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Reading: वेदांत, एनडीटीवी और प्रियंका चोपड़ा की सांठ-गांठ
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BeyondHeadlines > India > वेदांत, एनडीटीवी और प्रियंका चोपड़ा की सांठ-गांठ
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वेदांत, एनडीटीवी और प्रियंका चोपड़ा की सांठ-गांठ

Beyond Headlines
Beyond Headlines Published November 28, 2013
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7 Min Read
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Saurabh Verma for BeyondHeadlines

‘हमारी लड़कियां हमारा गर्व’ सुनने में तो बेहद ही अच्छा लगता है कि हमारे देश की कुछ संस्थायें और समाचार चैनल, देश में चिंता का विषय बनती लड़कियों की घटती संख्या और हालात को गंभीरता से ले रहे हैं. लेकिन मुहिम की गंभीरता से तफ्तीश की जाये तो सारे सच धराशायी हो जाते हैं. सवाल यह है कि आखिर क्यों देश और दुनिया में खनन का एक बहुत बड़ा साम्राज्य खड़ा करने वाली कंपनी को देश के एक प्रतिष्ठित समाचार चैनल और बॉलीवुड की बहुचर्चित अदाकारा के साथ मिलकर इस मुहिम को चलाने की ज़रूरत आ पड़ी?

Vendanta, ndtv and priyanka chopra  दरअसल, वेदांत को हाल ही में नियमगिरि में मिली शिकस्त से देश और दुनिया में हो रही उसकी थू-थू का ही नतीजा है एन.डी.टी.वी. के साथ शुरू हुई ये मुहिम… भारत के गुजरात, पश्चिम बंगाल, गोवा, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, पंजाब, छत्तीसगढ़, कर्नाटक,राजस्थान और ओड़िशा के साथ-साथ पूरी दुनिया में ऑस्ट्रेलिया,लिबेरिया, साउथ अफ्रीका, आयरलेंड, नमेबिया, जेमबिया जैसे देशों में धातु और तेल की एक चेन पर नियंत्रण करने वाले अनिल अग्रवाल ने न जाने कितनी मासूम बच्चियों को अनाथ, बेघर, बिकाऊ पुलिस और गुंडों की हवस का शिकार बनवाया है. उन हालात में शक की सुई एन.डी.टी.वी. पर भी जाकर रूकती है कि क्यों उसने लड़कियों के हक़ में हो रही इस मुहिम में वेदांत जेसी कंपनी को अपना साझेदार बनाया?  क्यों उसने इसी वर्ष जुलाई माह में नियमगिरि में हुई 12 ग्राम सभाओं को भी सिरे से नज़रअंदाज़ कर दिया?

हम आपको बताते चलें कि वेदांत वही कंपनी है जिसके बोर्ड ऑफ़ एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर के पद पर कभी देश के राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी भी रह चुके हैं.

हम सभी यब बात बखूबी जानते हैं कि एल्युमिनियम का निर्माण दुनिया की सबसे खतरनाक रसायनिक प्रक्रिया के बाद होता है.  साथ ही प्लांट से निकलने वाला तरल रसायन रेडियोएक्टिव प्रदूषण का कारण भी बनता है. क्या वेदांत, एन.डी.टी.वी. और प्रियंका चोपड़ा के लिए केवल शहर की लड़कियाँ ही मायने रखती हैं. आदिवासी और गांव की लड़कियों को  वो क्यों भूल बैठे हैं? जिन लड़कियों के भविष्य को सुधारने की मुहिम उन्होंने अपने कंधो पर उठाई है. वही वेदांत के प्लांटो और अन्य योजनाओं का शिकार हो रही हैं.

सिर्फ इतना ही नहीं, वेदांत के द्वारा खनिज पदार्थो के इन रिफाइनरी प्लांटो से देश और दुनिया के कई स्थान प्रभावित हो रहे हैं. जैसे:

– गोवा के सीसा गोवा आइरनोड़ प्लांट के कारण वहां काफ़ी प्रदूषण फ़ैल रहा है.

– तमिलनाडु में स्टरलाइट की कॉपर की फैक्टरी है जिससे निकलने वाला प्रदूषण का लोगों ने काफ़ी जोरदार विरोध भी कर चुके हैं.

– छत्तीसगढ़ के कोरबा में बाल्को की निर्माणधीन चिमनी अचानक से गिर पड़ी, जिसमें कई मजदूरों को अपने जान से हाथ धोना पड़ा.

– स्टरलाइट का अपने कर्मचारियों के साथ बर्ताव भी कुछ ज्यादा ठीक नहीं है. एक बार उसने 300 लड़के-लडकियों को अपने यहाँ ट्रेनिंग पर रखा और ट्रेनिंग ख़त्म होने के बाद उसने उन्हें स्थायी रूप में रखने से साफ इंकार कर दिया. कर्मचारियों के विरोध करने पर 118 लोगों को पुलिस द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया जिनमें 8 लड़कियां भी शामिल थी.

– दामनजोड़ी में नाल्को और कोल्बा में बाल्को का प्लांट लगने के बाद से ही वहां के हालत काफ़ी ख़राब हैं.

– जंगल काटे जा रहे हैं, जिसके कारण बारिश भी रुक गयी है. दामनजोड़ी में तो कांट्रेक्टरों और ट्रांसपोर्टरों की बढ़ती आबादी के ही कारण उस आदिवासी इलाके मे लगभग 800 महिलायें देह व्यापार में लग गयी हैं.

– अफ्रीका (ब्लैक माउंटेन माइनिंग) में भी माइनिंग ऑपरेशन के कारण यही हाल है.

– वर्ष-2004 में पुलिस और गुंडों के बल पर 15000 लोगों को विस्थापित कर वेदांत ने अपने प्लांट की नीव रखी.

– वेदान्त की लांजीगढ़ रिफाइनरी में काम के समय दुर्घटनाओं में सैकड़ों लोग मारे गये हैं और इलाके में इस बात को सारे लोग जानते हैं कि अक्सर मजदूरों से काम करवाकर उन्हें पैसा नहीं दिया जाता और उन्हें काम पाने के लिए काफ़ी लल्लो-चप्पो करनी पड़ती है.

– ग्रामीणों के विरोध करने पर उनके साथ मार-पिटाई की गयी, उन्हें डराया धमकाया गया. साथ ही तक़रीबन 8000 लोगों को पकड़ कर एक कैम्प में बंद कर दिया गया, जहाँ उन्हें किसी से भी मिलने की इज़ाज़त नहीं दी गयी.

बात यहीं खत्म नहीं होती. वेदांत इससे पहले भी कुछ ऐसे कार्यक्रम कर चुका है जिससे वह भारत के शहरी वर्ग में अपनी छवि को साफ सुथरा दिखा सके. जैसे:

– वेदांत ने भारत की सबसे बड़ी विज्ञापन कंपनी ओ.एन.एम. से एक विज्ञापन बनवाया जिसमें उसने बिन्नो नाम की एक लड़की की मदद किये जाने का झूठा सच दर्शकों तक पहुँचाया. और नाम दिया गया क्रिएटिंग हैप्पीनेस…

– इसके साथ-साथ वेदांत ने देश भर के सभी मीडिया संस्थानों और अन्य शिक्षण संस्थानों में विकास के ऊपर एक दस्तावेजी फ़िल्म बनाने की प्रतियोगिता रखी जिसमें छात्रों को उसी की कंपनी के ऊपर फिल्म का निर्माण करना था. इस प्रतियोगिता को जज करने के लिए श्याम बेनेगल, गुलपनाग और पीयूष पाण्डेय तय किये गये. कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा सवाल-तलब होने पर श्याम बेनेगल और गुल पनाग ने इस कार्यक्रम से अपने आप को अलग कर लिया.

– गोवा फ़िल्म महोत्सव में भी उसके आयोजकों ने वेदांत से पैसा लेकर श्रेष्ठ पर्यावरण फिल्म के नाम से एक अवार्ड की शुरुआत की, जिसके बाद देश भर से लगभग 100 फ़िल्मकारो, कलाकारों, सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा आयोजकों को इसके खिलाफ एक चिठ्ठी लिखी गयी. मजबूरन आयोजकों द्वारा वेदांत को अपने इस फ़िल्मोत्सव से अलग करना पड़ा.

लेकिन इस बार उसका साथ दे रहा है एक न्यूज़ चैनल जिसका असल काम है दर्शकों तक असल सच्चाई को पहुँचाना. जब सच्चाई को उजागर करने वाले ही उस पर पर्दा डालने लगे तो किसी और से उम्मीद भी क्या जताई जा सकती है…?

TAGGED:ndtv and priyanka chopraVedantavedanta ndtv and priyanka chopra
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