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सन् 2020 तक गरीबी नहीं गरीबों को मिटाना चाहती है सरकार

Beyond Headlines
Beyond Headlines Published December 7, 2012 1 View
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4 Min Read
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Fehmina Hussain for BeyondHeadlines

हमारी सरकार सन् 2020 तक इस देश से गरीबी का खात्मा करना चाहती है, लेकिन यह विडंबना ही है कि हमारे देश के योजना आयोग के पास गरीबी का कोई भरोसेमंद आंकड़ा नहीं है.

इस तथ्य का खुलासा संसद की एक एक स्थाई समिति ने किया. संसद की एक स्थायी समिति ने योजना आयोग के रवैये पर असंतोष प्रकट करते हुए कहा है कि देश में कितने लोग गरीबी रेखा के नीचे हैं, इस बारे में योजना आयोग के पास भरोसेमंद आंकड़ें नहीं हैं. समिति ने आयोग से उस घोषणा के बारे में भी सवाल किया है कि जिसमें उसने 2020 तक गरीबी मिटाने का दावा किया था.

इससे बड़ा मज़ाक औऱ क्या हो सकता है कि इतने महत्वपूर्ण सवाल पर आयोग ने गोलमोल जवाब देकर अपनी घोषणा से पल्ला झाड़ने की कोशिश की. साथ ही आयोग यह भी बताने में नाकाम रहा कि इस देश में कितने लोग गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रहे हैं.

हालांकि पिछले महीनों योजना आयोग की ओर से जारी पिछले पांच साल के तुलनात्मक आंकड़ें कहते हैं कि 2004-05 से लेकर 2009-10 के दौरान देश में गरीबी 7 फीसदी घटी है और गरीबी रेखा अब 32 रुपये प्रतिदिन से घटकर 28 रुपए 65 पैसे प्रतिदिन हो गई है. योजना आयोग के साल 2009-2010 के गरीबी आंकड़े कहते हैं कि पिछले पांच साल के दौरान देश में गरीबी 37.2 फीसदी से घटकर 29.8 फीसदी पर आ गई है.

यानी अब शहर में 28 रुपए 65 पैसे प्रतिदिन और गांवों में 22 रुपये 42 पैसे खर्च करने वाले को गरीब नहीं कहा जा सकता. नए फार्मूले के अनुसार शहरों में महीने में 859 रुपए 60 पैसे और ग्रामीण क्षेत्रों में 672 रुपए 80 पैसे से अधिक खर्च करने वाला व्यक्ति गरीब नहीं है.

लेकिन विश्लेषकों की मानें तो योजना आयोग की ओर से निर्धारित किए गए ये आंकड़े भ्रामक हैं और ऐसा लगता है कि आयोग का मक़सद ग़रीबों की संख्या को घटाना है ताकि कम लोगों को सरकारी कल्याणकारी योजनाओं का फ़ायदा देना पड़े.

भारत में ग़रीबों की संख्या पर विभिन्न अनुमान हैं. आधिकारिक आंकड़ों की मानें, तो भारत की 37 प्रतिशत आबादी ग़रीबी रेखा के नीचे है. जबकि एक दूसरे अनुमान के मुताबिक़ ये आंकड़ा 77 प्रतिशत हो सकता है.

दूसरी तरफ साल 2011 मई में विश्व बैंक की एक रिपोर्ट में भी यह तथ्य सामने आया था कि ग़रीबी से लड़ने के लिए भारत सरकार के प्रयास पर्याप्त साबित नहीं हो पा रहे हैं.

यही नहीं, हाल ही में जारी हुए अंतरराष्ट्रीय आंकड़ों के अनुसार 81 सबसे भूखे देशों में भारत का 15वां स्थान है. कुल जनसंख्या का कितना प्रतिशत कुपोषित है? देश में कितने बच्चे कम वजन के हैं और पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर कितनी है? इन तीनों सवालों में पाकिस्तान, नेपाल, युगांडा जैसे देश भारत से अच्छी स्थिति में हैं.

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