मेहनतकश जनता की गोलबंदी ही ला सकती है सच्चा लोकतंत्र

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BeyondHeadlines News Desk

लखनऊ : देश की आम जनता रोज़गार के अभाव, न्याय के अभाव, पुलिस-प्रशासन-कानून के जुल्म, ठेका संविदा मजदूरी के भयंकर शोषण, दोहरी शिक्षा-चिकित्सा नीति और जाति-धर्म के भेद-भाव तथा सांप्रदायिक ताक़तों के अत्याचार से पिस रही है.

यह बातें आज ऑल इंडिया वर्कर्स कौंसिल के अध्यक्ष ओपी सिन्हा ने कौंसिल के तीसरे राष्ट्रीय सम्मेलन में रखी.

उन्होंने कहा कि आज किसानों की तबाही और विस्थापन बड़ी समस्याएं हैं. किस तरह से श्रमिक एवं मेहनतकश जनता का बड़ा आंदोलन खड़ा किया जाए, इस पर विचार करना वक्त की फौरी ज़रूरत है.

आगे उन्होंने बताया कि देश की बड़ी आबादी की व्यापक एकता पर आधारित जन आंदोलन के उद्देश्य से अब से आठ वर्ष पहले ऑल इंडिया वर्कर्स कौंसिल की स्थापना लखनऊ शहर में हुई थी. तब से लेकर अब तक आम जनता के सवालों पर यह लगातार संघर्षरत है.

इस सम्मेलन में आए प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए कई वक्ताओं ने देश की 70 प्रतिशत आबादी की वर्तमान दयनीय स्थितियों पर चिंता व्यक्त की. वक्ताओं ने कहा कि सत्ता में बैठे लोगों और कारपोरेट जगत की जनता को जाति व धर्म के नाम पर बांटने और उनका तरह-तरह से शोषण करने की नीतियों को निशाना बनाना ही होगा. मेहनतकश जनता की व्यापक एकता के आधार पर ही वर्तमान पूंजीवादी व्यवस्था को बदलकर ऐसी व्यवस्था को लाया जा सकता है, जो न्याय, समाजवाद और सच्चे लोकतंत्र पर आधारित हो. इसके लिए ज़रूरी है कि आपसी मतभेद भुलाकर मेहनतकश लोगों को एकताबद्ध करके एक बड़े जन आंदोलन से जोड़ा जाए. वक्ताओं ने अलग-अलग स्थानों पर जनता के हितों से संबंधित जन आंदोलन के एकीकरण पर भी जोर दिया.

स्पष्ट रहे कि ऑल इंडिया वर्कर्स कौंसिल का तीसरा राष्ट्रीय सम्मेलन गुरुवार को लखनऊ के आर्य नगर स्थित उपकारम् करोति विद्यालय में शुरू हुआ. चार दिन तक चलने वाले इस सम्मेलन में देश के विभिन्न हिस्सों तथा उत्तर प्रदेश से सैकड़ों प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं. सम्मेलन के अंतिम दिन 9 नवंबर रविवार को ’श्रम कानूनों में बदलाव एवं श्रमिक वर्ग की मुक्ति के प्रश्न’ पर दोपहर 12 बजे से आम सभा होगी. इस चार दिवसीय सम्मेलन में केरल, महाराष्ट्र, पंजाब, दिल्ली, कर्नाटक, बिहार, झारखंड, गुजरात, पश्चिम बंगाल, मध्यप्रदेश आदि प्रदेशों के सैकड़ों प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं.

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