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शहज़ाद को पुलिस ने निशाना बनाकर मारा है, कोई हमें इंसाफ़ दिला दे…

BeyondHeadlines News Desk

लखनऊ: रिहाई मंच ने सहारनपुर के फिराहेड़ी में मुज़फ़्फ़रनगर खतौली के शहज़ाद की मुठभेड़ में मारे जाने के पुलिसिया दावे पर सवाल उठाया है. 

मंच ने कहा कि परिजनों ने मुठभेड़ के पहले ही स्थानीय पुलिस से उसके ग़ायब होने की सूचना दी थी. ऐसे बहुतेरे सवाल हैं जो इस मुठभेड़ में पुलिस की भूमिका पर न सिर्फ़ सवाल उठाते हैं बल्कि पुलिस की आपराधिक भूमिका को भी उजागर करते हैं. 

रिहाई मंच अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब ने कहा कि मुज़फ़्फ़रनगर खतौली के शहज़ाद के मुठभेड़ पर परिजनों द्वारा सवाल उठाने के बाद मुठभेड़ के पुलिसिया दावे पर सवाल उठना तब और लाज़िमी हो जाता है जब उनकी पत्नी का यह दावा कि जब उन्होंने शाम को फोन किया तो उन्हें जबरन कहीं ले जाने की आवाज़ मोबाइल पर सुनाई दी— छोड़ दो, छोड़ दो… गाड़ी में डालो इसे… और फोन कट गया. 

रिहाई मंच का प्रतिनिधिमंडल खतौली मुज़फ़्फ़रनगर में परिजनों से मुलाक़ात कर चुका है. और अब इसने शहज़ाद के तथाकथित एनकाउंटर पर 8 सवाल खड़े किए हैं—

1- पहला सवाल कि शहज़ाद मुठभेड़ मामले की एक फोटो में एक व्यक्ति ज़मीन पर गिरा हुआ है और उसके समानांतर एक असलहा है जिस पर उसका हाथ रखा हुआ दिखाई दे रहा है. प्रथम दृष्टया असलहे पर रखे हाथ का दृश्य संदेह पैदा करता है. वहीं दाहिने पैर में सफ़ेद बद्धी की चप्पल तो वहीं बाएं पैर के पास काले रंग का जूता है?

2- दूसरा सवाल कि अस्पताल की फोटो में कमर में कारतूस की बेल्ट बंधी हुई है और शर्ट ऊपर चढ़ी हुई है. इससे संदेह पैदा होता है कि अगर कोई व्यक्ति कारतूस की बेल्ट पहनकर घटना को अंजाम देने जाएगा तो क्या वह शार्ट शर्ट पहनेगा जिससे कारतूस की बेल्ट सबको दिखे? 

3- तीसरा सवाल कि शिनाख्त के लिए सहारनपुर के गागलहेड़ी थानाध्यक्ष आदेश कुमार त्यागी ने गश्ती तलाश जारी किया कि ‘जिसकी जामा तलाशी से एक फोटो कापी राशन कार्ड जिसमें ज़रीना पत्नी शहज़ाद निवासी सरधना मेरठ अंकित है व एक पर्ची मोबाइल नंबर 9058675006 शहज़ाद अंकित है.’ आख़िर क्यों कोई और वो भी बदमाश राशन कार्ड की फोटो कापी और मोबाइल नंबर लिखी पर्ची लेकर घूमेगा.

4- चौथा सवाल कि परिजनों को जब सुबह 11-12 बजे के बीच सूचना दी जा चुकी थी तो आख़िर शाम 5 बजकर 10 मिनट पर हुए पोस्टमार्टम को क्यों अज्ञात के नाम पर किया गया. जबकि 26 मई को 11.10 पर आई ख़बर जिसमें एसएसपी दिनेश कुमार को भी कोट किया गया है उसमें साफ़ लिखा है— मृतक की पहचान शहज़ाद निवासी रेलवे स्टेशन के निकट खतौली, मुज़फ़्फ़रनगर के रुप में हुई है. (मुठभेड़ में बदमाश ढेर, अपह्त किसान को मुक्त कराया, ब्यूरो सहारनपुर Updated Sun, 26 May 2019 11:10 PM IST https://www.amarujala.com/uttar-pradesh/saharanpur/crime/crooks-killed-in-the-encounter-freed-the-kidnapped-farmer)

5- पांचवा सवाल कि पुलिसिया मुठभेड़ में किसी गाड़ी की बरामदगी की ख़बर सामने नहीं आई. वहीं परिजनों को भी इसके बारे में कोई सूचना नहीं है (योगी सरकार में अपराधी के नाम पर हुए मुठभेड़ों में एफ़आईआर, पोस्टमार्टम या अन्य दस्तावेज़ परिजनों को नहीं दिए जाते). वहीं सहारनपुर पुलिस ने एसएसपी दिनेश कुमार का वीडियो ट्वीट किया है जिसमें इस पर संदेह व्यक्त करते हुए तकनीकी जांच किए जाने की बात कही गई है कि गाड़ी थी या नहीं, टोल प्लाजा से गुज़री या नहीं. 

6- छठा सवाल कि ज़रीना ने अपने पति शहज़ाद के घर न आने पर अपनी बहन सलमा के मोबाइल नंबर 9521373818 से जब शहज़ाद के मोबाइल नंबर 8791405011 पर फोन किया तो फोन उठा, मगर गालियों की आवाज़ आई. छोड़ दो… गाड़ी में डालो इसे… और फोन कट गया. आख़िर ऐसा क्या हो रहा था जो इस तरह की आवाज़ें आ रही थीं. क्या शहज़ाद को कोई ज़बरदस्ती कहीं ले जा रहा था. क्या वह पुलिस तो नहीं थी. 

7- सातवां सवाल यह कि सहारनपुर के फिराहेड़ी गांव के किसान देवेन्द्र त्यागी का अपहरण, तुरंत दो किलोमीटर की दूरी पर जाकर आधी रात 12:45 पर उसके भाई को फोन कर दस लाख रुपए की फिरौती की मांग, भाई द्वारा 100 नंबर पर सूचना, फोन काल की लोकेशन के आधार पर पुलिस का पहुंचना, बदमाशों द्वारा फायरिंग, मुठभेड़ में शहज़ाद का मारा जाना और उसके साथी को फ़रार बताया जाना. क्या दस लाख की फिरौती की मांग करने वाले बदमाश इतनी जल्दबाज़ी में होंगे. किसी गाड़ी की बरामदगी का न होना भी सवाल पैदा करता है कि क्या इतने प्रोफ़ेशनल बदमाश इतनी बड़ी पकड़ इतनी आसानी से जाने देगा. 

8- आठवां सवाल मुहल्ले वालों का यह कहना कि इसको गोली से नहीं पीट-पीट कर मारा गया है. जब वे लाश को नहला रहे थे तो उसके अन्डकोश फूटे हुए, दांत टूटे हुए, बाएं टांग टूटी हुई, पसलियों पर निशान, गोली का कोई निशान नहीं. शायद उसको पहले मारा गया बाद में एनकाउन्टर दिखा दिया गया. ठीक यही बात शहज़ाद का भाई नौशाद और पिता अलाउद्दीन भी कहते हैं. जबकि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में चार ज़ख्म गोली से हैं. पहली चोट सिर पर गोली अंदर गई, दूसरी चोट गोली सिर के बाहर निकल गई, तीसरी चोट सीने में गोली अंदर की ओर गई और चौथी चोट गोली पीठ से बाहर निकल गई. चौथी चोट में पीठ पर चार और चोटें दिखाई गईं. सवाल है कि आख़िर शहज़ाद को जो चोटें आईं, कैसे आईं. मुहल्ले वाले और परिजन आख़िर क्यों कह रहे हैं कि गोली का कोई निशान नहीं है. 

पुलिसिया मुठभेड़ के बाद रिहाई मंच के एक दल जिसमें इंजीनियर उस्मान, रविश आलम, आशु चौधरी, अमीर अहमद, आरिश त्यागी और साजिद ने उनके परिजनों से मुलाक़ात की. मंच से परिजनों ने सहारनपुर के गागलहेडी में पुलिस द्वारा मारे गए 38 वर्षीय शहज़ाद के पुलिस मुठभेड़ को फ़र्ज़ी बताते हुए मामले की जांच की मांग की. शहज़ाद रेडा चलाता था और गुब्बारों का काम करता था. शहज़ाद के पांच बच्चे हैं. बच्चे छोटे-छोटे हैं जिनका एकमात्र सहारा शहज़ाद ही था.

शहज़ाद की पत्नी ज़रीना 40 वर्ष ने बताया कि शनिवार की शाम 6 बजे वो बैटरी चार्ज करवाने के लिए घर से निकले थे. रास्ते में राजीव नाम का एक व्यक्ति उन्हें बुलाकर ले गया. वहां पहले से कई लोग घात लगाए बैठे थे जो उन्हें उठा ले गए. मैंने बहन के मोबाइल से कॉल की तो शहज़ाद का फोन तो उठा मगर गालियों की आवाज़ आई… छोड़ दो, छोड़ दो… गाड़ी में डालो इसे… ये आवाज़ आई और फोन कट गया. राजीव बदमाश प्रवृत्ति का इंसान है. उसने पुलिस वालों के साथ मिलकर उसे मरवा दिया. हम तो खानाबदोश ज़िन्दगी जी रहे थे कभी यहां तो कभी वहां. अभी हम बड़ौत के न्यू कॉलोनी कांशीराम मोहल्ले में रह रहे थे. उन्हें वहीं से उठाया गया. सुबह 10 बजे हम पुलिस चौकी गए जहां बताया गया कि आज रविवार है, साहब 4 बजे आएंगे. फिर हम इसकी अर्जी बनाकर दे आए. इतने में ख़बर मिली कि शहज़ाद को पुलिस ने मार दिया. वह मेहनत मज़दूरी करके पेट पाल रहा था. अब हम सब क्या करेंगे.

शहज़ाद के पिता अलाउद्दीन 68 वर्षीय की नज़रें बहुत कमज़ोर हैं. बताते हैं कि पड़ोस के किसी व्यक्ति ने बताया कि व्हाटसअप पर आया है कि शहज़ाद की मौत हो गई. मुझे तो कम दिखता है, मगर बच्ची ने पहचान की. शहज़ाद 10 साल से बाहर रह रहा था. कभी-कभी मिलने आता था. पिछले महीने भी आया था. मालूम नहीं था कि इस तरह मार दिया जाएगा. पुलिस ने निशाना बनाकर मारा है. कोई हमें इंसाफ़ दिला दे.

मुहल्ले वालों का कहना है कि शहज़ाद को गोली से नहीं, पीट-पीट कर मारा गया. जब हम लाश को नहला रहे थे तो उसके अन्डकोश फूटे हुये थे, टांग टूटी हुई थी, पसलियों पर निशान थे, गोली का कोई निशान नहीं था. उसको पहले मारा गया, बाद में दिखाया गया कि एनकाउन्टर है. 

इलाक़े वालों का यह भी कहना है कि गागलहेड़ी के थानाध्यक्ष आदेश त्यागी जिन्होंने किसान देवेन्द्र त्यागी के अपहरण के नाम पर शहज़ाद को पुलिस मुठभेड़ में मारा वह पहले खतौली में रह चुके हैं.

बता दें कि सरकारी आंकड़ों के अनुसार योगी सरकार के ढ़ाई सालों में कुल 3599 इनकाउंटर हुए. इनमें 73 मौतें हुईं और 1059 कथित अपराधी घायल हुए. तमाम मामलों में घुटने के नीचे बोरा बांध कर गोलियां मारी गईं. कुल 8251 अपराधियों को गिरफ्तार करने का दावा किया गया. इसके बावजूद प्रदेश में अपराधों में वृद्धि लगातार जारी है. 

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