BeyondHeadlines News Desk
लखनऊ : सरकार ने 20 जुलाई को रिहाई मंच के धरने के दो महीने पूरे होने पर आयोजित होने वाली नमाज ए मग़रिब इज्तमाई (संयुक्त) दुआ को रोकने के लिए पुलिस प्रशासन से 59 दिनों से चल रहे धरने के मंच को कल रात उखाड़ फेंकवाया.
रमज़ान के पाक महीने में इसी मंच पर रोजेदार नमाज़ अदा करते थे, जो सरकार की आंख की किरकिरी बन चुके थे. 17 जुलाई को स्थानीय पुलिस चौकी इंचार्ज ने कहा था कि आपके धरने पर सांप्रदायिक लोग आते हैं और हम यह धरना नहीं चलने देंगे. आप हमारे वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को आतंकवाद में संलिप्त होने जैसे आरोप लगाते हैं. इस बात चीत के दौरान वहां आरएसएस का एक संदिग्ध व्यक्ति था जो पहले से वहां बैठकर इस आंदोलन को रोकने के लिए बात-चीत कर रहा था, ने कहा कि आरएसएस एक संवैधानिक संस्था है उसके खिलाफ आप नहीं बोल सकते और पुलिस चौकी इंचार्ज सिरोही ने कहा कि आप के मंच पर जो होता है वो हम नहीं होने देंगे.
रिहाई मंच ने साफ कर दिया कि हमारे मंच पर हमारे वक्ता अपने विचार व्यक्त करते हैं और रमजान के पाक महीने में रोजेदार नमाज़ अदा करते हैं. आप बताएं की कहां से यह सांप्रदायिक है, जिस पर उसने बोला कि हम धरना नहीं चलने देंगे और कल रात सिरोही और सिपाहियों ने धरने के लिए बने मंच को उखाड़ फेंका.
भारी बारिश के बीच खुले आसमान के नीचे धरने पर बैठे लोगों को संबोधित करते हुए मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित गांधीवादी नेता संदीप पांडे ने कहा कि सरकार इस मुगालते में न रहे कि टेंट उखाड़ देने से रिहाई मंच खालिद के हत्यारे पुलिस अधिकारियों की गिरफ्तारी और निमेष कमीशन की रिपोर्ट पर अमल करने की मांग करना छोड़ देगा.
उन्होंने कहा कि यह इंसाफ की लड़ाई है और इसमें शामिल लोग अंतिम दम तक लड़ेंगे चाहे हमारे ऊपर सरकार लाठी और गोली ही क्यों न चलावा दे.
धरने को संबोधित करते हुए रिहाई मंच के अध्यक्ष मोहम्मद शुऐब ने कहा कि खालिद के इंसाफ के लिए चल रहे धरने का मंच उखड़वाकर सपा सरकार ने साबित कर दिया है कि इंसाफ की मांग करने वालों के साथ वह किसी भी हद तक जा सकती है.
उन्होंने कहा कि सपा अब मुसलमानों के बीच इस घटना के बाद पूरी तरह बेनकाब हो गई है और इस घटना के बाद अब सपा की उल्टी गिनती शुरु हो गई है.
उन्होंने अवाम से अपील की कि कल खालिद के न्याय के लिए चल रहे धरने के दो महीने पूरे होने पर और नमाज़ ए मगरिब इज्तमाई (संयुक्त) दुआ के लिए खुद छाता लेकर आएं. क्योंकि यह सरकार नहीं चाहती कि हम अपनी लोकतांत्रिक मांग और धार्मिक फर्ज को बारिश के दौरान टेंट की सुरक्षा के नीचे कर पाएं.
मोहम्मद शुऐब ने अवाम से अपील की कि जो किसी वजह से धरना स्थल पर हो रही दुआ में न शामिल हो सकें वो जहां भी हों वो बाद नमाज़ ए मगरिब जेलों में बंद बेगुनाहों की रिहाई एवं सपा के बेज़बान मुस्लिम मंत्रियों और विधायकों को ज़बान अता करने की दुआ करें.
धरने को संबोधित करते हुए मुस्लिम मजलिस के नेता जैद अहमद फारुकी ने कहा कि संविधान हमारे धार्मिक और लोकतांत्रिक अधिकारों की रक्षा की गारंटी की जिम्मेदारी इस जम्हूरी निजाम में सरकारों को देता है. पर जिस तरह से पिछले 59 दिनों से चल रहे पुलिस व आईबी की साम्प्रदायिकता व देश को फांसीवाद के रास्ते पर ले जाने वाले आरएसएस जैसे संगठनों की सांप्रदायिकता और आतंकवाद के नाम पर बंद बेगुनाह मुस्लिम युवकों की रिहाई के आंदोलन हो जिस तरीके से पुलिस के बल पर तोड़ने की कोशिश कि उसे मिल्लत बर्दाश्त नहीं करेगी.
मुलायम को लगता है कि पुलिस के बल पर आंदोलन और नमाज़ व दुआ को रोक लेगें तो यह उनका भ्रम है. हमारा धर्म कहता है कि जिस व्यवस्था में हम रहें उस व्यवस्था को जालिम हुक्मरां से बचाना हमारी मज़हबी जिम्मेवारी भी है और हम उस जिम्मेवारी को पूरा करेंगे.
रिहाई मंच के प्रवक्ता शाहनवाज़ आलम और राजीव यादव ने कहा कि देवबन्द में जमातियों पर सपा हुकूमत की पुलिस द्वारा लाठी चार्ज और भाजपा नेता के घर से जमातियों पर हुई फायरिंग और महोबा जेल में बंद रज्जाक नाम के कैदी को जेल प्रशासन द्वारा नमाज पढ़ने से रोकने, जिसके बाद कैदी ने आत्म हत्या की कोशिश की से साफ हो गया है कि संघ परिवार की गोद में बैठने के लिए सपा यूपी को गुजरात बना देने पर तुल गई है. लेकिन उन्हें यह नहीं भूलना चाहिए कि वे अगर ऐसा करेंगे तो मायाबेन कोडनानी और बंजारा की तरह सरकार के नेता और पुलिस अधिकारी भी जेल जांएगे.
आज़मगढ़ रिहाई मंच के नेता तारिक शफीक ने कहा कि पूर्व विधायक और पिछले चुनाव में परिवहन मंत्री दुर्गा प्रसाद यादव के खिलाफ चुनाव लड़ने वाले और उनके साथियों की दिन दहाड़े हुई हत्या के बाद यह कह पाना मुश्किल हो गया है कि गुंडे सरकार चला रहे हैं या सरकार गुंडागर्दी करवा रही है.
उन्होंने रिहाई मंच के टेंट को उखाड़ने वाले धरना स्थल चौकी इंचार्ज सिराही को तत्काल निलंबित करने की मांग की.
भारतीय एकता पार्टी के नेता सैय्यद मोईद अहमद ने कहा कि पिछले दिनों नरही स्थित मस्जिद नूर महल में कुछ पुलिस के वाले दारु के नशे में धुत होकर नमाजियों से अभद्रता और मस्जिद की बेहुरमती की और आज इसी सपा सरकार की पुलिस खालिद के इंसाफ की जंग को रोकने के लिए रिहाई मंच के टेंट को उखाड़ फेंकवाया.
उन्होंने कहा कि आडवानी की तारिफ करते-करते मुलायम के अंदर आडवानी की आत्मा प्रवेश कर गई है और वो हर काम कर रहें हैं जो आरएसएस के दहशतगर्द करते हैं. कल नमाज़ ए मगरिब में दुआ मांगने के लिए सभी इंसाफ पसन्द अवाम आएं. इस आयोजन में अफ्तार का आयोजन किया जाएगा. इस आयोजन में शामिल होने वाले सभी लोग कल छतरी जरुर लाएं क्योंकि हमारे प्लास्टिक कोटेड मंच को उखाड़ फेंका गया है.