BeyondHeadlines Correspondent
नई दिल्ली: शनिवार को दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान यानी एम्स में लगी आग के बाद दिल्ली पुलिस ने आग लगने के कारणों की जांच शूरू कर दी है.
एक तरफ़ एम्स तरफ़ प्रशासन की ओर से आग लगने की वजह शार्ट सर्किट बताया जा रहा है, वहीं पुलिस इस बात की जांच कर रही है कि कहीं इसके पीछे कोई साज़िश तो नहीं.
बता दें कि इस संबंध में दिल्ली के हौजख़ास थाने में अज्ञात लोगों के ख़िलाफ़ आईपीसी की धारा 285, 336, 436 के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है. दिल्ली पुलिस के अधिकारी इस खोजबीन में जुट गए हैं कि आख़िर आग लगने की वजह क्या थी और इसके पीछे किसकी लापरवाही थी. इस संबंध में फायर डिपार्टमेंट सहित फॉरेंसिक टीम को जांच रिपोर्ट जल्द सौंपने को कहा गया है.
यही नहीं, एम्स में आग की घटना को लेकर चौंकाने वाली बात सामने आई है. एम्स के टीचिंग ब्लॉक के जिस इमारत में भीषण आग लगी थी, उसकी फ़ायर एनओसी का रिनुअल नहीं होने की बात कही जा रही है.
सुत्रों की माने तो एम्स में फायर नियमों का सही से पालन नहीं किया गया था. एम्स प्रशासन द्वारा न एनओसी नहीं ली गई और न ही किसी तरह की कोई जानकारी साझा की गई. जबकि नियम के अनुसार हर तीन साल में फायर एनओसी लेना अनिवार्य होता है. और एनओसी मिलने के बाद संबंधित इमारत से जुड़े विभाग को निर्धारित अवधि में रिनुअल भी कराना होता है. इसके बावजूद एम्स प्रशासन ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया.
अब इस मामले में एम्स प्रशासन ने भी अपनी आंतरिक जांच शुरू कर दी है. एम्स सूत्रों का कहना है कि इस घटना के बाद डायरेक्टर ने सभी डिपार्टमेंट के प्रमुखों के साथ एक बैठक की है. एम्स ने अपने बयान में बताया है कि उसके पास आग से बचाव का रेगुलर सिस्टम है और 24 घंटे अग्निशमन कर्मी तैनात रहते हैं.