Vikas Urs
भारतीय फिल्म एवं टेलीविज़न संस्थान, पूना के छात्रों द्वारा 21 अगस्त 2013 को ”जय भीम कामरेड“ डाक्यूमेंट्री फिल्म का प्रदर्शन आयोजित किया गया था. इसी के साथ फिल्म की समाप्ति पर फिल्म के निर्देशक आनंद पटवर्धन के साथ बातचीत एवं कबीर कला मंच के सदस्यों द्वारा प्रगतिशील गीतों की संगीतमय प्रस्तुति भी निर्धारित की गयी थी. इस क्रम में समस्त कार्यक्रमों की समाप्ति के पश्चात अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के 12 सदस्यो द्वारा संस्थान के 5 विद्यार्थियों पर हमला किया गया.
विदित है कि महाराष्ट्र सदियों से प्रगतिशील विचारो एवं नेतृत्व का उर्वर ज़मीन रहा है. नरेंद्र डाभोलकर जी उनमें से एक थे. संस्थान के छात्रों द्वारा उन्हें श्रद्धांजलि देने हेतू प्रस्तुत कार्यक्रम का आयोजन किया गया था. निश्चित रूप से एबीवीपी द्वारा किया गया ऐसा कोई भी हमला महाराष्ट्र की प्रगतिशील विचारधारा एवं सांस्कृतिक विविधता की गौरवशाली परंपरा के विरूद्ध भी है.
यह कोई अकेली घटना नहीं है. अहमदाबाद की आर्ट गैलरी पर किया गया हमला एवं पूना सिम्बायोसिस कॉलेज में संजय काक की फिल्म का प्रदर्शन रोकना – जैसी कई घटनाएं दक्षिणपंथी फासिस्ट ताक़तों के विवेकहीन हिंसात्मक रवैयों को दर्शाती है. इन फासिस्ट समूहों की यह सोच कि जो उनकी राजनीत-विचारधारा से दूर या विरोधी है, उनके साथ किसी भी प्रकार की सहिष्णुता-संवाद संभव नहीं है.
निश्चित रूप से एक स्वस्थ लोकतांत्रिक समाज के लिए ऐसी सोच घातक है. यह कहीं न कहीं हमारे मौलिक अधिकार (अभिव्यक्ति एवं संप्रेषण की स्वतंत्रता) को भी बाधित करता है. आज जब ऐसे हमले एवं व्यवहार लगातार बढ़ रहे हैं, तो ज़रूरी हो जाता है कि इनके खि़लाफ़ विरोध दर्ज कराया जाए.
उल्लेखनीय है कि 26 अगस्त 2013, सोमवार सायं 4 बजे संस्थान के छात्र संस्थान परिसर से ओमकारेश्वर चौक तक फासिस्ट ताकतों के विरोध में एक शांतिपूर्ण विरोध जुलूस का आयोजन किया गया और आगे भी किया जाएगा. इस क्रम में हमारी मांगें हैं कि संस्थान के छात्रों पर लगाए गए निराधार आरोप वापस लिए जाएं, इसी के साथ अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के 12 सदस्यों पर उपरोक्त फासिस्ट कार्यवाही के खिलाफ़ समुचित कानूनी कार्यवाही की जाए.
हम चाहते हैं कि आप सभी जन हमारे विरोध जुलूस एवं मांगों का हर स्तर पर समर्थन एवं सहयोग दें, ताकि स्वस्थ लोकतांत्रिक समाज का संरक्षण किया जा सके. साथ ही हम आपसे आग्रह करते हैं कि आप अपने कला, विचार, शब्द, राजनीत का उपयोग हर स्तर पर इन फासिस्ट ताक़तों के उन्मूलन हेतू करें.
(लेखक भारतीय फिल्म एवं टेलीविज़न, छात्र संघ के महासचिव हैं.)
