दंगों के आरोपी भाजपा विधायक सुरेश राणा जेल से कर रहे हैं फेसबुक अपडेट

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BeyondHeadlines News Desk

लखनऊ : मुज़फ्फरनगर व आस-पास के क्षेत्रों में भड़काऊ भाषण व सांप्रदायिक हिंसा भड़काने के मामले में जेल भेजे गए सुरेश राणा जिनपर रासुका भी लगी थी, द्वारा जेल में रहते हुए मोबाइल से फेसबुक अपडेट करने के मामले पर रिहाई मंच ने 20 नवंबर को एक तहरीर अमीनाबाद कोतवाली, लखनऊ को भेजी.

रिहाई मंच के अध्यक्ष मोहम्मद शुऐब ने कहा कि जिस तरीके से भाजपा विधायक संगीत सोम व सुरेश राणा ने जेल में रहते हुए अपने फेसबुक एकाउंट अपडेट किया उसने इन जेलों के जेलरों को कटघरे में खड़ा कर दिया है, इस पर प्रदेश के कारागार मंत्री राजेन्द्र चौधरी स्पष्टीकरण दें.

उन्होंने कहा इस पूरी घटना से सपा सरकार का दोहरा और सांप्रदायिक रवैया उजागर हो जाता है. जहां एक तरफ आतंकवाद के नाम पर फंसाए गए निर्दोष नौजवानों को जेल मैनुवल को अनदेखा करते हुए उन्हें अमानवीय यातनाएं दी जा रही हैं, जान लेवा हमले हो रहे हैं, यहां तक कि खालिद मुजाहिद जैसे निर्दोष की हत्या तक एसटीएफ व आईबी द्वारा करा दी जाती है और राजेन्द्र चौधरी से शिकायतों के बावजूद कोई कार्यवाई नहीं होती है तो वहीं दंगा भड़काने के आरोपी भाजपा नेताओं को रासुका में निरुद्ध होने के बावजूद जेलों से सांप्रदायिक तनाव भड़काने के लिए फेसबुक, मोबाइल जैसी सुविधाएं दी जाती हैं, जिससे समझा जा सकता हैं कि सपा किस तरह दंगाईयों के साथ खड़ी है.

अमीनाबाद कोतवाली, लखनऊ में तहरीर भेजने वाले रिहाई मंच के प्रवक्ता राजीव यादव ने बताया कि सुरेश राणा ने जेल के अंदर से अपने फेसबुक एकाउंट का संचालन किया है. दिनांक 5 अक्टूबर को समय 6 बजकर 17 मिनट सुबह संदेश अपलोड किया गया कि कल पेशी के टाइम मुज़फ्फरनगर कोर्ट में उमड़े अपार जनसमूह के लिए सब का आभार मैं वादा करता हूं कि चाहे एक नहीं सौ बार रासुका लगे, लेकिन मैं अपनी बहनों के सम्मान की लड़ाई ऐसी ही आप सभी के सहयोग से लड़ता रहूंगा. इससे स्पष्ट है कि जेल व पुलिस अभिरक्षा में रहते हुए मोबाइल फोन के ज़रिए सुरेश राणा फेसबुक पर अपने संदेश लगातार अपलोड कर रहे थे.

21 सितंबर 2013 को मोबाइल से फेसबुक पर शाम 8 बजकर 4 मिनट पर संदेश दिया गया था कि श्री सुरेश राणा विधायक को मुज़फ्फरनगर जेल से बांदा जेल भेज दिया गया है और प्रशासन एकतरफा कार्यवाई कर रहा है. दिनांक 26 सितंबर को मोबाइल से फेसबुक पर अपडेट किया गया है कि सुरेश राणा के विरुद्ध रासुका लगाई गई है.

दिनांक 27 सितंबर को भी न्यूज पेपर की कटिंग अपलोड की गई है. 29 सितंबर की शाम 5 बजकर 52 मिनट पर संदेश दिया गया कि पुलिस बांदा जेल से श्री सुरेश राना को फोर्स लेकर चल चुकी है. 30 सितंबर को सुबह 6 बजकर 36 मिनट पर संदेश दिया गया कि खेड़ा की पंचायत से घबराकर पुलिस विधायक जी को रास्ते से वापस बांदा ले गई है. आज वह कैराना नहीं आएंगे जब आने का कार्यक्रम होगा सूचित कर दिया जाएगा. 3 अक्टूबर को पुनः मोबाइल से संदेश दिया गया कि कल सुरेश राना को मुज़फ्फरनगर कोर्ट में पेश किया गया.

सामाजिक संगठन अवामी काउंसिल के महासचिव असद हयात ने कहा कि जिस तरह से सुरेश राणा और संगीत सिंह सोम जैसे लोगों ने मुज़फ्फरनगर के सांप्रदायिक सौहार्द्र को नेस्तानाबूत करने वाले लोगों को सपा सरकार की जेलों में फेसबुक द्वारा प्रदेश के माहौल को सांप्रदायिक रंग देने की खुली छूट दे रखी थी उसने साफ कर दिया है कि अखिलेश सरकार मुजफ्फरनगर के सांप्रदायिक हिंसा के शिकार लोगों के साथ नहीं है बल्कि सोम और राणा जैसे लोगों के साथ है जिनके खिलाफ लचर पैरवी कर उसने उन पर से रासुका हटवायी.

उन्होंने कहा कि रिहाई मंच द्वारा राणा और सोम के खिलाफ पुलिस को दी गयी तहरीरों के सवालों को सुप्रीम कोर्ट में मुज़फ्फरनगर दंगों को लेकर चल रहे मुक़दमें में उठाया जायेगा.

रिहाई मंच के नेता हरेराम मिश्र ने कहा कि लाखों लोग जो विस्थापित हैं, जिनके अपनों की हत्या की गयी, माताओं बहनों को अपमानित किया गया, आज भी फुगाना गांव में हुए सामूहिक बलात्कारों के अभियुक्त खुलेआम घूम रहे हैं और ऐसे में उरई और मुज़फ्फरनगर की जेलों से जिस तरीके से फेसबुक अपडेट करने का मामला प्रकाश में आया है वह साफ दर्शाता है कि दंगे के आरोप में जेलों में बंद इन नेताओं द्वारा मुज़फ्फरनगर व आस पास के क्षेत्रों में सांप्रदायिक हिंसा के दौरान वे न केवल फेसबुक ऑपरेट कर रहे थे बल्कि वे इन जेलों से सांप्रदायिक हिंसा का संचालन कर रहे थे. प्रदेश सरकार तत्काल मुज़फ्फरनगर तथा उरई के जेलरों को बर्खास्त करते हुए वहां के जिला अधिकारियों से स्पस्टीकरण मांगे कि यह सब किसकी सह पर हो रहा था.

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