पुलिस वाला ही निकला रिवाल्वर चोर

Beyond Headlines
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Aamir Khan for BeyondHeadlines

मध्य प्रदेश : यह कौन नहीं जानता कि हमारी भारतीय पुलिस हमेशा चोर के भागने के बाद ही पहुंचती है? और पुलिस-चोर मौसेरे भाई वाली कहावत भी आपने ज़रूर सुना होगा. लेकिन अब ज़रा सोचिए कि जिन पुलिस वालों के कंधों पर चोरों से आपकी हिफाज़त की ज़िम्मेदारी है, अगर वही पुलिस चोर हो जाए तो क्या करेंगे?

पुलिस के चोर बनने की एक ऐसी ही कहानी मध्यप्रदेश के सीहोर ज़िले की है, जहां सीहोर कोतवाली से चोरी हुए दो रिवालवर का चोर एक पुलिस वाला ही निकला.

स्पष्ट रहे कि मध्य प्रदेश के हालिया विधान सभा चुनाव में आदर्श आचार संहिता नाफिज़ होने के बाद तमाम लाइसेंसी शस्त्र थाना कोतवाली सीहोर में जमा करा लिया गया, जिसमें सीहोर के सुदेश राय एवं राकेश त्यागी ने भी अपनी लाइसेंसी रिवाल्वर कोतवाली के मालखाने में जमा की  थी. लेकिन चुनाव परिणाम आने के बाद तमाम लोगों को अपना शस्त्र वापस मिल गया. लेकिन इन दोनों व्यक्तियों की रिवाल्वर थाने के मालखाने से ग़ायब बताई गई. जिस पर तत्कालीन थाना प्रभारी ललित सिंह डागुर ने अज्ञात आरोपी के विरुद्ध मामला दर्ज कर विवेचना में लिया. यही नहीं, मामले को गंभीरता को देखते हुए पुलिस अधीक्षक डॉ. रमन सिंह सिकरवार ने  उस समय के थाना प्रभारी ललित सिंह डागुर व मालखाना मुंशी दुर्गा प्रसाद शुक्ला को निलंबित भी कर दिया.  साथ ही पुलिस अधीक्षक सीहोर के द्वारा रिवाल्वर की तलाश हेतु एक विशेष टीम गठित की गई.

इस पूरे मामले की जांच शुरू हुई. मामले की विवेचना नवगत थाना थाना प्रभारी निरंजन शर्मा कर रहे थे. जांच के दौरान उन्होंने पाया कि सीहोर थाना कोतवाली से चोरी हुई रिवाल्वर का चोर कोई और नहीं, बल्कि कोतवाली के ही एक आरक्षक ने इन दोनों रिवाल्वर की चोरी की है और वो चोरी की गई रिवाल्वर से लोगों को डरा रहा है.

आज सीहोर में इसी सिलसिले में पुलिस अधीक्षक द्वारा प्रेस कांफ्रेस कर इस बात की पुष्टि की गई कि रिवाल्वर की चोरी सीहोर थाना कोतवाली में तैनात विजय श्रीवास्तव ने की है.  साथ ही पुलिस अधीक्षक  ने यह भी बताया कि विजय श्रीवास्तव ने अपना जुर्म क़बूल कर लिया है. यही नहीं, उसके घर से चोरी के दोनों रिवाल्वर भी बरामद हो चुके हैं.

आगे उन्होंने बताया कि पूछताछ में विजय श्रीवास्तव ने बताया है कि 18 दिसंबर की रात्रि वो कोतवाली में संतरी की ड्यूटी पर था. उसने मालखाने में रिवाल्वर व पिस्टल रखते हुए मुंशी को देखा था. उसके बाद उसके मन में लालच आ गई और 18-19 दिसंबर की दरम्यानी रात मालखाने की चाबी एच.सी.एम. की दराज से निकालकर मालखाने का ताला खोला एवं उसमें रखी दोनों रिवाल्वर मालखाने के बाहर रख दी. ड्यूटी समाप्त होने के बाद दोनों रिवाल्वर घर ले गया. अब दोनों रिवाल्वर बेचने के लिए ग्राहक की तलाश में था.

पुलिस के चोर बनने की कहानी अब आपके सामने आ चुकी है. अब ज़रा हमारे ज़रिए आरंभ ही पूछे गए सवालों पर गंभीरता से विचार कीजिए… साथ ही यह भी सोचनीय विषय है कि क्या भारतीय पुलिस ज़िम्मेदार बनाने की ज़रूरत नहीं है? और अरविन्द केजरीवाल पुलिस को पारदर्शी और ज़िम्मेदार बनाने की जो बात कर रहे हैं, क्या वो गलत है?

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