आजमगढ़ में प्रशासनिक मिलीभगत से सांप्रदायिक तनाव भड़काने की कोशिश

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BeyondHeadlines News Desk

आज़मगढ़ : गंभीरपुर थाना क्षेत्र के मोहम्मदपुर बाजार में सोमवार की रात आठ बजे चबूतरे की मरम्मत को लेकर दो समुदायों के लोग भिड़ गए. दर्जनों दुकानों में तोड़फोड़ कर कई वाहनों को आग के हवाले कर दिया. फायरिंग भी हुई, जिसमें एक युवक गोली लगने से घायल हो गया. भीड़ के आक्रोश को देखते हुए पिकेट पर तैनात पुलिस कर्मी भाग खड़े हुए. एक घंटे बाद भारी संख्या में पहुंचे पुलिस बल ने आगजनी और तोड़फोड़ कर रहे लोगों को खदेड़ा.

इस पूरे मामले पर रिहाई मंच ने आज जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में आज़मगढ़ में हुए इस घटना के लिए प्रदेश सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा है कि समाजवादी पार्टी भाजपा के साथ अपने गुप्त समझौते के तहत छोटी-छोटी घटनाओं में दंगा कराने की संभावना देख रही है. मंच ने कहा कि एक तरफ प्रदेश की पुलिस दंगाइयों को खुली छूट दे रही है तो वहीं, सरकार के मंत्री आज़म खान विधान सभा में झूठ बोलते दिख रहे हैं कि उनकी सरकार में सिर्फ चार दंगे हुए हैं. इस तरह सपा एक ओर दंगा भी करा रही है और दूसरी ओर दंगों को स्वीकार करने के लिए भी तैयार नहीं है.

आज़मगढ़ से जारी बयान में रिहाई मंच राज्य कार्यकारिणी सदस्य अनिल यादव, लक्ष्मण प्रसाद और रिहाई मंच आजमगढ़ के प्रभारी मसीहुद्दीन संजरी ने पुलिस के घटना स्थल से भाग जाने और उसके बाद उपद्रवी तत्वों को खुली छूट देकर हिंसा के माहौल को बढ़ाने का आरोप लगाते हुए आजमगढ़ के एसएसपी को तत्काल हटाए जाने की मांग की है.

उन्होंने कहा कि मुहम्मदपुर कस्बा, आजमगढ़ मुख्यालय से मात्र 15 किलोमीटर है. जहां 20 से 30 मिनट में प्रशासनिक अधिकारी पहुंच सकते थे, पर जिस तरीके से घटना स्थल से मात्र एक किलोमीटर की दूरी पर स्थित स्थानीय गंभीरपुर थाने की पुलिस नहीं आई, उससे साफ जाहिर होता है कि यह हिंसा प्रायोजित थी. आजमगढ़ में कुछ दिनों पहले भी सांप्रदायिक तनाव भड़काने की कोशिशें की गई थीं, उस वक्त भी प्रशासन ने दोषियों के विरुद्ध कोई कार्यवाई नहीं की ऐसे में सांप्रदायिक तत्वों का बढ़ता मनोबल बताता है कि प्रदेश सरकार उन्हें संरक्षित कर रही है.

इसके विज्ञप्ति में रिहाई मंच के अध्यक्ष मोहम्मद शुएब ने यह भी कहा कि प्रदेश की सपा सरकार सदन को गुमराह करते हुए जहां प्रदेश में सिर्फ चार सांप्रदायिक हिंसक वारदातों की बात बता कह रही है, वहीं इससे पहले इसी सरकार ने सदन में मार्च 2012 से दिंसबर 2012 तक सपा सरकार के छोटे से कार्यकाल में 27 सांप्रदायिक हिंसा की घटनाओं को मुख्यमंत्री अखिलेश यादव स्वंय स्वीकार कर चुके हैं.

उन्होंने कहा कि जब मुलायम सिंह यादव कहते हैं कि मुजफ्फरनगर के राहत कैंपों में पीडि़त नहीं रहते, और पिछले दिनों मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि मुजफ्फरनगर दंगों की सूचना उन्हें देर से मिली ऐसे में मुख्यमंत्री, उनके पिता और आज़म खान जैसे उनके सिपहसलार तय करके बता दें कि मुजफ्फरनगर में सांप्रदायिक हिंसा हुई भी थी की नहीं?

मंच के अध्यक्ष मोहम्मद शुऐब ने कहा कि जिस तरह से मुजफ्फरनगर में सांप्रदायिक हिंसा होने के बाद मुलायम सिंह ने कहा था कि यह जाट-मुस्लिम संघर्ष है, तो ऐसे में मुलायम को बताना चाहिए कि आजमगढ़ में जो हो रहा है वह यादव मुस्लिम संघर्ष है क्या?

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