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BeyondHeadlines > India > सपाई लूटतंत्र को बचाने के लिए मुसलमानों को ढाल न बनाए सरकार
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सपाई लूटतंत्र को बचाने के लिए मुसलमानों को ढाल न बनाए सरकार

Beyond Headlines
Beyond Headlines Published August 3, 2013
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7 Min Read
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BeyondHeadlines News Desk

लखनऊ : प्रदेश सरकार जिस तरह से सियासत के लिए अवाम को दंगे की आग में झोंक रही है और जिस तरह से गौतम बुद्ध नगर की आईएएस अधिकारी के नाम पर खनन माफियाओं को बचाने और मुद्दे को सांप्रदायिक तूल देने की कोशिश की उसने अखिलेश यादव के सांप्रदायिक चेहरे को एक बार फिर सामने ला दिया कि कैसे सरकार मुसलमानों को ढ़ाल बनाकर भ्रष्टाचार का खेल-खेलने की नाकाम कोशिश कर रही है.

रिहाई मंच के अध्यक्ष मोहम्मद शुऐब ने कहा कि जिस तरीके से गौतमबुद्ध नगर मामले में खनन माफियाओं की बात सामने आ रही है ऐसे में हम अखिलेश यादव से पूछना चाहेंगे कि जिस तरीके से सांप्रदायिकता को रोकने का झूठा तर्क व तत्परता इस मामले में की उन्होंने आखिर कोसी कलां दंगे में जुड़वा भाईयों कलुआ और भूरा को जिंदा जला देने के बाद, बरेली व प्रतापगढ़ के अस्थान में दो-दो बार दंगों के बाद, रुदैली, भदरसा समेत फैजाबाद शहर में हुए दंगों के बाद या फिर पिछले तीन दिनों से लखनऊ में चल रहे फसाद में क्यों नहीं दिखाई. किसी जिलाधिकारी का या वरिष्ठ पुलिस अधिक्ष को निलंबित क्यों नहीं किया.

Indefinite dharna to bring Khalid Mujahid's killers to justice completes 74 daysमुख्यमंत्री बताएं कि इतनी बड़ी-बड़ी सांप्रदायिक घटनाओं और जहां तक बात है कि मुस्लमानों के अकीदे की तो फैजाबाद में सपा व बजंरगदल-हिंदू युवा वाहिनी के सांप्रदायिक तत्वों ने प्रशासन की निगरानी में ऐतिहासिक मस्जिद हसन रजा को जिस तरह से जलाया, तोड़फोड़ किया उस घटना पर आखिर क्यों नहीं इतनी तत्परता दिखाई.

मोहम्मद शुएब ने कहा कि खालिद मुजाहिद की हत्या के बाद अखिलेश यादव ने यह तत्तपरता नहीं दिखायी और अपने पुलिस और आईबी अधिकारियों को बचाने में लग गए. जो साबित करता है कि सपा सरकार के लिए मुसलमान सिर्फ एक ढ़ाल हैं जिसे जब चाहे तब सरकार इस्तेमाल कर सकती है.

धरने को संबोधित करते हुए मुस्लिम मजलिस के नेता जैद अहमद फारुकी ने कहा कि जिस तरह से समाजवादी सरकार के बचाव में तथाकथित उलेमा और इमाम मौलाना खालिद मुजाहिद की हत्या के बाद सरकार के बचाव में उतरे थे ठीक उसी तरह आज फिर आईएएस अधिकारी दुर्गा नागपाल और पुराने लखनऊ फसाद पर घिरी सरकार के बचाव में खड़े हो गए हैं. ऐसी करतूतों से पूरा मुस्लिम उलेमा समाज बदनाम होता है.

उन्होंने लखनऊ की अवाम से कहा कि शिया-सुन्नी का झगड़ा मजहबी झगड़ा नहीं है, सियासी पार्टियों के नफा नुसकान का झगड़ा है, जिसे अपने वक्त में अंग्रेज भी इस्तेमाल करते थे. जैद अहमद फारुकी ने कहा कि इस पूरे मसले में उत्तर प्रदेश के मुख्य विपक्षी पार्टी बीएसपी की खामोशी दंगे पर सरकार से गठजोड़ की साजिश लगती है.

रिहाई मंच के अध्यक्ष मोहम्मद शुऐब और मुस्लिम मजलिस के नेता जैद अहमद फारुकी ने अवाम से अपील की कि कल आतंकवाद के नाम पर कैद बेगुनाहों की रिहाई के लिए चल रहे संघर्ष के 75 दिन पूरे हो रहे हैं. इस मौके पर कल मगरिब के बाद नमाज, संयुक्त दुआ व अफ्तार का आयोजन किया गया है, इस मौके पर इंसाफ पसन्द अवाम शिरकत करें.

सामाजिक कायकर्ता अंकित चौधरी ने कहा सपा सरकार बेगुनाह मुस्लिम युवकों के सवाल पर हत्यारोपी दोषी पुलिस अधिकारियों को बचा रही है और मौलाना खालिद की हत्या को बीमारी साबित करने पर तुली है वो झूठी सरकार अब गौतमबुद्ध नगर की आईएएस के मामले में खनन माफियाओं के साथ खड़ी है.

इस मौके पर हरे राम मिश्रा ने कहा कि पूरे सूबे में सपा के नेताओं और अराजक तत्वों ने असुरक्षा का माहौल पैदा कर दिया है. लोकसभा चुनाव से ठीक पहले सपा नेताओं के इस लूट खसोट को चुनाव में सपा के निश्चित दिख रही हार से उपजी कुंठा का परिणाम बताते हुए उन्होंने कहा कि सपा नेताओं को लग गया है कि जनता उनकी ज़मानत जप्त करने वाली है इसलिए उन्होंने लूटने का काम शुरू कर दिया है कि इसके बाद शायद मौका ना मिले.

हाजी फहीम सिद्दिकी ने धरने को सम्बोधित करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार जिस तरह से अपने वादे से मुकर गयी है. हम लोग रिहाई मंच के धरने के पिछले 74 दिन से रोजे की हालत में बैठने के लिए मजबूर किया है, जिस तरह से संयुक्त दिुआ से एक रात पहले मंच के टेंट को उखड़वाया और हमारी धार्मिक भावनाओं को आहत किया इससे साफ है कि इतनी मुस्लिम विरोधी सरकार आजाद भारत में देखने को नहीं मिली. इतिहास मुलायम को मोदी के साथ ही करेगा.

रिहाई मंच के प्रवक्ताओं ने बताया कि कल रिहाई मंच के संघर्ष के 75 दिन पूरे होने पर संयुक्त दुआ बाराबंकी के मौलाना सूफी उबैदुर्रहमान की सरपरस्ती में की जाएगी. उन्होंने बताया कि कल अलविदा नमाज़ के बाद आतंकवाद के नाम पर फंसाए गए आज़मगढ़ के तारिक़ कासमी से मौलाना सूफी उबैदुर्रहमान ने जेल में मुलाकात की.

धरने को संबोधित करते हुए सामाजिक कार्यकर्ता आदियोग ने कहा कि धरने के 75 वें दिन से वरिष्ठ मूर्तिकार धर्मेन्द्र कुमार के नेतृत्व में कलाकरों का जत्था सांस्कृतिक अभिव्यक्तियों को आकार देने की शुरुआत करेगा. स्थापन कला का यह प्रयोग ईद के दिन पूरा होगा और उसी इसका लोकार्पण किया जाएगा.

उत्तर प्रदेश की कचहरियों में सन् 2007 में हुए सिलसिलेवार धमाकों में पुलिस तथा आईबी के अधिकारियों द्वारा फर्जी तरीके से फंसाए गये मौलाना खालिद मुजाहिद की न्यायिक हिरासत में की गयी हत्या तथा आरडी निमेष कमीशन रिपोर्ट पर कार्रवायी रिपोर्ट के साथ सत्र बुलाकर सदन में रखने और खालिद के हत्यारों की तुरंत गिरफ्तारी की मांग को लेकर रिहाई मंच का अनिश्चितकालीन धरना शनिवार को 74 वें दिन भी जारी रहा.

धरने का संचालन हरेराम मिश्र ने किया. धरने को मोहम्मद सलमान, रफीक सुल्तान खान, पीसी कुरील, भवननाथ पासवान, मोहम्मद सुलेमान, एहसानुल हक मलिक, मौलाना कमर सीतापुरी, हाजी फहीम सिद्दिीकी, शिवनारायण कुशवाहा, प्रबुद्ध गौतम, योगेन्द्र सिंह यादव, डा0 मसीहुद्दीन खान, डा0 कासिफ अहमद, मोहम्मद कासिम, हरे राम मिश्रा, बब्लू यादव, मोहम्मद फैज, शाहनवाज आलम और राजीव यादव आदि ने संबोधित किया.

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