BeyondHeadlines News Desk
लखनऊ : इंडियन मुजाहिदीन के कथित आतंकी यासीन भटकल की नेपाल में हुई गिरफ्तारी को सियासी नाटक क़रार देते हुए रिहाई मंच ने कहा है कि पूरा खेल आतंकी वारदातों में आईबी की संदिग्ध भूमिका पर उठ रहे सवालों से ध्यान हटाने और आईबी की खो चुकी विश्वसनियता की पुर्नबहाली के लिए खेला जा रहा है.
जिस यासीन भटकल को इंडियन मुजाहिदीन का आतंकी बताया जा रहा है, वह दरअसल आईबी का ही आदमी है, जिसका इस्तेमाल खुफिया एजेंसियां इंडियन मुजाहिदीन नाम के कागजी संगठन का हव्वा खड़ा करने के लिए कई सालों से कर रही थीं और जब उसके अस्तित्व पर चौतरफा सवाल उठने लगे तो यासीन भटकल को गिरफ्तार दिखा दिया.
ये बातें रिहाई मंच के प्रवक्ता राजीव यादव और शाहनवाज़ आलम ने रिहाई मंच के धरने के 101वें दिन अपने संबोधन में कहीं.
उन्होंने कहा कि पिछले दिनों उन्होंने खुद भटकल का दौरा किया था और उनके छोटे भाई अब्दुल समद और उनके चाचाओं समेत घर के दूसरे सदस्यों से बात की थी, जिसमें परिजनों ने बताया था कि उसका नाम यासीन भटकल नहीं बल्कि मोहम्मद अहमद सिद्दीबापा है.
रिहाई मंच के नेताओं ने कहा कि भटकल में तैनात सुरेश नाम के खुफिया विभाग के अधिकारी ने मोहम्मद अहमद सिद्दीबापा, रियाज भटकल, इकबाल भटकल, मौलाना शब्बीर समेत कई युवकों को पहले अपने झांसे में फंसाया और बाद में उन्हें यह डर दिखा कर कि वांटेड हो गए हैं. उन्हें भूमिगत हो जाने के लिए मजबूर कर दिया. दूसरी तरफ इन युवकों के बारे में खुफिया विभाग मीडिया में लगातार खबरें चलवाती रहीं.
शाहनवाज़ आलम और राजीव यादव ने कहा कि भटकल के तमाम लोगों ने उन्हें बताया कि खुफिया अधिकारी सुरेश जो अब मंगलूरू में तैनात हैं, ने ही भटकल के नौजवानों को आईबी द्वारा गठित कथित आतंकी नेटवर्क को खड़ा किया. आगे उन्होंने कहा कि अगर सरकार सचमुच आतंकवाद से लड़ने में गम्भीर है तो उसे सुरेश को गिरफ्तार कर पूछताछ करनी चाहिए.
प्रवक्ताओं ने बताया कि सुरेश की गिरफ्तारी और पूछ-ताछ इसलिए भी ज़रूरी है कि पिछले दिनों इशरत जहां फर्जी मुठभेड़ कांड में भी खुफिया विभाग के अधिकारी राजेंद्र कुमार की आपराधिक भूमिका उजागर हो चुकी है, जिसे जानबूझ कर केंद्र सरकार गिरफ्तार नहीं कर रही है, क्योंकि इससे आईबी की आतंकी भूमिका उजागर हो जाएगी.
दूसरी ओर इशरत जहां के साथ मारे गए जावेद शेख उर्फ प्रणेश पिल्लई के पिता ने भी पिछले दिनों अहमदाबाद में प्रेस कांफ्रेंस कर के बताया था कि उनका बेटा आईबी के लिए काम करता था. यहां गौरतलब है कि इशरत समेत मारे गए चारों लोगों को लश्कर ए तैयबा का आतंकी बता कर मारा गया था.
आज़मगढ़ रिहाई मंच के नेता मसीहुदीन संजरी और तारिक शफीक ने कहा कि यासीन के साथ आज़मगढ़ के असदुल्ला के गिरफ्तार दिखाए जाने के बाद आज़मगढ़ का मीडिया ट्रायल फिर से शुरू हो गया है और मीडिया साम्प्रदायिक भाषा में फिर से आज़मगढ़ को बदनाम करने लगी है.
उन्होंने कहा कि पहले मीडिया और आईबी के स्रोतों ने कभी तौकीर को आज़मगढ़ माड्यूल का मास्टर र्माइंड बताती थी तो अब यासीन भटकल को आज़मगढ़ का मास्टर माईंड बता रही है. आज़मगढ़ को आतंक की नसर्री के रूप में बदनाम करने वाली मीडिया और खुफिया एजेंसियों के गठजोड़ वाले माड्यूल को पहले तय कर लेना चाहिए कि कौन मास्टर माईंड है. क्योंकि हर कथित गिरफ्तारी के बाद पकड़े गए शख्स को मीडिया और खुफिया एजेंसियां मास्टर माईंड और आज़मगढ़ के माड्यूल का प्रमुख बताने लगती हैं. जिससे यह पुख्ता हो जाता है कि यह पूरा खेल खुद सरकार और मीडिया के एक हिस्से द्वारा संचालित है.
धरने को सम्बोधित करते हुए रिहाई मंच के अध्यक्ष मोहम्म्द शुऐब ने कहा कि जिस तरह प्रधान मंत्री की सुरक्षा में लगे जवान और बीएसएफ के रिटायर्ड अधिकारियों द्वारा खुद को इंडियन मुजाहिदीन का आतंकी बता कर नोएडा स्थित एक डाक्टर दम्पत्ति को धमकाने और तीस लाख रूपये की फिरौती मांगी गयी, से साफ हो जाता है कि पुलिस इस फर्जी आतंकी संगठन के नाम पर कैसे कैसे गुल खिला रही है. उन्होंने केंद्र सरकार से इंडियन मुजाहिदीन पर श्वेतपत्र लाने की मांग की.
मोहम्मद शुऐब ने कहा कि मानसून सत्र के दौरान पहले दिन यदि सपा सरकार ने निमेष कमीशन की रिपोर्ट पर एक्शन टेकन रिपोर्ट नहीं सौंपा तो विधान सभा का सत्र नहीं चलने दिया जाएगा. आगे उन्होंने कहा कि विधान सभा सत्र की पूर्व संध्या पर 15 सितम्बर को मशाल जुलूस का आयोजन किया जाएगा. मशाल जुलूस अवाम से भारी तादाद में शामिल होने की भी अपील की.
इंडियन नेशनल लीग के अध्यक्ष मोहम्मद सुलेमान ने कहा कि जिस तरह तेज़ बारिश और पुलिस के दबाव के बावजूद अवाम ने रिहाई मंच के विधान सभा मार्च में हिस्सेदारी की उससे साफ हो गया है कि मुसलमान और इंसाफ पसंद अवाम अब आतंकवाद के नाम पर कैद बेगुनाह मुस्लिम नौजवानों को छोड़ने के वादे से मुकरने वाली सपा सरकार को सबक सिखाने के लिए तैयार हो गयी है.
यूपी की कचहरियों में 2007 में हुए धमाकों में पुलिस तथा आईबी के अधिकारियों द्वारा फर्जी तरीके से फंसाए गये मौलाना खालिद मुजाहिद की न्यायिक हिरासत में की गयी हत्या तथा आरडी निमेष कमीशन रिपोर्ट पर कार्रवायी रिपोर्ट के साथ सत्र बुलाकर सदन में रखने और आतंकवाद के नाम पर कैद बेगुनाहों को छोड़ने की मांग को लेकर रिहाई मंच का धरना शुक्रवार को 101वें दिन भी जारी रहा.
