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Reading: फांसीवादी ताक़तों के वफादार सिपाही हैं मुलायम सिंह
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BeyondHeadlines > India > फांसीवादी ताक़तों के वफादार सिपाही हैं मुलायम सिंह
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फांसीवादी ताक़तों के वफादार सिपाही हैं मुलायम सिंह

Beyond Headlines
Beyond Headlines Published August 29, 2013
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10 Min Read
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BeyondHeadlines News Desk

लखनऊ : रिहाई मंच के धरने के 100वें दिन निमेष रिपोर्ट को लागू करने और आतंकवाद के नाम पर कैद बेगुनाहों की रिहाई के लिए रिहाई मंच ने विधानसभा मार्च किया. मार्च में शामिल हजारों लोगों ने निमेष कमीशन की रिपोर्ट पर तत्काल अमल करो, आतंकवाद के नाम पर कैद बेगुनाहों को रिहा करो, सिंघल के दोस्त मुलायम आरडी निमेष आयोग रिपोर्ट पर अमल क्यों नहीं जवाब दो, मौलाना खालिद के हत्यारे पुलिस व आईबी अधिकारियों को तत्काल गिरफ्तार करो, विक्रम सिंह, बृजलाल, मनोज कुमार झां को जेल भेजों, एक साल में 27 दंगा मुलायम का समाजवाद हो गया नंगा के नारों के साथ मार्च किया.

Rihai Manch march to UP assembly on 100th day of indefinite Dharna उत्तर प्रदेश की समाजवादी सरकार चुनाव के वक्त मुसलमानों से उनकी बेहतरी के किये गये अपने सारे वादे वादे भूल चुकी है. इस भूल की कीमत सपा सरकार को 2014 के आम चुनाव में उठानी पड़ेगी. मुलायम सिंह यादव मुसलमान वोटरों पर अपकी पकड़ मज़बूत रखने के लिए सांप्रदायिक फांसीवादी ताक़तों के साथ मैच फिक्सिंग कर रहे हैं.

बेगुनाहों की रिहाई के सवाल सहित 84 कोसी परिक्रमा में यह बात उजागर हो चुकी है. मुलायम का संघ प्रेम खुल कर सामने आ चुका है. अब मुलायम प्रदेश के मुसलमानों को और बेवकूफ नहीं बना सकते.

उपरोक्त बातें प्रख्यात पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता सुभाष गताड़े ने मौलाना खालिद मुजाहिद की हिरासत में की गयी हत्या के नामजद आरोपियों, पुलिस तथा आईबी के आतंकी अधिकारियों की तुरंत गिरफ्तारी की मांग तथा आतंकवाद के नाम पर फर्जी तरीके से फंसाये गये बेगुनाह मुसलमान नौजवानों की अविलम्ब रिहाई की मांग को लेकर विधानसभा पर चल रहे रिहाई मंच के अनिश्चित कालीन धरने के 100वें दिन आयोजित विधानसभा मार्च के बाद धरने पर उपस्थित आवाम के सामने कहीं.

उन्होंने कहा कि सन् 1992 के दौर में जब मुलायम सिंह यादव ने कहा था कि बाबरी मस्जिद पर परिंदा पर भी नहीं मार पायेगा तब एक आस बंधी थी कि सेक्यूलर माहौल को जिंदा रखने वाले लोग इस देश की राजनीति में जिंदा हैं. लेकिन जिस तरह से बाबरी मस्जिद का विध्वंस किया गया और केवल प्रधानमंत्री बनने के ख्वाब में मुलायम सिंह ने हालिया समय में जिस तरह से उस घटना से संबोधित सनसनीखेज़ रहस्योद्घाटन किये, उससे यह साफ हो जाता है कि वे हिंदुत्ववादी एजंडे पर ही 2014 का चुनाव लड़ना चाहते हैं और मुस्लिम वोट बैंक की खातिर खुद के सेक्यूलर होने की भ्रामक बयानबाजी कर रहे हैं.

वास्तव में मुलायम का चरित्र फांसीवादी संघी ताक़तों के वफादार सिपाही का है. इस देश की सेक्यूलर जमात को अब उनसे कोई उम्मीद नहीं है. इस प्रदेश के अंदर सपा सरकार के एक साल के कार्यकाल में जिस तरह से 27 से ज्यादा बड़े सांप्रदायिक दंगे हुए और उनके आरोपी आज तक खुली हवा में बेरोक-टोक घूम रहे हैं, यह बात साबित करने को पर्याप्त है कि मुलायम प्रदेश के अल्पसंख्यकों के हितों के प्रति कतई ईमानदार नहीं हैं.

धरने को संबोधित करते हुए मध्यप्रदेश से आये पत्रकार जाहिद खान ने कहा कि आतंकवाद जैसे गंभीर सवाल पर रिहाई मंच ने जो वैचारिक और ज़मीनी बहस इस मुल्क के अंदर शुरू की है इसके लिए वह बधाई का पात्र है.

उन्होंने कहा कि रिहाई मंच की सारी मांगे संविधान की सीमा के भीतर हैं. यह बात बेहद काबिले गौर है कि अगर यही सपा सरकार इस वक्त विपक्ष में होती तो इस संवेदनशील मसले पर उसका क्या रुख होता? मुसलमानों को यह बात सोचनी चाहिए कि इस देश की अन्य सियासी पार्टियों ने इस मुद्दे को अपने स्तर पर क्यों नहीं उठाया.

दरअसल वे सब मुसलमानों की समस्याओं से कोई मतलब ही नहीं रखते. उन्हें बस केवल मुसलमान एक वोट बैंक के रूप में ही नज़र आता है. उन्होंने प्रदेश के मुसलमानों से अपील की कि वे रिहाई मंच का भरपूर साथ दें ताकि रिहाई मंच इस लड़ाई को एक तार्किक परिणाम में बदल सके.

उन्होंने कहा कि यह लड़ाई बहुत लंबी है, लेकिन इसे लड़कर जीतना ही होगा. इसके अलावा अब मुसलमानों के पास कोई विकल्प ही नहीं है.

इस अवसर पर दिल्ली से आये पत्रकार अभिषेक श्रीवास्तव ने कहा कि आज इस देश में आतंकवाद के नाम पर सरकारें ही बेगुनाहों को फंसाने में लगी हुई हैं. अब समूचा तंत्र ही आम आदमी के खिलाफ खड़ा हो चुका है. देश की न्यायपालिका में जिस तरह से लगातार सांप्रदायिकता बढ़ती जा रही है उससे यह साबित होता है कि न्यायपालिका भी अपने आधारभूत काम न्याय को ईमानदारी से नहीं कर पा रही हैं. आज हमारा पूरा शासन, प्रशासन तंत्र उन लोगों के खिलाफ खड़ा है, जो लोग राजनीति में आज तक अपनी जगह नहीं बना पाये. उन लोगों के खिलाफ अब हर क़दम पर साजिशे हो रही हैं.

उन्होंने कहा कि आतंकवाद का मामला सिर्फ मुसलमानों से ही जुड़ा हुआ नहीं है, लेकिन आज पूंजीवाद के वफादार अमरीका और इजराइल की भाषा बोलते हैं. अभी हाल ही में अमेरिका में मस्जिदों को आतंकी संगठन घोषित किया गया है जो यह साबित करता है कि वहां पर जाने वाले मुसलमानों को भी संदेह के दायरे में लाया जायेगा. अब उसे भी आतंकवादी समझने की नयी नीति का श्री गणेश हो चुका है.

पिछले 100 दिन से  चल रहे रिहाई मंच के इस धरने को अभी बहूत दूरियां तय करनी हैं, क्योंकि जिस सवाल को यह मंच उठा रहा है वह आज इस देश के मुसलमानों के अस्तित्व का मामला है. यह लड़ाई रिहाई मंच ज़रूर जीतेगा.

खालिद मुजाहिद के चचा मौलाना ज़हीर आलम फलाही ने कहा कि रिहाई मंच ने खालिद की शहादत के बाद आतंकवाद के मुद्दे पर एक आंदोलन उत्तर प्रदेश में खड़ा किया है जिसकी गूंज पूरे देश में अब सुनी जा सकती है. सरकार खालिद की हत्या के सारे सबूत मिटाने पर आमादा है और सीबीआई जांच के बारे में आरटीआई से हमें जो जानकारी मिली है, वो इतनी भ्रामक है कि साफ कुछ भी नहीं कहा जा सकता कि जांच कब शुरू होगी. सपा ने खालिद की हत्या कर मुसलमानों के उस भरोसे का कत्ल कर दिया जिसे उन्होंने चुनाव के वक्त सपा से किया था.

धरने को संबोधित करते हुए मौलाना तारिक़ कासमी के बेटे वकार  (जो कि तारिक की गिरफ्तारी के वक्त महज़ 2 साल का था और इस वक्त नौ साल का बच्चा है) ने कहा कि मेरे अब्बा मुझे बहुत प्यार करते थे और हम उनसे यही कहेंगे कि उन्हें हिम्मत नहीं हारनी चाहिए. बेशक हमने अब्बू का प्यार नहीं पाया है, लेकिन अच्छे लोग हमारे साथ खड़े हैं. हालात अच्छे होंगे। हमें भरोसा है कि अब्बू ज़रूर घर आयोगे.

इंडियन नेशनल लीग के राष्ट्रीय अध्यक्ष मो सुलेमान ने कहा कि जब सरकार किसी नौजवान को आतंकवादी या फिर माओवादी साबित करने में जुट जाती है तो इसका मतलब यह है कि सरकार के पास उसके सवालों का कोई जवाब नहीं है. ऐसे समय में रिहाई मंच की ज्यादा ज़रूरत है तथा निजाम की काली करतूतों का पर्दाफाश समाज हित में ज़रूरी है.

मंच के प्रवक्ता शाहनवाज़ आलम तथा राजीव यादव ने बताया कि रिहाई मंच सत्र के प्रारंभ दिन 16 सितंबर से डेरा डालो घेरा डालो अभियान विधानसभा धरना स्थल पर शुरू कर रहा है तथा 15 सितंबर को शाम सात बजे सरकार को चेतावनी देने के लिए एक मशाल जुलूस भी निकाला जायेगा.

उन्होंने कहा कि सरकार को आर.डी. निमेष कमीशन की रिपोर्ट को एक्शन टेकन रिपोर्ट के साथ विधानसभा सत्र में रखना ही होगा. उन्होंने बताया के आतंकवाद के नाम पर कैद बेगुनाहों के परिजनों ने शिरकत की. रामपुर सीआरपीएफ कैंप पर हुई कथित आतंकी घटना में कुंडा प्रतापगढ़ के कौसर फारुकी के भाई अनवर फारुकी, जंगबहादुर के बेटे शेर खान, शरीफ़ के भाई शाहीन और सीतापुर से आतंकवाद के नाम पर पकड़े गए मोहम्मद शकील के भाई उमर भी मार्च में शामिल हुए.

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