BeyondHeadlines News Desk
सरायकेला: झारखंड के कोल्हान प्रमंडल क्षेत्र में चोरी के नाम पर हिंसक भीड़ द्वारा पिटाई व मौत का सिलसिला रूकने का नाम नहीं ले रहा है. अब तक यहां की सड़कें 12 लोगों के खून से रंग चुकी हैं.
ताज़ा मामला सरायकेला का है, जहां 24 साल के तबरेज़ अंसारी की हिंसक भीड़ की पिटाई की वजह से दम तोड़ चुका है.
बता दें कि 17 जून की रात में खरसावां के क़दमडीहा निवासी तबरेज़ को ग्रामीणों ने चोर बताकर पकड़ा. फिर उसकी ज़बरदस्त पिटाई की गई. खंभे में बांधकर उसे पीटा गया और उससे नाम पूछ कर ‘जय श्री राम’ और ‘जय हनुमान’ के नारे लगवाए गए. सुबह पुलिस उसे उसी हालत में थाने ले गई.

तबरेज़ के चाचा मक़सूद के मुताबिक़ तबरेज़ अपने साथी के साथ खरसावां के क़दमडीहा से जमशेदपुर जा रहा था. इसी दौरान सरायकेला के धतकीडीह में ग्रामीणों ने चोर बताकर पकड़ लिया और रात भर जमकर पीटा. सुबह को पुलिस को बुलाकर सौंप दिया गया.
मक़सूद का आरोप है कि पुलिस ने परिजनों को सूचना तक नहीं दी. अन्य स्रोतों से सूचना पाकर जब परिजन थाना पहुंचे तो परिजनों को थानेदार ने ठीक से मिलने तक नहीं दिया. तबरेज़ की हालत गंभीर थी. जिसे देखकर परिजनों ने सही से इलाज कराने या फिर इलाज कराने के लिए परिजनों को इजाज़त देने का आग्रह किया तो पुलिस ने उन्हें धमका कर भगा दिया और जल्दीबाज़ी में कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया गया.
चाचा मक़सूद का कहना है कि तबरेज़ की साज़िश के तहत हत्या की गई है और इसमें पुलिस से लेकर जेल प्रशासन तक की मिलीभगत है. पुलिस ने जेल भेजने में जल्दीबाज़ी दिखाई, वहीं जेल में तबरेज़ का इलाज नहीं किया गया.
बक़ौल मक़सूद जेल में ही तबरेज़ की मौत हो गई थी और जेल प्रशासन ने अपना बचाव करने के लिए गंभीर हालत बताकर अस्पताल भेज दिया. अगर तबरेज़ की हालत गंभीर थी तो परिजनों को भी सूचना देनी चाहिए थी. ऐसा नहीं किया गया जो दर्शाता है कि मंशा क्या थी.
मक़सूद ने सरायकेला थाना प्रभारी, जेलर और जेल के डॉक्टर पर कार्रवाई और तबरेज़ की पिटाई करने वालों पर हत्या का मुक़दमा दर्ज कर गिरफ्तार करने की मांग की है.
वहीं पुलिस के मुताबिक़ तबरेज़ 18 जून से जेल में बंद था. उस पर चोरी का आरोप था. शनिवार सुबह अचानक तबीयत ख़राब होने लगी तो आनन-फ़ानन में जेल प्रशासन ने उसे सरायकेला सदर अस्पताल में भर्ती कराया. जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई.
बता दें कि तबरेज़ की पिटाई का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है, जिसमें साफ़ तौर पर देखा जा सकता है कि इसका नाम पूछकर इसकी पिटाई की जा रही है. और फिर इससे ज़ोर-ज़ोर से ‘जय श्री राम’ और ‘जय हनुमान’ के नारे लगवाए जा रहे हैं.
यहां ये भी स्पष्ट रहे कि तबरेज़ की मौत पुलिस कस्टडी के दौरान हुई है. स्थानीय लोगों का आरोप है कि पुलिस ने क़सूरवारों को बचाने के चक्कर में एक बेक़सूर की जान ले ली है.
तबरेज़ की शादी इसी साल 27 अप्रैल को हुई थी. इनकी पत्नी शाइस्ता परवीन ने आरोप लगाया है कि ग्रामीणों की पिटाई की वजह से तबरेज़ की हालत बेहद बिगड़ गई थी. उसके सिर में काफ़ी चोट थी. पुलिस ने इलाज के नाम पर खानापूरी कर आनन-फानन में जेल भेज दिया. पहले मुकम्मल इलाज कराकर जेल भेजा गया होता तो उसकी जान नहीं जाती.
ग़ौरतलब रहे कि इस इलाक़े में ये कोई पहली घटना नहीं है. इससे पहले भी बच्चा चोरी की अफ़वाह में 11 लोगों की जान जा चुकी है और इनसे अलग 14 लोगों की बेरहमी से पिटाई भी की जा चुकी है. मरने वालों में तबरेज़ का नंबर 12वां है.
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