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Reading: 14 साल जेल में रहे बेगुनाह आमिर को 5 लाख की मदद
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14 साल जेल में रहे बेगुनाह आमिर को 5 लाख की मदद

Beyond Headlines
Beyond Headlines Published September 20, 2012
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7 Min Read
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BeyondHeadlines News Desk

18 साल का आमिर एक दिन मां के लिए दवा लाने घर से निकला और लौट कर नहीं आया. आमिर के बदले घर लौटकर उसके आतंकवादी होने की ख़बर आई. भारत में जन्मा, पला-बढ़ा, खेला-कूदा आमिर चंद दिनों में ही पाकिस्तानी हो गया. आमिर पर बम धमाके करने, आतंकी साजिश रचने और देश के खिलाफ़ युद्ध करने जैसे संगीन आरोप लगे. 18 साल की उम्र में आमिर पर 19 मामले दर्ज हुए थे. और इस मामलों के साथ ही एक लंबी कानूनी जंग शुरु हुई जो 1998 में शुरु होकर साल 2012 तक चली. जनवरी 2012 में आमिर को तमाम आरोपों से बरी कर दिया गया.

दिल्ली-6 के आमिर ने बेगुनाही के जो 14 साल जेल में काटे हैं, उन्हें तो कोई  नहीं लौटा सकता, लेकिन अब जब वो बेगुनाह है तो उसकी इतनी मदद तो की ही जा सकती है कि आगे जो जिन्दगी बची है, उसे वो चैन व सूकुन से काट सके. इसी मक़सद के तहत गुरुवार को दिल्ली के एक संगठन एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राईट्स (एपीसीआर) ने आमिर को मदद के तौर पर पांच लाख रूपये का चेक दिया.

साथ ही हौसला अफ़ज़ाई के लिए एक सम्मान समारोह भी जमाअत-ए-इस्लामी हिन्द के सेमिनार हॉल में आयोजित किया.

आमिर का केस लड़ने वाले एडवोकेट फिरोज़ खान ग़ाज़ी ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा, ‘ज़रा सोचिए… उम्र 18 साल और केस की संख्या 19… फिर भी आमिर के चेहरे पर हमेशा हमने एक यक़ीन देखा. यह यक़ीन कानून पर भरोसे का है. देश में मिलने वाले इंसाफ का है.’

उन्होंने आगे कहा, ‘पुलिस हर मामले में झूठे गवाह पेश करती है. और हमें इन गवाहों में से ही कई ऐसे गवाह मिले, जिन्होंने हमारे केस को और आसान बनाया.’

जब मीडिया ने इस बेगुनाह आमिर को पाकिस्तानी बताकर प्रचारित करना शुरू किया तब कोई भी वकील आमिर का केस लड़ने को तैयार नहीं था. आमिर के बारे में पढ़कर वकील एन.डी. पांचोली आमिर के पास पहुंचे. उन्हें आमिर से मिलते ही यक़ीन हो गया कि आमिर बेगुनाह है. और फिर उन्होंने आमिर के इंसाफ के लिए लड़ने का फैसला किया.

जब आमिर को सम्मानित किया जा रहा था तब पांचोली भी आमिर की हौसला अफ़ज़ाई के लिए मौजूद थे. उन्होंने कहा, ‘ज़रा सोचिए! जिस घर का बच्चा दहशतगर्दी के इल्जाम में जेल जाता है, उसके घर पर क्या गुज़रती है. सारा घर तबाह व बर्बाद हो जाता है. आमिर के पिता भी इंसाफ के लिए कोर्ट का चक्कर लगाते रहे और इसी दौरान अल्लाह को प्यारे हो गए. उसके बाद मां इंसाफ के लिए कोर्ट का चक्कर लगाती रहीं और फालिज़ की शिकार हैं. खैर, सारे लोग बूरे नहीं होते. हर क़ौम में अच्छे लोग मौजूद है, चाहे वो पुलिस में हो, जज हो या फिर वकील…’ वो आगे कहते हैं कि ‘समाज का कमज़ोर वर्ग हमेशा सताया जाता है. हम तमाशबीन न बने, बल्कि ऐसे लोगों की मदद करें.’

जमाअत-ए-इस्लामी के अध्यक्ष जलालुद्दीन उमरी बताते हैं कि ‘इस देश में इंसाफ पसंद लोग मौजूद हैं, उन्हें एक जगह इकट्ठा करने की ज़रूरत है, क्योंकि न जाने कितने आमिर हिन्दुस्तान के अलग-अलग जेलों में बंद हैं. हमें उनकी मदद के लिए आगे आना चाहिए.’

जब आमिर ने अपनी बात रखी तो हाल में खामोशी छा गई. 14 साल जेल में सज़ा काट चुके आमिर की कहानी इंसान को अंदर तक झकझोर देती है. आमिर मानता है कि उसे अरैस्ट नहीं, बल्कि किडनैप किया गया था. वो कहता है कि मुझे अपनी बेगुनाही साबित करने में 14 साल लग गए. इन 14 सालों के बाद जब मैं जेल से बाहर आया तो मेरी दुनिया ही बदल चुकी थी. बाप इस दुनिया को अलविदा कह चुके थे. मां के मुंह से आज भी बेटा सुनने को तरसता हूं. वो कहता है कि मैंने जो कुछ सहा, वो तो मैं बयान कर कता हूं, लेकिन जो कुछ मेरे मां-बाप ने सहा उसे कोई बयान नहीं कर सकता…

हमारे क़ौम में दावे और वादें बहुत ज़्यादा हैं और काम ना के बराबर… अगर वादों व दावों का 40 फीसद भी काम कर लिया जाए तो पूरे क़ौम की हालत सुधर सकती है… जो और लड़के मेरी तरह जेलों में बंद हैं, उनकी मदद के लिए भी हमें आगे आना चाहिए… पत्थर को तो बर्दाश्त किया जा सकता है, लेकिन जब अपने ही आपसे अपना मुंह मोड़ लें तो आप क्या करेंगे….

सबसे खास बात यह है कि आमिर बेगुनाह होते हुए भी 14 साल जेल में रहने व पुलिसिया ज़ुल्म सहने के बाद भी मायूस नहीं है. उसका मानना है कि इस देश में न्याय ज़रूर मिलता है, चाहे वो भले ही देर से मिले. मैं आज भी न्यायपालिका का आदर करता हूं. मैंने जेल में रहते हुए इस बात को महसूस किया है कि आज भी देश में सेक्यूलर लोग मौजूद हैं.

आमिर को इससे पहले नई दिल्ली में एक समारोह के दौरान लेनिन रघुवंशी के संगठन प्यूपूल विजिलेंस कमिटी ऑन ह्यूमन राईट्स (पी.वी.सी.एच.आर.) ने पुरस्कार से नवाजा और 60 हजार रुपये की आर्थिक मदद भी की थी.

हालांकि आमिर का मानना है कि जो मदद सरकार को करनी चाहिए थी वो समाज के लोग कर रहे हैं. वो पिछले 8 महीनों से सरकारी मुवाअज़ा के लिए दफ्तरों का चक्कर काट रहा है. इसके लिए उसने प्रधानमंत्री को एक पत्र भी लिख चुका है.

पांच लाख रूपये का चेक पाकर वो आज थोड़ा सा खुश ज़रूर था और उसे उम्मीद है कि आगे की जिन्दगी में थोड़ी खुशी आने वाली है. फिलहाल वो अपनी शादी की तैयारियों में व्यस्त है, जो कि अगले महीने 15 अक्टूबर को है.

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