पाँच सरकारी दवा कंपनियों के भरोसे है देश का हेल्थ!

Beyond Headlines
2 Min Read

Ashutosh Kumar Singh for BeyondHeadlines

आप सभी को जानकर हैरत होगी कि हिन्दुस्तान के पास सार्वजनिक क्षेत्र की पाँच दवा कंपनियां हैं जिनके जिम्मे देश के 125 करोड़ लोगों को दवा मुहैया कराने की जिम्मेदारी है. इससे भी हैरत की बात यह कि एक लाख करोड़ से ज्यादा सालाना टर्नओवर वाली फार्मा इंडस्ट्री में सरकार की पांचों कंपनियों (के.ए.पी.एल, आर.डी.पी.एल, एच.ए.एल, बी.सी.पी.एल और आई.डी.पी.एल) ने मिलकर 2010-11 में 533 करोड़ रूपये की दवाइयों का उत्पादन किया और 522 करोड़ रूपये की बिक्री. यह आंकड़ा यह बताने के लिए पर्याप्त है कि सरकार खुद दवा बनाने को लेकर कितनी संजीदा है.

गौरतलब है कि आम आदमी अपने हेल्थ बजट का 72 प्रतिशत केवल दवाइयों पर खर्च कर देता है. बावजूद इसके सरकार ने आज तक सरकारी दवा कंपनियों को बढ़ावा देने के लिए कोई कारगर क़दम नहीं उठा पायी है.

मीडिया में प्रकाशित एक रिपोर्ट में देश में तकरीबन 25000 निजी दवा कंपनियों का आंकड़ा दिया गया है. ऐसे में यह बहुत ही गंभीर प्रश्न उठता है कि जिस देश में हजारों की तादाद में प्राइवेट दवा कंपनियां है वहां महज पांच सरकारी दवा कंपनियों के होने का क्या मतलब है!

कुछ तथ्य:

• पांचों दवा कंपनियों का 2010-11 टर्नओवर है 533 करोड़
• देश का फार्मा बाजार का सालाना टर्नओवर 1 लाख करोड़ से भी ज्यादा है
• 25000 से ज्यादा नीजी दवा कंपनियां है इस देश में

(लेखक स्वस्थ भारत विकसित भारत अभियान चला रही प्रतिभा-जननी सेवा संस्थान के नेशनल को-आर्डिनेटर व युवा पत्रकार हैं.)

Share This Article