BeyondHeadlines News Desk
पटना: बिहार में पहली बार एनपीआर-एनआरसी-सीएए के विरोध में देश के कई नामचीन सामाजिक व राजनीतिक कार्यकर्ता, फिल्म कलाकार, संस्कृतिकर्मी, बुद्धिजीवी और राज्य की आम जनता एक साथ इकट्ठा हो रही हैं. ये सब पटना के गाँधी मैदान में गुरुवार 27 फरवरी को ‘संविधान बचाओ, नागरिकता बचाओ महारैली’ के लिए एक मंच पर होंगे. सुबह दस बजे से शुरू होने वाली यह महारैली एनपीआर-एनआरसी-सीएए विरोधी संघर्ष मोर्चा की तरफ़ से आयोजित की जा रही है.
कौन-कौन आ रहा है?
अब तक की जानकारी के मुताबिक़ इस रैली में जेएनयू छात्र संघ पूर्व अध्यक्षों कन्हैया कुमार और शकील अहमद खान के साथ ही साथ बॉलीवुड एक्टर और नाइंसाफ़ियों के ख़िलाफ़ मुखर आवाज़ स्वरा भास्कर, सुशांत सिंह, फिल्म निर्देशक अनुराग कश्यप, कश्मीर के मुद्दे पर आईएएस की सेवा छोड़ने वाले कन्नन गोपीनाथन, भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर आज़ाद, जेएनयू छात्र संघ की अध्यक्ष आइशी घोष, महात्मा गांधी प्रपौत्र तुषार गाँधी, पुलिस ज्यादातियों की शिकार कांग्रेस की नेता सदफ़ ज़फ़र, अलका लम्बा, मशहूर सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर, योगेन्द्र यादव, गुजरात के दलित नेता और विधायक जिग्नेश मेवाणी के भाग लेने की ख़बर है. इस रैली में शामिल होने के लिए ख़ास तौर पर दो माँएं- हैदराबाद विश्वविद्यालय के छात्र रोहित वेमूला की माँ राधिका वेमूला और जेएनयू से ग़ायब स्टूडेंट नजीब की माँ फ़ातिमा नफ़ीस आ रही हैं.
इनके अलावा पिछले दिनों आंदोलनों की वजह से सुर्खियों में रहे जेएनयू, जामिया मिल्लिया इस्लामिया, दिल्ली यूनिवर्सिटी, पटना यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट प्रतिनिधि शामिल होंगे.
बिहारी जन से संवाद के लिए ‘जन गण मन यात्रा’
इस महारैली की तैयारी और एनपीआर-एनआरसी-सीएए के ख़तरे के बारे में लोगों को बताने के लिए मोर्चा के बैनर तले ‘जन गण मन’ यात्रा निकाली गई. मोर्चा की ओर से भाकपा नेता कन्हैया कुमार और कदवा के विधायक शकील अहमद खान के नेतृत्व में यह यात्रा बिहार के 38 ज़िलों में गई और इन मुद्दों पर लोगों से सीधे संवाद किया. चम्पारण में गाँधी आश्रम से शुरू हुई इस यात्रा पर नौ बार जानलेवा हमले हुए. इसके बाद भी यह यात्रा बेखौफ़ चलती रही. मोर्चे में शामिल लगभग डेढ़ सौ संगठनों के प्रतिनिधियों ने इस यात्रा में हिस्सा लिया.
एनपीआर-एनआरसी-सीएए सबके लिए बुरा है
संघर्ष मोर्चा के प्रतिनिधि ने कहा, हमारा मानना है कि एनपीआर-एनआरसी-सीएए किसी एक समुदाय पर ही असर नहीं डालेगा. यह समाज के हर समुदाय पर असर डालेगा. हाँ, इससे मुसलमानों के ज्यादा प्रभावित होने की आशंका है. अगर कोई समुदाय यह सोचता है कि वह बच जाएगा तो यह उसकी ग़लतफ़हमी है. इससे कोई बच नहीं पाएगा.
कागज़ दिखाकर नागरिकता मंज़ूर नहीं
मोर्चा के प्रतिनिधि ने साफ़ तौर पर कहा कि आज़ादी के सत्तर साल बाद हम भारत के लोगों को कागज़ दिखाकर नागरिकता साबित करने को कहा जाए, यह हमें मंज़ूर नहीं है. ये क़दम सभी मेहनतकश, गरीब, दलित, आदिवासी, महिला, बुजुर्ग के ख़िलाफ़ है. यह लोगों को काम धंधा छोड़कर लाइन में खड़ा कराने और परेशान करने का तरीक़ा है. यह संविधान के उसूलों के ख़िलाफ़ है. समाज को बांटने का ज़रिया है. हम बांटने की राजनीति के ख़िलाफ़ हैं.
ये है मांगें
इसलिए मोर्चा की मांग अपनी राज्य सरकार से भी है और केन्द्र की सरकारी से भी. हमारी मांग है कि एनपीआर पर तुरंत रोक लगाई जाए. एनआरसी की संभावना रोकी जाए. सीएए को रद किया जाए या वापस लिया जाए.
साझी विरासत बचाने की लड़ाई
मोर्चा इन्हीं मांगों के साथ अब पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान पहुंच रही है. मोर्चा बिहार के सभी लोगों से अपील किया है कि आज़ादी के आंदोलन के शहीदों, पीर अली, गांधी जी, बाबा साहेब अम्बेडकर श्रीकृष्ण बाबू, मौलाना मज़हरूल हक़, जगजीवन बाबू, जेपी, चंद्रशेखर सिंह, कर्पूरी की साझी विरासत को याद कीजिए और इन क़ानूनों का विरोध करने के लिए 27 फ़रवरी को गांधी मैदान आइये.
