BeyondHeadlines News Desk
आतंकवाद के नाम पर हर साल सैंकड़ों युवाओं को गिरफ्तार किया जाता है. शुरू में गिरफ्तारी फ्रंट पेज न्यूज़ बनती है. फिर गिरफ्तार युवाओं के साथ-साथ उनके परिजनों की जिंदगी बर्बाद होती है और इसके साथ ही शुरू होती है लंबी कानूनी प्रक्रिया… लेकिन जब अदालत जेल में कई साल बिताने के बाद मुलजिमों को बरी करती है तब उनकी बेगुनाही सिंगल कॉलम ख़बर तक नहीं बन पाती.
जेल से रिहा हुए बेगुनाहों के मानव अधिकारों के हनन का मुआवजा तो दूर सरकार इस बात तक की फिक्र नहीं करती कि जेल में जवानी बिता चुके ये लोग अब जीवन कैसे चलाएंगे? अपने ही शहरियों के साथ सरकार के इस बर्ताव के खिलाफ़ दिल्ली में पिछले पांच दिन से भूख हड़ताल जारी है.
लोक जनशक्ति पार्टी से जुड़े अमानतुल्लाह खान 26 नवंबर से भूख हड़ताल कर रहे हैं. वो सुबह पानी पीकर रोजा रखते हैं और शाम को भी पानी से ही रोजा खोलते हैं. पांचवे दिन अमानतुल्लाह की तबियत भी थोड़ी बिगड़ी, लेकिन प्रशासन ने ख़बर तक नहीं ली.
अमानतुल्लाह की मांग है कि आतंकवाद के इल्जाम में जेलों में बंद लोगों के मुक़दमों की सुनवाई के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट का गठन हो और रोजाना सुनवाई हो ताकि फैसले जल्दी आ सकें. उनकी सबसे प्रमुख मांग यह है कि गिरफ्तारी के बाद बेगुनाह साबित होने वाले लोगों के पुनर्वास के लिए सरकार उन्हें नौकरी और मुआवजा दे. साथ ही अब तक अदालतों ने जिन लोगों को बेक़सूर क़रार दिया है सरकार उन्हें सरकारी नौकरी और मुआवजा दे.
अमानतुल्लाह की मांग है कि सरकार आतंकवाद के मुक़दमों की सुनवाई के लिए समय सीमा निर्धारित करे ताकि गुनाहगारों को जल्दी सजा मिल सके और बेगुनाहों की जिंदगी के कीमती साल बर्बाद न हो सकें.
भारतीय जांच एजेंसियां अक्सर आतंकवाद के पीछे इंडियन मुजाहीदीन के होने की बात करती हैं. अमानतुल्लाह की मांग है कि सरकार इस पर संसद में व्हाइट पेपर लाए.
आमतौर पर गिरफ्तारियों के दौरान पुलिस तमाम कानूनों की अनदेखी करती है. उनकी एक मांग यह भी है कि किसी भी व्यक्ति की गिरफ्तारी के दौरान डी के बसु द्वारा निर्धारित की गईं गाइडलाइंस का सख्ती से पालन किया जाए.
दूसरी ओर लोकजनशक्ति पार्टी के राज्यसभा सांसद राम विलास पासवान ने 26 नवंबर को राज्यसभा में प्रश्न पूछकर सरकार से यह भी जानना चाहा कि क्या सरकार जेल से छूटे बेगुनाहों के पुनर्वास के लिए कोई योजना चला रही है. इस पर सरकार का जवाब था कि जानकारी इकट्ठा की जा रही है. वहीं कई पार्टियों के सांसदों का एक दल पिछले चार दिन से इस मुद्दे पर बात करने के लिए प्रधानमंत्री से वक्त लेने की कोशिश कर रहा है लेकिन अभी तक वक्त नहीं मिला है. यदि पीएम ने वक्त नहीं दिया तो इस मुद्दे पर लोकसभा में भी उठाया जाएगा.