BeyondHeadlinesBeyondHeadlines
  • Home
  • India
    • Economy
    • Politics
    • Society
  • Exclusive
  • Edit/Op-Ed
    • Edit
    • Op-Ed
  • Health
  • Mango Man
  • Real Heroes
  • बियॉंडहेडलाइन्स हिन्दी
Reading: प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी के नाम मज़दूरों का खुला पत्र
Share
Font ResizerAa
BeyondHeadlinesBeyondHeadlines
Font ResizerAa
  • Home
  • India
  • Exclusive
  • Edit/Op-Ed
  • Health
  • Mango Man
  • Real Heroes
  • बियॉंडहेडलाइन्स हिन्दी
Search
  • Home
  • India
    • Economy
    • Politics
    • Society
  • Exclusive
  • Edit/Op-Ed
    • Edit
    • Op-Ed
  • Health
  • Mango Man
  • Real Heroes
  • बियॉंडहेडलाइन्स हिन्दी
Follow US
BeyondHeadlines > India > प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी के नाम मज़दूरों का खुला पत्र
IndiaLead

प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी के नाम मज़दूरों का खुला पत्र

Beyond Headlines
Beyond Headlines Published July 6, 2014
Share
6 Min Read
SHARE

नरेन्द्र मोदी जी,

आपने 26 मई को प्रधानमन्त्री पद की शपथ ली, जिसके बाद टी.वी. चैनलों पर शोर मच गया है कि भारत के विशाल लोकतन्त्र में एक चाय बेचने वाला मज़दूर प्रधानमन्त्री के आसन पर बैठ गया. हमें याद है कि चुनाव जीतने के बाद गुजरात में हुए अपने पहले भाषण में आपने कहा था कि आप भारत के मज़दूर नम्बर ‘वन’ हैं. लेकिन शपथ समारोह में अम्बानी बन्धु से लेकर अदानी जैसे उद्योगपतियों को देखकर हमारे ज़ेहन में कुछ सवाल आये. उम्मीद है, आप उनका लिखित में उत्तर देंगे.

पहला, क्या वाक़ई देश के उद्योगपति देश की बागडोर किसी मज़दूर के हाथ में देने के लिए 10 हज़ार करोड़ रुपये ख़र्च करेंगे. (अख़बारों से हमें पता चला है कि आपके चुनाव प्रचार पर इतना ख़र्चा आया) हम तो अपनी ज़िन्दगी से जानते हैं कि मालिकों-पूँजीपतियों की नज़र में मज़दूर की एक ही हैसियत होती है, कोल्हू के बैल की तरह खटकर मालिकों की तिजोरियां भरना. सभी पूँजीपतियों का एक ही मूलमन्त्र है सस्ते से सस्ता मज़दूर ख़रीदो और महँगे से महँगा माल बेचो.

दूसरा, चुनाव के दौरान देश के सभी मीडिया चैनलों पर आपका बम्पर प्रचार आया. ऐसे में सवाल है कि क्या मीडिया अकेले मोदी जैसे मज़दूर को ही दिखाना चाहता है, जबकि देश की 55 करोड़ मज़दूर आबादी आधुनिक गुलामों की तरह खट रही है, रोज़ाना देश में दर्जनों मज़दूर औद्योगिक दुर्घटनाओं में मारे जाते हैं, मज़दूरों-किसानों के आन्दोलनों पर लाठी-गोली चलवायी जाती है, तब यह मीडिया क्यों अन्धा-गूंगा-बहरा बन जाता है, इसका आपके पास क्या जवाब है?

ख़ैर, हम जानते हैं कि आपके लिए सवाल कुछ टेढ़े हैं. इसलिए हम मज़दूर आपके समक्ष कुछ माँगे रख रहे हैं कि अगर आप ‘वाक़ई’ मज़दूर नम्बर ‘वन’ होने का दम भरते हैं तो इन माँगों पर तुरन्त कार्रवाई करे –

1. प्रधानमन्त्री पद के लिए आपने जिस संविधान की शपथ ली, उसी संविधान के तहत हम मज़दूरों के लिए 260 श्रम क़ानून बने हुए हैं. लेकिन अफ़सोस की बात है कि आज़ादी के 66 साल बाद भी श्रम क़ानून सिर्फ़ काग़ज़ों की शोभा बढ़ाते हैं, असल में मज़दरों को न तो न्यूनतम मज़दूरी मिलती है न ही पीएफ़, ईएसआई की सुविधा. पूरे देश में ठेका प्रथा लागू करके मज़दूरों को आधुनिक गुलाम बना लिया गया है. इन सारे श्रम क़ानूनों का उल्लंघन करने वाले फ़ैक्टरी मालिक या व्यापारी किसी न किसी चुनावी पार्टी से जुड़े हुए हैं या करोड़ों का चन्दा देते हैं, बाक़ी ख़ुद भाजपा के कई सांसदों, विधायकों, पार्षदों की फ़ैक्टरियाँ हैं, जहाँ श्रम क़ानूनों की सरेआम धज्जियाँ उड़ायी जाती हैं. ऐसे में क्या आप या भाजपा इनके खि़लाफ़ मज़दूर हितों के लिए कोई संघर्ष चलाने वाले हैं?

2. आपने काले धन के लिए एसआईटी बनायी है लेकिन मज़दूर होने के नाते क्या आपको नहीं पता कि देश के पूँजीपति, व्यापारी हर साल अरबों रुपये मज़दूरों के न्यूनतम वेतन, पी.एफ़. व ईएसआई का हड़प ले जाते हैं. क्या आप मज़दूरों की इस लूट के खि़लाफ़ कोई एसआईटी या कोई टास्क फ़ोर्स बनायेंगे?

3. यूँ तो आप गाँधी जी के प्रदेश से आते हैं, लेकिन क्या आप गाँधी के विचारों को भी अपने ऊपर लागू करते हैं? जैसे गांधी की सादगी जग-जाहिर थी, लेकिन आपके पूरे चुनाव प्रचार से लेकर शपथ लेने तक हुए भव्य आयोजनों को देखकर नहीं लगता कि आप सादगी में यकीन करते हैं. ख़ैर, इससे ज़्यादा ज़रूरी बात यह है कि गाँधी ने 2 मार्च 1930 को तत्कालीन अंग्रेज़ वायसराय को लिखे अपने लम्बे पत्र में ब्रिटिश शासन को सबसे महँगी व्यवस्था बताते हुए उसे जनविरोधी और अन्यायी करार दिया था. उनके इस सवाल की कसौटी पर जब हम आज के भारत की संसदीय शासन प्रणाली को कसते हैं, तो पाते हैं कि एक तरफ़ देश की 77 फ़ीसदी जनता 20 रुपये रोज़ पर गुज़ारा कर रही है, दूसरी तरफ़ जनप्रतिनिधि कहलाने वाले 543 सांसदों पर हर पाँच वर्ष में 8 अरब 55 लाख रुपये ख़र्च कर दिये जाते हैं. आज आपको प्रति माह सिर्फ़ वेतन के रूप में 1 लाख 60 हज़ार रुपये मिलते हैं जबकि हम मज़दूर पूरे माह, रोज़ाना 12 घण्टे खटने के बावजूद सिर्फ़ 6000-7000 कमा पाते हैं. क्या आप अमीर-गरीब की इस चौड़ी होती खाई को पाटने के लिए कुछ कर सकते हैं? वरना दुनिया का सबसे महँगा यह जनतन्त्र जनता की छाती पर पहाड़ के समान है.

ये कुछ बुनियादी सवाल हैं जिनको हम आपके समक्ष रख रहे है. उम्मीद है आप शीघ्र, हमें उत्तर देगें.

मज़दूर कार्यकर्ताओं द्वारा जारी, गुड़गाँव

TAGGED:open letter to modiप्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी के नाम मज़दूरों का खुला पत्र
Share This Article
Facebook Copy Link Print
What do you think?
Love0
Sad0
Happy0
Sleepy0
Angry0
Dead0
Wink0
“Gen Z Muslims, Rise Up! Save Waqf from Exploitation & Mismanagement”
India Waqf Facts Young Indian
Waqf at Risk: Why the Better-Off Must Step Up to Stop the Loot of an Invaluable and Sacred Legacy
India Waqf Facts
“PM Modi Pursuing Economic Genocide of Indian Muslims with Waqf (Amendment) Act”
India Waqf Facts
Waqf Under Siege: “Our Leaders Failed Us—Now It’s Time for the Youth to Rise”
India Waqf Facts

You Might Also Like

ExclusiveIndiaLeadYoung Indian

Weaponizing Animal Welfare: How Eid al-Adha Becomes a Battleground for Hate, Hypocrisy, and Hindutva Politics in India

July 4, 2025
ExclusiveHaj FactsIndiaYoung Indian

The Truth About Haj and Government Funding: A Manufactured Controversy

June 7, 2025
EducationIndiaYoung Indian

30 Muslim Candidates Selected in UPSC, List is here…

May 8, 2025
IndiaLatest NewsLeadYoung Indian

OLX Seller Makes Communal Remarks on Buyer’s Religion, Shows Hatred Towards Muslims; Police Complaint Filed

May 13, 2025
Copyright © 2025
  • Campaign
  • Entertainment
  • Events
  • Literature
  • Mango Man
  • Privacy Policy
Welcome Back!

Sign in to your account

Lost your password?