अब ये ना कहिएगा कि क्या भाजपाई ‘साम्प्रदायिक सदभाव’ के प्रचारक नहीं हो सकते!

Beyond Headlines
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Mahtab Alam for BeyondHeadlines

बियॉन्ड हेडलाइंस ने ‘एक मस्जिद जहां गूंजता है गायत्री मंत्र’ के शीर्षक के साथ एक स्टोरी (http://beyondheadlines.in/2013/07/a-mosque-where-gayatri-mantra-echoes/) छापी है. कहानी कुछ यूँ है…

mahtab alamअभिनव उपाध्याय लिखते हैं: ” रमजान के महीने में जहां हर मस्जिदों से अजान की गूंज सुनाई देती है, वहीं पुरानी दिल्ली के मीर दर्द रोड स्थित मक्की मस्जिद मेहदियान से गायत्री मंत्र की आवाज़ आए तो चौंकना लाज़िमी है लेकिन यह सच है. देश में एक तरफ जहां लोग धर्म और जाति के नाम पर एक दूसरे धर्म के बीच हिंसा फैलाने केलिए उकसा और भड़का रहे हैं, वहीं राजधानी में अंजुमन अमन दोस्त इंसान दोस्त समिति के लोग देश भर में भाईचारा बहाल करने के लिए हर महीने के पहले रविवार को सभी धर्मों के धर्मगुरुओं के साथ बैठक करते हैं. जहां समिति के राष्ट्रीय महामंत्री मोहम्मद बिलाल शबगा गायत्री मंत्र बोलने के बाद अपनी बात शुरू करते हैं.” आगे ये भी लिखा है कि “इस समिति के संस्थापक आरिफ़ बेग बताते हैं कि यहां सभी धर्मों के लोग आते हैं और यह समिति 30 साल से लगातार बैठक कर रही है.”

हरेक अमन-पसंद इन्सान इसे एक सार्थक और सकारात्मक पहल के तौर पर देखेगा, सो मैंने भी देखा. इस स्टोरी के लेखक की तरह. लेकिन मैं इस समिति के बारे में जानना चाहता था कि ये कौन लोग हैं, इतना अच्छा काम किस तरह से अंजाम दे रहे हैं. क्या इसे आगे बढ़ाने में कोई मदद की जा सकती सकती है क्या? सो मैंने इनके बारे में जानकारी जुटाने की कोशिश शुरू कर दी, इस उम्मीद के साथ कि जल्द ही पुरानी दिल्ली जाकर खुद देखूंगा. और जब कभी भी भोपाल जाने का मौक़ा मिला तो ज़रूर आरिफ़ बेग साहेब से मुलाकात करूँगा. पर इस से पहले कि पुरानी दिल्ली और भोपाल में इनके बारे दोस्तों से पूछा जाय, मैंने मुनासिब समझा कि गूगल बाबा का सहारा लिया. फिर क्या था, गूगल बाबा ने मिनटों नहीं सेकंडों में समिति के संस्थापक जनाब आरिफ़ बेग जी की कर्म-कुण्डली मेरे सामने पेश कर दी.

पर बाबा ने आरिफ साहेब की जो कुण्डली पेश की, उसे पढ़कर मैं अभिनव के ‘रमज़ान के महीने में एक मस्जिद से गायत्री मंत्र की आने वाली आवाज़’ से ज्यादा चौंक गया. दरअसल बात ही कुछ ऐसी थी. आप खुद ही पढ़ें कि विकिपीडिया और दूसरे स्रोत उनके बारे में क्या कहते हैं?

विकिपीडिया (http://en.wikipedia.org/wiki/Arif_Beg)

“Arif Beg is a former federal Indian minister (1977–1980) and a Bharatiya Janta Party leader. He hails from Madhya Pradesh state. He had left the party in 1996 however returned to it in 2003. In 1977 he ran for parliament on the Bharatiya Lok Dal ticket from Bhopal and won the seat. In 1989 he was elected to the Lok Sabha from the Betul constituency”.

12 अक्टूबर 2003 को दि हिंदु में छपी एक ख़बर (http://hindu.com/thehindu/2003/10/12/stories/2003101205290800.htm) से ऊपर दी गई जानकारी और पुख्ता हो जाती है.

मतलब, बेग साहेब बुनयादी तौर पर भाजपाई हैं.

अब ये मत कहिएगा कि क्या भाजपाई  ‘साम्प्रदायिक सदभाव’ के प्रचारक नहीं हो सकते!

(महताब आलम… बुनियादी तौर पर मानवाधिकार कार्यकर्ता, लेकिन ज़रूरत भर लिखने के लिए स्वघोषित स्वतंत्र पत्रकार. दिल्ली में ठिकाना है, पर घुमंतू भोटिया… महताब से activist.journalist@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है.)

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