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बाटला हाऊस फ़िल्म पर रोक लगाने की मांग, बताया फ़िल्म का रिलीज़ होना न्याय के विरुद्ध

BeyondHeadlines News Desk

लखनऊ: आगामी 15 अगस्त को रिलीज़ होने वाली फ़िल्म ‘बाटला हाउस’ काफ़ी चर्चे में है. इस दौरान उत्तर प्रदेश की सामाजिक व राजनीतिक संगठन रिहाई मंच ने मांग की है कि इस फ़िल्म के रिलीज़ पर रोक लगाई जाए, क्योंकि फ़िल्म का रिलीज़ होना न्याय के विरुद्ध है.

रिहाई मंच अध्यक्ष एडवोकेट मोहम्मद शुऐब ने कहा कि 19 सितंबर 2008 को दिल्ली की घनी आबादी बाटला हाऊस में दिल्ली क्राइम ब्रांच द्वारा किए गए तथाकथित एनकाउंटर में दो युवा मारे गए और कुछ लोगों के ख़िलाफ़ मुक़दमा हुआ. इस मुक़दमे के सह अभियुक्त मोहम्मद आरिज़ के विरुद्ध दिल्ली न्यायालय में परीक्षण विचाराधीन है. उक्त मुक़दमे में साक्षियों का बयान अंकित किया जा रहा है. इस दरम्यान ‘बाटला हाउस’ नामक फ़िल्म का रिलीज़ होना न्याय के विरुद्ध है.

यदि साक्षी अथवा पीठासीन अधिकारी उक्त फ़िल्म को देखेंगे तो उनके पूर्वाग्रह से ग्रसित होने की संभावना है. यदि साक्षी पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर बयान अंकित कराएंगे अथवा उसी आधार पर निर्णय पारित किया जाएगा तो उससे न्याय होने की आशा नहीं होगी. इन विषम परिस्थितियों में ज़रूरी है कि न्यायिक प्रक्रियाओं को निष्पक्ष और स्वतंत्र रूप से होना सुनिश्चित किया जाए तथा मुक़दमे के विचाराधीन रहने तक बाटला हाऊस फ़िल्म को रिलीज़ ना होने दिया जाए और उसे प्रतिबंधित किया जाए.

रिहाई मंच नेता रॉबिन वर्मा ने कहा कि बाटला हाऊस जैसी बंबइया मसाला फ़िल्में आम जनता के बीच फ़र्ज़ी इनकाउंटरों को सही साबित करने के लिए बनाई जाती हैं. 

उन्होंने कहा कि इससे पहले भी फ़िल्म के सह निर्माता जॉन अब्राहम मद्रास कैफे जैसी विवादास्पद फिल्म बना चुके हैं. यह ट्रेंड बन चुका है कि बिना पीड़ित परिवारों से परामर्श किए विवादित फिल्में बनाई जाएं, लोगों को आधी-अधूरी जानकारी दिखाई जाए और अकूत धन कमाया जाए. हम माननीय न्यायालय, सेंसर बोर्ड और सरकार से मांग करते हैं कि जब तक बाटला हाऊस मुक़दमे के सह अभियुक्त मोहम्मद आरिज़ के विरुद्ध दिल्ली न्यायालय में परीक्षण विरचाधीन है तब तक इस फिल्म को रिलीज़ ना होने दिया जाए.

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