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एन्काउंटर पूछ के नहीं होता, बड़ा हित देखो: पियूष मिश्रा

बॉलीवुड के लोकप्रिय अभिनेता, गायक और गीतकार पियूष मिश्रा ने कहा है कि जब सबके सर पर कलंक लगे हैं तो मोदी को एक बार मौका देकर देखना चाहिए. पियूष मिश्रा कहते हैं- ‘मोदी को मौका देकर देखते हैं. जो भी होगा. गंदा होगा, सामने आ जाएगा.’ गुलाल और गैंग्स ऑफ वासेपुर फिल्म में शानदार अभिनय करने वाले पियूष गुजरात में मुसलमानों के साथ हुए नाइंसाफी के सवाल पर कहते हैं ‘एन्काउंटर पूछ कर नहीं होता कि आप आतंकवादी हैं. फिर कहते हैं, वह सब छोड़ो. बड़ा हित देखो. देश चल रहा है कि नहीं. नहीं तो उसे लाओ जो कम से कम एक चीज़ जानता है- एडमिनिस्ट्रेशन…’ पियूष मिश्रा से लंबी बातचीत की अभिषेक आनंद ने. रविवार को दिल्ली के इंडिया हैबिटेट सेंटर में. बातचीत के दौरान पत्रकारिता के दो छात्र भी पियूष के साथ थे. पढ़िए बातचीत का संपादित अंश… 

आपने कब एक्टर बनने के बारे में सोचा ?

मैंने सोचा नहीं. मैं आ गया था. 1983 में एनएसडी में पहुंच गया था. ग्वालियर से निकलकर… 21 साल का रहा होउंगा.

आप कैसा एक्टर बनना चाहते थे ?

कैसा नहीं. बहुत खराब हालत थी तब एनएसडी की. सपना कुछ नहीं था. बड़ा कंफ्यूज्ड आदमी था. यहां वहां टक्कर मारना, अनाप-शनाप… शराब पीना… डिस्ट्रक्टिव मेंटलिटी का था. बहुत अपने आप तो तकलीफ दी. शरीर पर उसके चिन्ह भी हैं. मुझे बड़ा मजा आता था. मैं डिस्टर्ब क्यों नहीं हो रहा हूं… मुझे लगता था उससे आर्ट निकलेगा… निकला भी एक टाइम में. लेकिन शराब ने इतना परेशान कर दिया… है तो केमिकल ही न. फिजिकली तकलीफ देनी शुरू कर दी. हां, चरस वगैरह नहीं पीया आजतक. मुझे लगता था यह करके लोग आर्टिस्ट बन जाते हैं.

यह करके आर्टिस्ट बन जाते हैं, ये समझ कहां से आई ?

ये वेस्ट का कंसेप्ट है. डिसऑर्डर एंड जीनियस. पेंटिंग में पिकासो को देख लो. एक्टर में चार्ली चैप्लीन को देखो. लेकिन एक हद के बाद जाना कि जिंदगी ऐसी नहीं है. जिंदगी कुछ और है…

यह कब लगा ?

2005 में. लगा कि इसके आगे भी जिंदगी है.

तब क्या-क्या बदल दिया ?

सबकुछ बदल दिया. नशा-वशा बहुत कम हो होता है आजकल. बहुत ही कम. एकदम से रोकथाम नहीं होती ना. सिगरेट पहले एक दिन में 40 पीता था. अब चार पांच कर दिया हूं.

आपने कहां बॉलीवुड में आपका कोई दोस्त नहीं ?

सब अच्छे दोस्त हैं. करीबी सिनेमा इंडस्ट्री में तो नहीं है. साईं कबीर करके दोस्त हैं. उसके यहां अक्सर जाता हूं. मैनेजर है राहुल. अच्छा दोस्त है. लेकिन अब उनके साथ प्रोफेशन आ गया है इस साल से.

आगे जिंदगी कैसे चलानी है ?

मुझे कुछ नहीं मालूम.

एक दूसरा सवाल है, इतना करप्शन है, इतना हल्ला है, यह देश कैसे बदलेगा ?

नहीं बदलेगा. अभी चलने दो जो चल रहा है. महाभारत हुआ था न. मृत्युंजय नोवल में कृष्ण का स्टेटमेंट है. बहुत बढ़िया नोवल है. उसमें उनका कहना था कि मानव जाति की हालत जब खराब होती है तो आप रोक नहीं सकते, तो मरने देना चाहिए. इसके लिए बड़े ध्वंस की जरूरत होती है. अभी यहीं होने वाला है…

आप थोड़ी देर पहले कह रहे थे केजरीवाल को वोट देना चाहिए ?

मेरे ख्याल से देना चाहिए.

सार्वजनिक रूप से कहते हैं कि केजरीवाल को वोट देना चाहिए ?

हां, हां। क्यों नहीं…

कांग्रेस-बीजेपी को नहीं देना चाहिए ?

“कांग्रेस को तो नहीं ही देना चाहिए. बीजेपी को देखो. मतलब उनके ऊपर लाख धब्बे लगे. नरेंद्र मोदी के ऊपर लाख धब्बे लगे. ये मेरा दोस्त है संजीव भट्ट. अहमदाबाद के आईपीएस. मेरे बड़े अच्छे दोस्त हैं. मेरा यही कहना है कि चलो यार. सबके सर पर कलंक है. एक बारगी देकर देखते हैं.

किसे बीजेपी को ?

“मोदी को. जैसा होगा, गंदा होगा सामने आ जाएगा. लेकिन इतना बच बच के नहीं चल सकते. आज कोई नहीं है कहने वाला कि केजरीवाल बहुत शरीफ आदमी है. आज के तारीख में ऑप्शन जो हैं उनमें से देखना पड़ेगा. दो… किसी को तो लाओ. कौन है काबिल? क्या-क्या नहीं हो रहा है देश में…

एक बार कह रहे हैं केजरीवाल को फिर बीजेपी को ?

दिल्ली (राज्य सरकार) में केजरीवाल मेरे ख्याल से डिजर्व करता है. पता नहीं स्टेट चला पाएगा कि नहीं. क्योंकि स्ट्रेंथ कम है.

मोदी के बारे में आलोचक कहते हैं कभी माफी नहीं मांगी ?

नहीं मांगी, नहीं मांगी. आलोचकों से पूछो बीवी को चांटा मारने के लिए माफी मांगी कभी. कौन बंदा है जिसने गलती नहीं की. ठीक है उसने बहुत बड़ी गलती की है. मैं तो गोधरा गया था बाकायदा. कांग्रेसियों की शक्ल देखकर घिन आती है. एक ही परिवार क्यों चलाए. पंडित नेहरू हो गएं ठीक है. फिर मैडम आ गई. बेटा आ गया. बड़ा बेटा आया. छोटा बेटा आया. बीवी आ गई.

सरकार के खिलाफ बोल रहे हैं, दिक्कत नहीं होगी ?

दिक्कत क्या होगी. होती रहती है. गुलाल आई थी. साइडलाइन कर दी गई थी. नेशनल अवार्ड में से. बिल्कुल देखा भी नहीं. (कुछ देर रुककर…) जिंदगी खेल है. इतना हल्का फुल्का. जितना गंभीरता से लोगे उतना परेशान करेगी. आप बदकारी मत पालो किसी के लिए. आपसे गंदी हरकत न हो जाए इसके लिए अलर्ट रहो. हो भी जाती है, गलती हो ही जाती है, तो उसे रियलाइज कर लो.

फिर मोदी ?

मोदी ने माफी नहीं मांगी उसकी गलती है. लेकिन माफी मांगता है तो बहुत बड़ा कांड हो जाएगा. ऐसी स्थिती में है. हो सकता है आने वाले समय में पीएम बन जाए. हो सकता है वह माफी मांग चुका हो. किसी सम्मानित व्यक्ति के पास जाकर. सम्मानित व्यक्ति के पास जाकर गलती बताने पर सबसे ज्यादा बोझ हल्का होता है.

मोदी को आप जीता रहे हैं ?

मैं नहीं जीता रहा. मेरे ख्याल से जीतेगा. मैजिक फीगर आना मुश्किल है. गठबंधन करना पड़ेगा. लेकिन दो यार मौका दो. देखते हैं न. वरना कोई विकल्प नहीं है. इस पप्पू को स्साले को पीएम क्या… पीएम का झाडू लगाने लायक नहीं है… देश चला सकता है मोदी.

आपके मुताबिक जो दिल्ली की राज्य सरकार में पिछली बार काम नहीं किया, वह देश अच्छे से चलाएगा?

मुझे मालूम नहीं चलाएगी या नहीं. कांग्रेस नहीं कर रही. दो ऑप्शन है. फिर थर्ड फ्रांट है. उसके मुखिया बनेंगे महाचोर मुलायम सिंह. सीपीएम में कोई है नहीं. एक थे तो सुरजीत. गुजरात संभालने और देश संभालने में बड़ा फर्क है. मैं जानता हूं. लेकिन ये कांग्रेस कुछ नहीं कर पा रहे हैं न यार. यू टेल मी ऑप्शन… आंतकी गर्त में ला दिया. क्या ऑप्शन है ? मैं पक्षधर नहीं हूं मोदी का. लेकिन किसी का भी पक्षधर होउंगा ना.

मुसलमानों के साथ हुआ, उसका क्या होगा ?

मालूम नहीं क्या होगा. अरे बड़ा सॉरी आपको. ये बता दूं कि जंग होती है तो उसमें पूछ के एनकाउंटर नहीं होता. कि आप टेरोरिस्ट हैं या नहीं? 50 लोग पंजाब बचाएं न. ऐसे ही बचाए. वो सुपर कॉप जो नाम था उसने होम मिनिस्ट्री से यहीं कहा कि मुझे पूरी छूट चाहिए. गुजरात में वैसे हालात थे? यहां पर वैसे हालात थे. वहां पर ऐसे हालात थे. अभी भूलना पड़ेगा. बड़ा हित देखो. देश संभल रहा है या नहीं. बात खत्म हो गई. समाजवादी पार्टी मुसलमानों की चिंतक थी न. वहां पर कैंप में खड़े हैं 50 हजार लोग. ये तो मुसलमान के वोट पर ही जीती थी. आज़म खां, ये और वो. इसका मतलब कोई भी कुछ नहीं कर रहा. इसका मतलब आने दो, जो कम से कम एक चीज जानता है एडमिनिस्ट्रेशन…

आप इंटरव्यू के ंमुख्य अंश यहां सुन भी सकते हैं… 

BH Radio-1

BH Radio-2

(आप अभिषेक आनंद से 09608731320 पर संपर्क कर सकते हैं.)

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