केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री वीरप्पा मोइली के नाम खुला पत्र…

Beyond Headlines
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सेवा में,

श्री वीरप्पा मोइली

केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री

भारत सरकार

प्रिय मोइली जी,

जिस तरह वन एवं पर्यावरण मंत्री का कार्यभार संभालने के 20 दिनों के भीतर ही आपने 1.5 लाख करोड़ रुपए की 70 परियोजनाओं को मंजूरी दी है, उससे हतप्रभ और निराश होकर मैं आपको ग्रीनपीस की तरफ से यह पत्र लिख रहा हूं. आपकी इस बात ने मुझे भीतर से हिला दिया है जिसमें आपने कहा है कि आने वाले हफ्तों में आप कई अन्य परियोजनाओं को भी मंजूरी देने वाले हैं.

वन एवं पर्यावरण मंत्री के रुप में आपकी यह जिम्मेदारी बनती है कि विकास के नाम पर वन एवं वन्यजीवों का विनाश न हो. इसके अलावा जंगलों के सहारे जीवन यापन करनेवालों के अधिकारों पर विकास से आंच न आए, यह दायित्व भी आपकी ही है. इसी तरह वन एवं पर्यावरण मंत्री के रुप में आपकी यह भी जवाबदेही बनती है कि विकास के नाम पर इस तरह का कोई काम न हो जिससे कि धनी रुप से जैव-विविधता वाले देश को थोड़ा भी नुक़सान पंहुचे. वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के गठन का एकमात्र उदेश्य परियोजनाओं को ‘त्वरित’ मंजूरी देना नहीं, बल्कि पर्यावरण और जैव विविधता को सुरक्षित रखना है. हम इससे बेहद परेशान हैं कि जिन परियोजनाओं पर आपकी पूर्ववर्ती मंत्री श्रीमती जयंती नटराजन ने बड़े व महत्वपूर्ण प्रश्नचिन्ह लगाए थे, उन प्रश्नों को नज़रअंदाज करते हुए आपने बहुत ही लापरवाही से इन्हें मंजूरी दे दी है.

आप इतने अनुभवी व्यक्ति हैं फिर भी जिस आनन-फानन में आपने अनुचित निर्णय लिए हैं इससे हम आश्चर्यचकित हैं. पर्यावरण मंजूरी के लिए गई हर परियोजनाओं में विभिन्न तरह के लोगों की भागीदारी होती है- इसमें कॉरपोरट घराना, पर्यावरणीय समूह के साथ-साथ जिन क्षेत्रों में परियोजना लगाई जा रही है, वहां के स्थानीय लोग शामिल होते हैं. आपने हड़बड़ी में दिए गए ‘त्वरित’ मंजूरी में कॉरपोरेट घरानों के अलावा सबको पूरी तरह नकार दिया है.

मैं आपको पोस्को (पी.ओ.एस.सी.ओ.) परियोजना का उदाहरण देता हूं. आपने वन मंजूरी (फॉरेस्ट क्लियरेंस) के बगैर ही इसे स्वीकृति दे दी है. वेस्टर्न घाट में खुली लूट का विरोध कर रहे स्थनीय लोगों और पर्यावरण समूहों को आपने पूरी तरह नज़रअंदाज कर दिया है.

एक तरफ आप पेट्रोल और प्राकृतिक गैस मंत्री हैं और दूसरी तरफ वन एवं पर्यावरण मंत्री, वास्तव में यह हितों का टकराव (‘कनफ्लिक्ट ऑफ इंटरेस्ट’) है, ऐसी स्थिति पूरी दुनिया में शायद ही कहीं दिखने को मिले.

आप पर्यावरण की रक्षा करने में पूरी तरह असफल रहे हैं, इसलिए हम पूरे अदब से वन एवं पर्यावरण मंत्री के पद से आपसे इस्तीफा देने की मांग करते हैं.

आपका भवदीय,

समित आइक

कार्यकारी निदेशक, ग्रानपीस इंडिया

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