सीएम योगी के ‘इश्क’ पर लिखने के मामले में अब तक 10 लोगों पर हो चुका है मुक़दमा

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BeyondHeadlines News Desk

लखनऊ : उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यानाथ के तथाकथित इश्क को लेकर सोशल मीडिया पर लिखना पत्रकारों के लिए अब भारी पड़ रहा है. प्रशांत कनौजिया के अलावा इस मामले में अब तक 9 लोगों पर मुक़दमा हो चुका है. 

बता दें कि प्रशांत कनौजिया की पत्नी जगीशा अरोरा की याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायलय ने यूपी पुलिस द्वारा उसकी गिरफ्तारी को आज़ादी के अधिकार का हनन बताया है. बावजूद इसके प्रदेश में गिरफ्तारियों का दौर जारी है और अब तक प्रशांत के अलावा 9 लोगों पर मुक़दमा हो चुका है. इनमें दिल्ली की पत्रकार इशिता सिंह, अनुज शुक्ला के अलावा गोरखपुर के पीर मोहम्मद, धर्मेन्द्र भारती, डॉक्टर आरपी यादव, बस्ती के अख़लाक़ अहमद, विजय कुमार यादव शामिल हैं.

सामाजिक व राजनीतिक संगठन रिहाई मंच ने उत्तर प्रदेश में लगातार हो रही हत्याओं और पत्रकारों के साथ मारपीट और गिरफ्तारियों पर गहरा रोष व्यक्त किया है. 

रिहाई मंच अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब ने कहा कि पुलिस का जघन्य आपराधिक घटनाओं के घंटों बाद घटना स्थल पहुंचने का पुराना रिकार्ड है, लेकिन योगी आदित्यनाथ के व्यक्तित्व को कथित रूप से ठेस पहुंचाने वाले वीडियो को सोशल मीडिया पर शेयर करने के नाम पर पत्रकारों से लेकर डॉक्टर, ग्राम प्रधान, किसान, व्यवसायी, सामाजिक कार्यकर्ता और आमजन तक को गिरफ्तार करने में पुलिस ने कमाल की तत्परता दिखाई. क़ानून व्यवस्था दुरूस्त रखने के लिए इसकी आधी तत्परता भी होती तो प्रदेश में अपराध का ग्राफ़ आसमान नहीं छूता.

वहीं रिहाई मंच नेता राजीव यादव ने हज़ारीबाग़ से स्वतंत्र प्रकार रूपेश सिंह, उनके अधिवक्ता मित्र मिथलेश सिंह और वाहन चालक मोहम्मद कलाम की नक्सली होने का आरोप लगाकर हुई गिरफ्तारी को सरकार द्वारा सच्चाई का गला घोंटने वाला क़दम बताया है. 

राजीव के मुताबिक़ पत्रकार रूपेश सिंह विभिन्न पत्रिकाओं के ज़रिए ऐसा सच सामने ला रहे थे जो सत्ता को रास नहीं आ रहा था. उन्हें 4 जून से एजेंसियों में अपने क़ब्ज़े में रखा था और 7 जून को नक्सलियों को हथियार की आपूर्ति का आरोप लगाकर गिरफ्तारी दिखा दी. 

उन्होंने कहा कि रिहाई मंच बेगुनाहों की तत्कालीन रिहाई की मांग करता है.

बता दें कि ‘वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स-2019’ बताती है कि भारत में पत्रकारों की स्वतंत्रता और उनकी सुरक्षा दोनों ही ख़तरे में है. इस इंडेक्स के 180 देशों में भारत का स्थान 140वां है. वहीं एनसीआरबी की रिपोर्ट बताती है कि भारत में पत्रकारों के अधिकारों के हनन के मामले में उत्तर प्रदेश पहले स्थान पर है.

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