Anurag Bakshi for BeyondHeadlines
सुप्रीम कोर्ट द्वारा सभी 214 प्राईवेट कोल खदानों को रद्द करना सरकार और कारपोरेट लॉबिस्ट की कमर तोड़ना जैसा ही है. इस फैसले ने एक साफ़ संदेश दे दिया है कि सार्वजनिक प्राकृतिक संसाधनों की लूट अब और देश बर्दाश्त करने वाला नहीं है.
यह फैसला इस बात की ओर भी इशारा करता है कि आज भी इस देश में इन्साफ की आवाज़ ज़िंदा है. साथ ही इतने सारे आवंटनो का एक साथ रद्द होना इस बात का भी सूचक भी है कि किस तरह अपने लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए सरकार आवंटन की नीतियों का मनमाफिक उपयोग करती है.
लेकिन मीडिया इस फैसले को किसी और रूप में ले रही है. मीडिया की अगर माने तो इस फैसले के बाद अब (1) ऊर्जा क्षेत्र में संकट बढ़ेगा. (2) कोयले का उत्पाद रूकेगा. और (3) अर्थव्यवस्था में कमी आयेगी.
ऐसी कई कमियां आज हमारे अधिकतर अख़बार गिनाते नज़र आएं. सच पूछे तो मीडिया के इस क़दम को कारपोरेट के प्रति आखिरी श्रद्धांजलि के रूप में देखा जा सकता है. आखिर जब रोटी वहीं से मिल रही है तो ऐसे में मीडिया कारपोरेट के प्रति वफादारी दिखाने में कोई कोताही क्यों बरतेगी?
यह वफादारी का ही नमूना है कि वो कोर्ट के इस फैसले का बेमन से सम्मान करते हुए इस फैसले पर कई प्रश्न भी लगातार उठा रहा है. शायद ऐसा इसलिए है कि मीडिया खुद को अकेले ही ज्ञान का भंडार मानती है. लेकिन शायद वो यह भूल रही है कि सुप्रीम कोर्ट कोई फैसला लेता है तो गहन छानबीन, तफ्तीश और विशेषज्ञों की राय साथ ही होती है.
बहुत दुःख की बात है कि आज जिस अख़बार को जनता की आवाज़ होनी चाहिए, वो इस मसले में पूरी तरह 800 करोड़ की लॉबिंग मात्र का हिस्सा बना हुआ है.
इन अख़बारों को याद रखना होगा कि जब भी कोई बड़ा क्रांतिकारी परिवर्तन या फैसला आता है तो उसमें बहुत सारे बड़े दरख्त ज़रूर गिरते हैं. भूमि डोलती ही है और तभी वो ज़मीन बाक़ी दबी-कुचली फसल या नई फसल के लिए उपयोगी होती है.
हो सकता है कि इस फैसले का अर्थव्यवस्था पर झटका ज़रूर लगे, लेकिन इसके दूरगामी परिणाम देश के आम आदमी के हित में ही होगा.
ख़ैर देश के सभी प्राईवेट कोल ब्लॉक का आवंटन रद्द होना, भ्रष्ट अधिकारियों और कोर्पोरेट लॉबिस्ट को पेट पर पड़ने वाली लात की तरह है. बिल्कुल वैसे ही जैसे रावण को मारने से पहले उसके पेट का अमृत सुखाना और ज़लाना ज़रूरी था.
इस गठजोड़ को पड़ी यह लात इस बात की ओर दोबारा सम्भावना जगाता है कि जल्द ही आज का रावण भी अब मारा जाएगा. क्योंकि अब वो आ गया निशाने पर और ये पहली चोट इसकी जड़े हिलाने को काफी हैं…