड़ी क्षेत्र में पुलिस एनकाउंटर में शहज़ाद मारा गया. पुलिस इसे बदमाश बता रही है, लेकिन उसके परिजनों का कहना है कि शहज़ाद कोई आपराधिक इतिहास नहीं है.

रिहाई मंच के प्रतिनिधिमंडल से हुए मुलाक़ात में मृतक शहज़ाद के पिता अलाउद्दीन ने कहा कि उनका बेटा बदमाश नहीं था. पुलिस ने फ़र्ज़ी एनकाउंटर करके उसके बेटे की हत्या की है. हम फ़र्ज़ी एनकाउंटर की जांच कराएंगे और दोषी पुलिस वालों को सज़ा दिलाएंगे. लेकिन ये जांच कैसे होगी और कौन करेगा उनको नहीं पता. 

बता दें कि सरकारी आंकड़ों के अनुसार योगी सरकार के ढ़ाई सालों में कुल 3599 इनकाउंटर हुए. इनमें 73 मौतें हुईं और 1059 कथित अपराधी घायल हुए. तमाम मामलों में घुटने के नीचे बोरा बांध कर गोलियां मारी गईं. कुल 8251 अपराधियों को गिरफ्तार करने का दावा किया गया. इसके बावजूद प्रदेश में अपराधों में वृद्धि लगातार जारी है. 

रिहाई मंच अध्यक्ष एडवोकेट मुहम्मद शुऐब कहते हैं, अपराध मुक्ति का सरकारी अभियान अपराधियों के ख़िलाफ़ कहने भर को है. इनका इरादा तो दलितों, पिछड़ों और अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ राजनीतिक प्रतिशोध लेना है. 

शहज़ाद के पिता अलाउद्दीन मूलरुप से थाना ककरौली के गांव टंढेड़ा के रहने वाले हैं. क़रीब 20 साल पहले अलाउद्दीन अपने परिवार के साथ ख़तौली भूड़ क्षेत्र में बाग बस्ती में बस गए. यह परिवार अभी तक किराए के मकान में रहकर गुज़र-बसर कर रहा है. शहजाद अपने चार बहन भाइयों में सबसे बड़ा था. छोटा भाई इंतज़ार प्रेशर कूकर ठीक करने का काम करता है, जबकि उससे छोटा भाई नौशाद बैटरी गलाने वाली भट्ठी पर काम करता है. वहीं शहज़ाद बड़ौत में रहकर मज़दूरी करता था. 

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