जामिया नगर में बढ़ती आर.एस.एस. की सक्रियता…

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Afroz Alam Sahil for BeyondHeadlines

लोकसभा का मौजूदा चुनाव जामिया नगर के रहने वालों के लिए मुसीबत का सबब बनकर आया है. वोटों की ध्रुवीकरण के खातिर जामिया नगर एक बार फिर से ‘वोट के सौदागरों’ के निशाने पर है. एक अजीब सा डर यहां के गली-नुक्कड़ों में छाया हुआ है. यहां के रहने वाले इस आशंका में डूबे हुए हैं कि वोटों की खातिर यहां कहीं कुछ हो न जाए या कुछ करवा न दिया जाए. अब तो इसके सबूत मिलने भी शुरू हो गए हैं.

भाजपा नेता वी.के. मल्होत्रा का ऐन चुनाव के मौके पर जामिया को आतंकवादियों का गढ़ क़रार देना और फिर इसे पार्टी की विचारधारा से जोड़ देना अनायास ही नहीं लगता है. इसके पीछे एक गहरी साज़िश की बू आती है. यहां के रहने वाले भी इस बात की तस्दीक करते हैं कि एकाएक इस इलाके में अजनबी चेहरों की तादाद बढ़ गई है. शक व सुब्हा इस बात की है कि यह चेहरे आर.एस.एस. के काडर और खुफिया एजेंसियों के एजेंटों के हो सकते हैं.

हाल ही में यहां कुछ बेकसूर छात्रों को पहले गैर-कानूनी तरीके से पुलिस ने उठाया, और फिर जब इलाकाई लोगों ने कानून की अवहेलना को लेकर विरोध किया तो इन छात्रों को निर्दोष बताते हुए छोड़ दिया गया. संकेत बहुत साफ से लगते हैं कि कहीं वोट की मंडी में इस जामिया नगर के अमन व चैन का सौदा तो नहीं हो रहा है…

स्थानीय लोगों की माने तो इस इलाके में आरएसएस और खुफिया विभाग के लोगों की सक्रियता काफी बढ़ गई है. और यह चौक-चौराहों पर राजनीतिक चर्चा कर इस कोशिश में लगे हैं कि किसी तरह से यहां के मुसलमानों का वोट बंट जाए. इतना ही नहीं, कई बार अफवाहें भी फैलाने की कोशिश की जा रही है.

48 वर्षीय नसीम बताते हैं कि “दो दिन पहले जब वो नमाज़ पढ़कर निकल रहे थे तो दो लोग आपस में बात कर रहे थे कि आज इस इलाके से 19 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. वो सकते में पड़ गए कि आखिर यह हो क्या रहा है. उन्होंने फौरन बात करने वालों से पूछा कि यह गिरफ्तारी कब और कहां से हुई तो उन्होंने बताया कि आज सुबह ही बटला हाउस से 19 आतंकवादियों को पुलिस उठा कर ले गई है.”

आगे नसीम साहब बताते हैं कि इस बात ने कुछ पल के लिए उन्हें परेशान करके रख दिया. फिर वो अपने एक दोस्त के पास गए और उन्हें बताया तो वो भी परेशान हो गये. उन्होंने कई लोगों को फोन करके मालूम किया तो पता चला कि ख़बर झूठी है.

एक न्यूज़ एजेंसी में काम करने वाले एक पत्रकार ने भी हमें बताया कि “चार दिन पहले उसके बॉस ने बुलाकर पूछा कि सुना है तुम्हारे इलाके में अभी-अभी एक एनकाउंटर हुआ है. मैंने तुरंत कहा कि नहीं सर ऐसी कोई खबर तो नहीं है. तो बॉस का कहना था कि किसी ने उन्हें फोन करके यह जानकारी दी है.”

एक स्थानीय निवासी नाम न बताने की शर्त पर बताते हैं कि मैं एक दिन पहले रात को तकरीबन एक बजे अपने एक दोस्त के साथ जामिया स्कूल के सामने खड़ा था कि तभी देखा कि एक गाड़ी, जिस पर भाजपा का झंडा व बैनर लगा हुआ था, बार-बार बटला हाउस की ओर जा रहा था और वापस फिर जामिया की ओर. तकरीबन आधे घंटे में उस गाड़ी 8 बार से अधिक आवाजाही की. उसमें सवार लोगों के चेहरे से लग रहा था कि वो इस इलाके के नहीं हैं और कुछ ढ़ूंढ़ रहे हैं. कई बार हमारे करीब गाड़ी लाकर रोका, हमें गौर से देखा और चले गए.

वहीं एक दूसरे स्थानीय निवासी बताते हैं कि रात को आजकल गफूर नगर ताज भाई के चाय की दुकान पर अक्सर इंटेलीजेंस के कुछ लोगों को बैठे हुए देखता हूं. वो अपने इंफोर्मर से मिलते हैं और फिर चले जाते हैं. चाय की दुकान से जाने के बाद काफी देर तक बटला हाउस चौक पर खड़ा होते हैं. साथ ही वो यह भी बताने लगे कि हमारे इस इलाके का दूर्भाग्य है कि हमारे ही लोग पैसों की लालच में उनके लिए काम करते हैं. ऐसे लोगों की संख्या हज़ारों में है.

एक और स्थानीय निवासी बताते हैं कि यही वो चुनाव का मौसम है कि जब स्थानीय लोग रात के तीन-तीन बजे तक चौक-चौराहों पर बैठकर राजनीतिक चर्चा करते थे, लेकिन आज आलम यह है कि रात के 12 बजते ही सन्नाटा पसर जाता है. ऐसे हालत 2008 के बाद से ही देखने को मिल रहा है. और मौजूदा हालात को देखते हुए लग रहा है कि साम्प्रदायिक ताक़ते फिर से यहां 2008 दोहराने की कोशिश में हैं.

विश्व शांति परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष जो इसी जामिया नगर इलाके में रहते हैं, का कहना है कि राजनैतिक सत्ता हासिल करने के लिए भाजपा की यह पुरानी चाल है. वो पिछले दो दशकों से चुनावी फायदा हासिल करने के लिए बम ब्लास्ट जैसी घिनौनी व नापाक साजिश रचने से भी बाज़ नहीं आती. ऐसे में इस चुनाव में कहीं भी बम विस्फोट जैसा हादसा कराया जा सकता है, और फिर उसके जांच एजेंसियां जामिया नगर को ही अपना निशाना बनाएंगी.

वहीं ज़ाकिर नगर में रहने वाले वेलफेयर पार्टी ऑफ इंडिया के राष्ट्रीय सचिव डॉ. कासिम रसूल इलियास का भी मानना है कि मोदी अपने ‘मिशन-272’ के लिए देश में कुछ भी करने को तैयार हैं. इस ‘मिशन’ के लिए वो खुद पर भी हमला करवा सकते हैं, ताकि किसी तरह से प्रधानमंत्री की कुर्सी हासिल की जा सके. और वैसे भी खुफिया एजेंसियां देश के लिए नहीं, बल्कि संघ के लिए काम कर रही हैं. जामिया नगर से दो बेगुनाहों की गिरफ्तारी से इस बात को आसानी से समझा जा सकता है.

इन सब बातों के दरम्यान कई गंभीर सवाल हैं. और इन सवालों के बीच जैसे-जैसे चुनाव करीब आ रहा है, जामिया नगर में आशंकाएं बढ़ती जा रही हैं. सभी के ज़ेहन में एक ही सवाल है कि इस बार किसका नंबर होगा? वोटों की राजनीत के इस गंदे तालाब में किस मछली को जान गंवानी होगी और इलाके की शांति पर नफ़रत और साज़िश की तलवार कब तक गिरेगी?

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