India

काश! मेरे चराग़ से रोशन हर चराग़ हो जाए…

ये आरज़ू थी कि इस दुनिया में

कुछ ज़िन्दादिल नौजवान होते

नफ़रत की ज़हर सरहद पर

कुछ मुहब्बत के पासबाँ होते…

काश!

मेरे चराग़ से

रोशन कुछ चरागां होते…

ये आरज़ू थी कि इस मुल्क के नौजवानों को

हम अपने क़ल्ब की सारी हरारतें देते

नाइंसाफ़ी जब भी सर उठाती कहीं

उन्हें चीख पड़ने की राहतें देते…

काश!

मेरे ज़बान की तरह

कुछ हमज़बान भी होते…

ये आरज़ू थी कि हम अपनी दर्सगाहों में

सियासत के फ़रेब फ़ाश कर सकते

जो बन गए हैं रिवायत के मसलहतों के बुत

उनके सब खार साफ़ कर सकते

काश!

मेरे सवालों की तरह

कुछ और भी सवाल होते…

ये आरज़ू थी सियासत के निगेहबानों को

नया ख़्याल, नया दिल, नई नज़र देते

इंक़लाब का नारा बुलंद करने वालों की

तबीयतों में इंक़लाब भर देते…

काश!

मेरे इंक़लाब की तरह

उनके भी इंक़लाब होते…

बस आज मेरी नज़र कामयाब हो जाए

मेरी ये आरज़ू है कि कल इंक़लाब हो जाए

झूठ के सारे हुक्मरानों के

सारे बाक़ी हिसाब हो जाए…

काश!

मेरे चराग़ से

रोशन हर चराग़ हो जाए…

©Afroz Alam Sahil

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