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मुस्लिम बहुल इलाक़ों से चुनकर आए सांसदों से एक आम नागरिक का सवाल

मुस्लिम बहुल इलाक़ों से चुनकर आए माननीय लोकसभा सदस्यगण, अस्सलामो अलैकुम! 

आपको हमने इसलिए चुना है कि आप हमारी आवाज़ बनेंगे और हमारी समस्याओं के प्रति सरकार को सजग कराते रहेंगे. निरंतर और प्रभावशाली प्रयास करेंगे. परंतु हम कई दशकों से देखते आ रहे हैं कि तमाम मुस्लिम नेता चुनाव के समय जोशीला और भावनात्मक भाषण देकर हमारा वोट तो हासिल कर लेते हैं, लेकिन जीतने के बाद हमारे गंभीर मुद्दों पर चुप्पी साध लेते हैं. लेकिन हर चीज़ की एक सीमा होती है. हम मुकदर्शक बने नहीं रह सकते. बीजेपी और संघ के डर से आपको बहुत लंबे समय तक वोट नहीं दे सकते. अब आपको अपनी ज़िम्मेदारी का निर्वहन करना ही होगा. और आप अपनी ज़िम्मेदारियों का कितना निर्वहन कर रहे हैं निम्नलिखित सवालों के जवाब से हमें बताने का कष्ट करें: 

1. आप लिंचिग के विरोध में कौन सा क़दम अभी तक उठाए हैं या उठा रहे हैं या उठाने वाले हैं?  

2. क्या आप लिंचिंग के विरोध में किसी तरह का कोई धरना प्रदर्शन या भूख हड़ताल किए हैं? क्या आप लिंचिंग के विरोध में सड़कों पर कभी उतरे हैं? 

3. क्या आपने लिंचिंग को रोकने के लिए एक सख्त क़ानून व्यवस्था लाने की सरकार से मांग की है? या क्या आप इस मांग के लिए अनिश्चितकाल के लिए भूख हड़ताल पर कभी बैठे हैं? आपकी यह मांग सरकार मान ले इसके लिए आप कौन सा प्रभावशाली क़दम उठाएं हैं या उठाने वाले हैं? 

4. क्या हम ऐसे ही बीजेपी के डर से आपको वोट देते रहें ताकि आप पांच साल एसी कमरों में बिरयानी और कोरमा तोड़े? या आप लोगों की ‘नपुंसकता’ को देखते हुए हम लोग भी अब बीजेपी को ही विकल्प बना लें? 

5. जब हमें ही सड़कों पर उतरना है और हमें स्वयं ही अपनी लड़ाई लड़नी है तो हम आपकी जगह बीजेपी को ही वोट क्यूं न दें? हो सकता है बीजेपी के दिल में ही हमारे लिए ममता जाग जाए? हम आप जैसे नेताओं की जगह दुश्मन को ही दोस्त क्यूं नहीं बना लें? 

6. क्या कांग्रेस, सपा, बसपा, राजद जैसी तथाकथित सेकूलर दल हमारे हितों की रक्षा करती है या हमारे लिए आवाज़ बन सकती है? यदि ऐसा नहीं है तो फिर आप इन दलों को क्यूं नहीं छोड़ देते? क्या यह सच नहीं है कि आप अपनी निजी स्वार्थों  के लिए इन तथाकथित सेकूलर दलों का गुणगान करते हैं? 

7. क्या आप यह मानते हैं कि तथाकथित सेकूलर दलों में आप मात्र एक मुखौटा भर हैं, फिर आप किस मुंह से हमसे वोट मांगते हैं? और फिर हम वोट देने वालों में और मोदी भक्त में क्या फ़र्क़ रह जाता है? मोदी भक्त भी बिना कारण वोट दे रहे हैं और हम भी आपको बिना किसी काम के.

8. मुस्लिम बहुल इलाक़ों से मुस्लिम विधायक और सांसद चुने जाने के बावजूद आंकडे़ बताते हैं कि मुस्लिम बहुल इलाक़ों में स्कूल से लेकर अस्पतालों का भारी अकाल है. तो क्या यह सच नहीं है कि आप तथाकथित सेकूलर दलों के एजेंट के तौर पर सदियों से काम करते आ रहे हैं और आज भी उनके ही एजेंडों को ढो रहे हैं? यानी आपको हमारे विकास से कोई सरोकार नहीं है, क्योंकि आप यह जानते हैं कि हम आपको बीजेपी के डर से वोट दे ही देते हैं. 

9. हज कमेटी से लेकर वक़्फ़ बोर्ड, उर्दू एकादमी, मदरसा बोर्ड आदि में सौ फ़ीसदी आप मुस्लिम नेताओं को ही नेतृत्व रहा है फिर भी यह सभी विभाग भ्रष्टाचार का अड्डा बना हुआ है. आप इनके ख़िलाफ़ कौन सा क़दम उठाएं हैं और इन विभागों को भ्रष्टाचार मुक्त करने के लिए क्या कर रहे हैं? 

10. क्या आप यह मानते हैं कि देश में वोटों का ध्रुवीकरण हो गया है और अब तथाकथित सेकूलर दलों का कोई भविष्य नहीं है? और ऐसी परिस्थिति में क्या हमें अपना नेतृत्व खड़ा करना चाहिए? 

धन्यवाद… 

मुहम्मद वजहुल क़मर

एक आम नागरिक

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