बाबा रामदेव को 8 घंटे नहीं 80 घंटे रोका जाना चाहिए

Beyond Headlines
5 Min Read

Abhishek Upadhyay for BeyondHeadlines

बाबा रामदेव को 8 घंटे नहीं 80 घंटे रोका जाना चाहिए. जब तक कि यूनाइटेड किंगडम की सुरक्षा एजेंसियों का तसल्ली न हो जाए, नहीं छोड़ा जाना चाहिए. आखिर क्यों बाबा इसे मुद्दा बना रहे हैं? उन्हें तो चाहिए कि देश लौटें और यहां की एजेंसियों और खासकर राजनीतिक लीडरशिप को बोलें कि आप भी इसे फालो करो. यही सही है. यही होना चाहिए. ऐसा आप भी करो. ये तो होना ही चाहिए. जब तक तसल्ली न हो, जांच तो होगी ही होगी.

कोई बिजली के करंट थोड़े लगा रहा है. जो पूछताछ कर रहा है, उसका जवाब दो. उनका देश है. उनके अपने नागरिक हैं. उनकी सुरक्षा का सवाल है. आप भारत में होंगे वीआईपी, होंगे महात्मा, साधु, सन्यासी, मौलाना या इमाम… दूसरे देश इसका क्या करें?

Baba Ramdevक्या आपके इर्द गिर्द चौरासी कोस की परिक्रमा करें? या भारत के वीआईपियों के लिए विशेष कोटा तय कर दें, और उस कोटे में ये भी इंतजाम कर दें कि देखिए ये साधु महाराज का कोटा है, ये मौलाना साहब का है, ये दलित कोटा है- इन्हें मत रोकिए, ये पिछड़े तबके के हैं- इन्हें जाने दीजिए… ये राजपूत महासभा से हैं- इनकी मूंछों पर कोई आंच नहीं आनी चाहिए, ये ब्राहमण परिषद के हैं- इनके जनेऊ पर मेटल डिटेक्टर नहीं चलना चाहिए… आदि आदि…

फिर भारत तो इस मामले में बहुत ही महान देश है. यहां जेब में थोड़ा बहुत ठीक ठाक पैसा रखने वाला हर दूसरा आदमी ही खुद को वीआईपी समझता है. बाबा रामदेव, शाहरूख खान और आज़म खान को तो छोड़ दीजिए, झारखंड के कोडरमा जिले के झुमरी तलैय्या नामक स्थान के वार्ड सभासद से लेकर समाजवादी युवजन सभा के नैनी, इलाहाबाद के उपमंत्री से लगाकर तमिलनाडु के कांचीपुरम जिले के तांबरम ताल्लुका के डीएमके पार्टी के वाइस प्रेसीडेंट तक, सबै वीआईपी हैं यहां पर…

ऐसे में तो भारत के विदेश मंत्रालय को चाहिए कि देश के हर जिले की नगरपालिका के सभासद से लेकर, मंत्रियों और खासकर लाल बत्ती वाली गाड़ियों के ड्राइवरों तक की पूरी लिस्ट इंग्लैंड के हीथ्रो हवाई अड्डे पर भिजवा दे, कि भइया, इन्हें बगैर रोकटोक जाने देना, ये हमारे देश के लाल हैं… हमारे यहां के वीआईपी बबुआ हैं ये. इन्हें छूना भी मत. इस देश में जाति और धर्म को जिस तरह अपने फायदे के लिए इस्तेमाल किया जाता है, उसका शायद ही कोई दूसरा उदाहरण मिलेगा.

बाबा रामदेव को रोका गया तो ये ऋषि याज्ञवल्क्य से लेकर ऋषि दुर्वासा की सनातन हिंदू परंपरा का अपमान हो गया. आज़म खान और शाहरूख खान को रोका गया तो उन्हें खुद के मुसलमान होने की याद आ गई. बाबा रामदेव जब स्काटलैंड में करोड़ों का द्वीप प्राप्त कर लेते हैं, तब उन्हें देश के गरीब हिंदू याद नहीं आते हैं, तब उनके साथ कोई भेदभाव नहीं होता है. इसी तरह जब शाहरूख खान अभिनीत फिल्म पहेली अमेरिका की “अकेडमी ऑफ मोशन पिक्चर आर्टस एंड साइंसेज” के तहत आस्कर अवार्ड की “विदेशी फिल्म कैटेगरी” की होड़ में होती है, तो उस वक्त उनके मुंह से अमेरिकन हालीवुड और वहां की फिल्म इंडस्ट्री के लिए तारीफ के फूल झड़ते हैं. बाकायदा उन्हीं गोरों के बीच वे जमकर लाबिंग करते हैं. या जब लंदन और वाशिंगटन की मैडम तुसाद गैलरी में उनकी मोम की प्रतिमा लगती है, तो गर्व से उनका सीना चौड़ा हो जाता है, तब उन्हें अपने मुसलमान होने का बिल्कुल भी ख्याल नहीं आता है.

सलमान खान को बतौर अभिनेता कभी भी पसंद न करने के बावजूद (मैंने प्यार किया फिल्म को छोड़कर), मुझे लगता है कि इस मामले में सलमान ने लाजवाब स्टैंड लिया था जब उन्होंने अमेरिकी हवाई अड्डों में होने वाली चेकिंग का खुलकर स्वागत किया था और शाहरूख की नौटंकी की हवा निकाल दी थी. और सलमान और शाहरूख ही क्यों, मनमोहन सिंह से लेकर एपीजे अबुल कलाम और आडवाणी तक सभी की जमकर चेकिंग होनी चाहिए, अगर एक पैसे का भी शक या कोई कंफ्यूजन भी हो.

देश की सुरक्षा से बड़ा कोई नहीं होता है. यही भारत में भी होना चाहिए. सारी आपचौरिकताएं, सारा विशेषाधिकार और सारा का सारा महात्म्य देश की सुरक्षा के सवाल के आगे बौना होता है. बहुत अदना होता है…

TAGGED:
Share This Article