यूपी में हर साल 312 एससी-एसटी महिलाएं बलात्कार का शिकार

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BeyondHeadlines News Desk

लखनऊ : उत्तर प्रदेश इन दिनों चर्चे में है. प्रदेश की अखिलेश सरकार की खूब फज़ीहत हो रही है. सारे दलों के नेताओं ने बदायूं जाकर अखिलेश सरकार को निशाने पर लिया. आज भारतीय प्रेस परिषद के अध्यक्ष मार्केंडेय काटजू ने भी कहा कि समय आ गया है कि अखिलेश सरकार इस चलन पर रोक लगाए अन्यथा राज्य में जंगल राज की स्थिति बन जाएगी. कुछ दिनों पहले मायावती भी बदायूं पहुंच कर अखिलेश सरकार को निशाने पर लेते हुए कहा था कि जब प्रदेश में बसपा में सरकार थी तो उनकी सरकार में पिछड़ी जातियों की महिलाएं पूरी तरह सुरक्षित थीं.

लेकिन सूचना के अधिकार के तहत अपर पुलिस महानिदेशालय और विशेष जांच दल से मिले अहम दस्तावेज़ बताते हैं कि ऐसा बिल्कुल भी नहीं है. मायावती पूरी से झूठ बोल रही हैं.

सूचना के अधिकार के तहत मिले महत्वपूर्ण दस्तावेज़ बताते हैं कि कि पिछले आठ सालों में एससी-एसटी वर्ग की 2499 महिलाओं को हैवानों ने अपनी हवस का शिकार बनाया है. और अगर औसत के हिसाह से देखा जाए तो एससी-एसटी वर्ग की लगभग 312 महिलाएं हर साल सपा और बसपा सरकार में बलात्कार का शिकार हुई हैं.

आरटीआई के तहत मिले दस्तावेज़ों के मुताबिक बसपा सरकार के पांच साल के कार्यकाल में 1650 पिछड़ी जाति की महिलाओं से बलात्कार की घटनाएं सामने आई थीं, जबकि 2012 और 2013 में सपा सरकार के दौर में 609 अनुसूचित जाति और जनजाति की महिलाएं बलात्कार की घटनाएं सामने आई है.

यानी आंकड़ों को देखा जाए तो मायावती सरकार भी पिछड़ी जातियों की महिलाओं के साथ बलात्कार की घटना कोई कमी नहीं थी. लेकिन माया और अखिलेश सरकार सिर्फ इतना अंतर है कि बसपा सरकार में बलात्कार की घटना होने पर तत्काल कार्रवाई होती थी और सपा सरकार में राजनीतिक और सामाजिक दबाव पड़ने पर ही कोई क़दम उठाया जा रहा है.

स्पष्ट रहे कि आरटीआई के माध्यम से यह जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता गौरव अग्रवाल ने निकाली है. उनको मिली सूचना में 2006 में पिछड़ी जाति की महिलाओं के साथ हुई बलात्कार की घटनाओं ब्यौरा भी दिया गया है. तत्कालीन मुलायम सरकार के दौरान 240 घटनाएं सामने आई थीं.

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