BeyondHeadlines News Desk
नई दिल्ली: जेएनयू अपने अंडरग्रेजुएट बीए और बीटेक कोर्स में हिन्दी को अनिवार्य बनाने की तैयारी कर रहा है. इस संबंध में जेएनयू प्रशासन ने एक प्रस्ताव तैयार किया है, जिसे मंज़री के लिए 28 जून को प्रस्तावित एकेडमिक काउंसिल की बैठक में रखा जाना है.
इस प्रस्ताव के सामने आने के बाद जेएनयू छात्र संघ ने इसका विरोध शुरू कर दिया है. इनका कहना है कि विश्वविद्यालय की ओर से जबरन हिंदी थोपने की कोशिश की जा रही है, जो हमारे देश के संविधान के ख़िलाफ़ है.
छात्र संघ ने आरोप लगाया कि इसके पीछे जेएनयू प्रशासन सरकार और राष्ट्रीय स्वयं सेवक का छिपा हुआ एजेंडा लागू करना चाहती है.
जानकारी के अनुसार जेएनयू की तरफ़ से हिन्दी को अनिवार्य बनाए जाने वाला ये प्रस्ताव यूजीसी की तरफ़ से अक्टूबर 2018 के आदेश के बाद लाया गया है. इसमें सभी विश्वविद्यालयों में हिन्दी को अनिवार्य विषय बनाने की बात कही गई है.