पूंजीवादी लोकतंत्र में मजदूर वर्ग का भला नहीं हो सकता…

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BeyondHeadlines News Desk

लखनऊ : वर्तमान राजनैतिक परिदृश्य किसके ज़रिए देश में आया है? इस पर अब विचार करने की आवश्यकता है. हमें अपनी बात पहुंचाने के लिए अपने खुद के साधन विकसित करने ही होंगे. हम कारपोरेट मीडिया के भरोसे नहीं रह सकते. हमें इस पर विचार करना ही होगा कि क्या अब सभ्यताओं के संघर्ष का प्रचार होगा या फिर वर्ग संघर्ष होगा.

यह बातें आज मजदूर नेता उदय ने ऑल इंडिया वर्कर्स कौन्सिल के तीसरे राष्ट्रीय सम्मेलन में कहा. सम्मेलन का आज दूसरा दिन था.

सम्मेलन में अपनी बात रखते हुए ग़दर पार्टी के नेता प्रकाश राव ने कहा कि देश में पार्टियों के बीच नहीं वर्गों के बीच का संघर्ष चल रहा है. इस संघर्ष में हमारे हौसले बुलंद होने चाहिए. क्योंकि जीत हमारी ही होगी.

आगे उन्होंने कहा कि आज का लोकतंत्र पूंजीवाद की तानाशाही वाला है और इसे खत्म कर सर्वहारा की तानाशाही वाला लोकतंत्र लाना होगा. पूंजीवाद आज दुनिया को खात्मे की ओर ले जा रहा है. इससे लड़ना ही होगा. आज पूंजीवादी मीडिया ही सत्ता तय करता है, हमें उससे भी सावधान रहना होगा.

बंगाल से आए मजदूर नेता सुरंजन भट्टाचार्य ने कहा कि जिन लोगों का यह सोचना है कि मार्क्सवाद के ज़रिए बदलाव नहीं ला सकते, वे कुंठित और निराश हैं. इस देश का मज़दूर तबका और उसका स्तर ही पूरी इंडस्ट्री के चेहरे को दिखा देता है. हमें अपने दायरे को और आगे ले जाने की ज़रूरत है. बिना इसके हम किसी बड़ी सफलता की आशा नहीं कर सकते.

बलिया की रसड़ा कताई मिल मजदूर यूनियन के अध्यक्ष जी.पी. वर्मा ने अपनी बातों को रखते हुए कहा कि आज के दौर में श्रमिक संगठनों का क्या दायित्व बनता है, इस पर विचार करने की ज़रूरत है. अन्य संघर्ष में लगे हुए लोगों के साथ कैसी रणनीति बना कर खड़ा हुआ जाए, इस पर भी चर्चा ज़रूरी है.

सम्मेलन में बोलते हुए अवधेश सिंह ने कहा कि मज़दूर और किसान दोनों ही एक दूसरे के पूरक हैं. उनकी समस्याएं भी एक दूसरे की पूरक हैं और इसीलिए उन्हें साथ आना ही होगा. देश जाति और संप्रदायवाद के प्रभुत्व ने हमारे सामने मुश्किलों का अंबार खड़ा कर दिया है, लेकिन घबराने की ज़रूरत नहीं है.

व्यास मुनि मिश्र ने कहा इस बात पर विचार करना होगा कि फासीवादी ताक़तों का सत्ता में आने के लिए कौन से तत्व जिम्मेदार हैं, उनके खिलाफ भी रणनीति बनानी होगी.

केरल से आए एम. राजन ने देश और दुनिया की वर्तमान परिस्थिति पर ऐतिहासिक दृष्टिकोणों से प्रकाश डालते हुए कहा कि आज पूरी दुनिया में जन पक्षधर शक्तियों के आंदोलन की भूमिका तैयार हो चुकी है. यह सम्मेलन भी उसी का एक अभिन्न हिस्सा है.

इसके अलावा एम.के. सिंह, राघवेन्द्र प्रताप सिंह, दिलीप सिंह, जे.पी. वर्मा, मोना सूद के.के शुक्ला, रामकृष्ण आदि ने इस सम्मेलन को संबोधित किया.

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