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‘आप राफ़ेल ले आए, लेकिन मेरे भाई को ढूंढ कर नहीं ला सकते?’

आईईएस अधिकारी सुबहान अली को ग़ायब हुए 40 दिन से अधिक हो चुके हैं, लेकिन अभी तक उन्हें ढूंढ़ा नहीं जा सका है. परिवार का आरोप है कि जम्मू-कश्मीर के स्थानीय अधिकारियों ने उन्हें तलाश करने का प्रयास ज़रूर किया है, लेकिन भारत सरकार इसमें कोई दिलचस्पी नहीं दिखा रही है.

बता दें कि पिछले 22 जून से आईईएस (भारतीय इंजीनियरिंग सेवा) अधिकारी सुबहान अली लापता हैं. जम्मू-कश्मीर के स्थानीय अधिकारियों द्वारा इनके परिवार को बताया गया है कि सुबहान 22 जून को एक सड़क दुर्घटना में अपने जिप्सी समेत खाई में गिर गए. इनके साथ पंजाब के पलविन्दर सिंह भी थे. उस वक़्त जिप्सी पलविन्दर ही चला रहे थे. कुछ दिनों बाद जिप्सी खाई से बरामद कर ली गई. उसके चंद रोज़ बाद ही पलविन्दर सिंह की लाश मिली. लेकिन सुबहान अभी तक लापता हैं. इनका कहीं से कोई सुराग़ नहीं मिला है.

सुबहान अली के बड़े भाई शहबान अली कहते हैं, ‘ये कितने दुर्भाग्य की बात है कि भारत सरकार अभी तक अपने एक अधिकारी को तलाश नहीं कर पा रही है. वो जिस भी हालत में हो, परिवार वालों को उन्हें सौंप देना चाहिए. ज़रा सोचिए, हम देश में राफ़ेल ले आए, लेकिन हमारे भाई को ढूंढ़ कर नहीं ला सकते…’

अब तक नहीं मिली कामयाबी

शहबान बताते हैं कि सुबहान हर रोज़ शाम में वीडियो कॉल के ज़रिए घर वालों से बात करता था, लेकिन 22 जून की शाम उसका कॉल नहीं आया. हमें थोड़ी उसकी चिंता हुई तो उसके एक अधिकारी को कॉल किया. उन्होंने किसी और अधिकारी का नंबर दिया, लेकिन उस अधिकारी ने ये कहते हुए बात नहीं की कि हम अपने अधिकारियों की कोई जानकारी शेयर नहीं कर सकते.

वो आगे बताते हैं कि अगले दिन भी हम परेशान रहे. न सुबहान का कॉल लगा और न ही किसी से कोई जानकारी हासिल हुई. अगली सुबह सुबहान के एक अधिकारी का मोबाईल पर मैसेज़ आया जिसमें लिखा था — ‘पॉजीटिव थिंकिंग ये नहीं होती कि जो हो वो अच्छा हो, बल्कि ये भी सोचना चाहिए कि जो हुआ है वो भी अच्छे के लिए हुआ है…’ ये कहते ही शहबान रो पड़ते हैं.

ये पूछने पर कि आगे क्या हुआ? अपनी आंखों के आंसू पोछने की कोशिश करते हुए बताते हैं कि मैं अपने बहनोई व अपने कज़न के साथ लद्दाख गया. वहां हमें काफ़ी अच्छे से ट्रीट किया गया, साथ ही ये मजबूरी भी बताई गई कि क़रीब पांच हज़ार फ़ीट गहरी खाई में किसी को ढ़ूंढ़ पाना काफ़ी मुश्किल है. नीचे नदी का पानी काफ़ी ठंडा है, शायद लाश उसके अंदर जम गई होगी. 15-20 दिनों बाद जब बॉडी डिकम्पोज़ होगी तो वो ऊपर नज़र आने लगेगी. ये कहते हुए शहबान फिर से रो पड़ते हैं. हालांकि शहबान एक बार फिर से लद्दाख गए और स्थानीय प्रशासन व लोगों की मदद से अपने भाई को हर तरह से तलाश करने की कोशिश की, लेकिन कामयाबी हाथ नहीं लगी.

भारत सरकार से भाई शहबान की अपील

शहबान ने एक बार फिर से रक्षा मंत्रालय और भारत सरकार से अपील की है कि वह अपने अधिकारी और उनके भाई सुबहान को सर्च करने में और ज़्यादा साधनों का सहारा लें. सरकार के लिए ये काम मुश्किल नहीं है.

वहीं बॉर्डर रोड ऑर्गनाइज़ेशन के कमान अधिकारी बी. किशन ने 25 जून को सुबहान के पिता रमज़ान अली को उनके घर के पते पर पत्र लिखकर बताया कि हम आपके बेटे की तलाश के लिए स्थानीय पुलिस व एसडीआरएफ़ के साथ भरपूर कोशिश में लगे हुए हैं, लेकिन अभी तक कामयाबी नहीं मिली है.

उन्होंने इस पत्र में यह भी बताया है कि दराज़ नदी का बहाव बहुत तेज़ है और पानी काफ़ी ठंडा है जिसके वजह से कोई भी नदी में जाकर सर्च करने के स्थिति में नहीं है. अधिकारी इस बात का इंतेज़ार कर रहे हैं कि जब 15 से 20 दिनों में शरीर फूल कर ऊपर आएगा तभी बाहर निकाला जा सकता है. लेकिन यहां बता दें कि अब 40 दिन से अधिक गुज़र चुके हैं.

कौन हैं सुबहान अली? 

सुबहान अली उत्तर प्रदेश के बलरामपुर ज़िले के कौवापुर क़स्बा क्षेत्र के जयनगरा गांव के निवासी हैं. इनके पिता रमज़ान अली कपड़ा सिलने का काम करते हैं. काफ़ी मुश्किलों से अपने दोनों बेटों को पढ़ाया. बड़ा बेटा सुबहान इन दिनों दिल्ली के जामिया नगर इलाक़े में आईएएस मेंटोर नामक कोचिंग चलाते हैं. वहीं, दिल्ली के जामिया मिल्लिया इस्लामिया और आईआईटी दिल्ली के छात्र रहे सुबहान ने साल 2018 में यूपीएससी के सिविल इंजीनियरिंग ट्रेड में 24वीं रैंक हासिल की.

अप्रैल 2020 में उनकी तैनाती रक्षा मंत्रालय में सिविल इंजीनियर पद पर लेह में कर दी गई. वहां सुबहान भारत-चीन सीमा पर मीना मार्ग से द्रास तक सड़क निर्माण का निरीक्षण कार्य देख रहे थे. लेकिन ये काम फिलहाल बंद होने की वजह से इनकी ड्यूटी कारगिल क्षेत्र में बने लद्दाख के मीणा मार्ग पर स्थित क्वारंटाइन सेंटर में लगा दी गई, जहां बाहर से आए क़रीब 700 मज़दूरों को क्वारंटाइन किया गया था.

बताया जाता है कि 22 जून को सुबहान भारत-चीन सीमा पर सड़क का निरीक्षण करने गए थे. निरीक्षण के दौरान उनकी जिप्सी अनियंत्रित होकर खाई में पलट गई थी.

इस घटना के बाद से ही लगातार सुबहान के परिजनों का बुरा हाल है. परिजनों से मिली जानकारी के मुताबिक़ सुबहान की मां की तबीयत बेहद ख़राब है, वहीं सुबहान के एक कज़न की सदमे की वजह से मौत भी हो गई. 27 जुलाई को सुबहान की शादी भी तय थी. इसके पहले इनकी शादी की तारीख़ अप्रैल में रखी गई थी, लेकिन लॉकडाउन की वजह से उस तारीख़ को आगे बढ़ा दिया गया था.

फिलहाल शाहबान अली अपने भाई की वर्दी के साथ लद्दाख से एक बार फिर वापस लौट आए हैं. उन्हें उम्मीद है कि शायद अभी भी उनका भाई ज़िन्दा है. वो वापस ज़रूर लौटेगा. नहीं तो भारत सरकार का रक्षा मंत्रालय उनके भाई की लाश उनके परिवार वालों को सौंपे.

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