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फ़िल्म ‘बाटला हाउस’ पर लग सकती है रोक, 13 अगस्त को अदालत में होगा इसका फ़ैसला

BeyondHeadlines News Desk

नई दिल्ली: जॉन अब्राहम और मृणाल ठाकुर की फ़िल्म ‘बाटला हाउस’ 15 अगस्त को रिलीज़ होने वाली है, लेकिन अब ये फ़िल्म ख़तरे में है. इस फ़िल्म के प्रदर्शन पर रोक लग सकती है. इसका फ़ैसला आगामी 13 अगस्त को अदालत में होगा.

दिल्ली हाई कोर्ट ने गुरूवार को कहा कि यदि ऐसा पाया जाता है कि दिल्ली के 2008 के सीरियल ब्लास्ट और मुठभेड़ मामलों की सुनवाई प्रभावित होगी तो बॉलीवुड फ़िल्म ‘बाटला हाउस’ की रिलीज़ को रोक दिया जाएगा.

जस्टिस विभू बाखरू ने कहा कि यह फ़िल्म किसी उपन्यास से जुड़ा न होकर केवल पुलिस फ़ाइलों पर आधारित है. निर्माता यह नहीं कह सकते कि यह मुठभेड़ पर आधारित नहीं है. अगर फ़िल्म में दिखाई चीज़ों से दिल्ली के 2008 के सीरियल ब्लास्ट और मुठभेड़ मामलों की सुनवाई प्रभावित होती है तो इस फ़िल्म की रिलीज़ पर रोक लगा दी जाएगी. यानी फ़िल्म रिलीज़ ही नहीं होगी और इस पर सुनवाई के बाद कोई एक्शन लिया जाएगा.

बता दें कि बाटला हाउस मुठभेड़ मामले में आरोपी आरिज़ ख़ान ने उच्च न्यायालय में याचिका दाख़िल कर रिलीज़ पर रोक लगाने की मांग की है. इसके अलावा साकेत कोर्ट से उम्र क़ैद की सज़ा पाए शहज़ाद ने भी इस संबंध में याचिका दाख़िल की है. यहां ये बात भी ग़ौरतलब है कि इस काउंटर पर हमेशा से फ़र्ज़ी होने का आरोप लगता रहा है. इसके सबूत में आरटीआई से हासिल कई तथ्य मौजूद हैं.

याचिका में कहा गया है कि इस फ़िल्म के रिलीज़ होने से निचली अदालत में उसके ख़िलाफ़ चल रहे मामले की सुनवाई प्रभावित होगी. इससे केस के ट्रायल पर असर पड़ेगा, क्योंकि फ़िल्म में कई दृश्य ऐसे दिखाए गए हैं जो सुनवाई पर प्रभाव डाल सकते हैं.

इस फ़िल्म को लेकर उत्तर प्रदेश में आज़मगढ़ के लोगों में भी काफ़ी गुस्सा है. 19 सितंबर, 2008 को बाटला हाउस में मारे गए मो. आतिफ़ और साजिद के गांव संजरपुर के लोगों ने कहा कि जिस तरह से बाटला हाउस इनकाउंटर फ़र्ज़ी था उसी तरह से ‘बाटला हाउस’ फ़िल्म भी फ़र्ज़ी है. स्वतंत्रता दिवस को इसे रिलीज़ कर न केवल साझी शहादत की ऐतिहासिक विरासत को कलंकित करने का प्रयास किया जा रहा है बल्कि यह एक समुदाय, एक ज़िले और एक गांव को राष्ट्र विरोधी साबित करने की कोशिश है.

ग्रामवासियों ने एक स्वर में कहा कि बाटला हाउस इनकाउंटर के दस साल बाद यह फ़िल्म एक बार फिर उनके ज़ख्मों पर नमक छिड़कने जैसी है. बाटला हाउस इनकाउंटर मामले में अभियुक्त बनाए गए मो. आरिज़ खान का मुक़दमा न्यायालय में विचाराधीन है और उसी इनकाउंटर के आधार पर जयपुर, अहमदाबाद व अन्य धमाकों के मामले में गांव और जनपद से दर्जनों लड़कों को गिरफ्तार किया गया था, उन मुक़दमों की सुनवाई भी अंतिम चरण में है. ऐसे में यह फ़िल्म मुक़दमों के नतीजों को प्रभावित करेगी.

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