BeyondHeadlinesBeyondHeadlines
  • Home
  • India
    • Economy
    • Politics
    • Society
  • Exclusive
  • Edit/Op-Ed
    • Edit
    • Op-Ed
  • Health
  • Mango Man
  • Real Heroes
  • बियॉंडहेडलाइन्स हिन्दी
Reading: नस की यह बंदी, किसकी बांदी!
Share
Font ResizerAa
BeyondHeadlinesBeyondHeadlines
Font ResizerAa
  • Home
  • India
  • Exclusive
  • Edit/Op-Ed
  • Health
  • Mango Man
  • Real Heroes
  • बियॉंडहेडलाइन्स हिन्दी
Search
  • Home
  • India
    • Economy
    • Politics
    • Society
  • Exclusive
  • Edit/Op-Ed
    • Edit
    • Op-Ed
  • Health
  • Mango Man
  • Real Heroes
  • बियॉंडहेडलाइन्स हिन्दी
Follow US
BeyondHeadlines > बियॉंडहेडलाइन्स हिन्दी > नस की यह बंदी, किसकी बांदी!
बियॉंडहेडलाइन्स हिन्दी

नस की यह बंदी, किसकी बांदी!

Beyond Headlines
Beyond Headlines Published December 8, 2014
Share
7 Min Read
SHARE

INDRESH MAIKHURI for BeyondHeadlines

पिछले महीने छत्तीसगढ़ में एक नसबंदी शिविर में 15 महिलाओं की मृत्यु की ख़बर अभी ठंडी भी नहीं पड़ी थी कि ओडिशा में नसबंदी कैम्प में महिलाओं के पेट फुलाने के लिए साईकिल में हवा भरने के पम्प के इस्तेमाल का नया मामला सामने आ गया.

इन दोनों मामलों से स्पष्ट कि भारत के ग़रीब अभी भी औपनिवेशिक सनक के शिकार हो रहे हैं. हमारी गरीब आबादी, पश्चिमी देशों की सनकी अवधारणाओं के प्रयोग के लिए गिनी पिग के तौर पर उपयोग में लायी जा रही है.

जो लोग तथ्यों से वाकिफ नहीं होंगे, उन्हें यह पढ़ने-सुनने में अजीब लगेगा कि छत्तीसगढ़ में महिलाओं के नसबंदी शिविर में मरने या ओडिशा में साईकिल में हवा भरने के पम्प के इस्तेमाल से विदेशियों का क्या लेना-देना?

अजीब तो यह भी है कि नसबंदी के शिविर लगाए जाएं. आखिर जनसंख्या कोई रोग तो है नहीं कि उसके उपचार के लिए कोई महाभियान चलाना पड़े. हमारे देश में तो बाकायदा एक मंत्रालय है, जो मानव को संसाधन घोषित करता है. (हालांकि यह भी विचित्र ही बात है कि आदमी को आदमी ना समझ कर संसाधन समझा जाए). पर फिर भी अगर मानव संसाधन है तो उसको पैदा होने से रोकने के लिए जबरन नसबंदी के हत्यारे शिविरों की आवश्यकता क्यूं है?

हमारे देश में चलने वाले तमाम कार्यक्रमों की तरह ही इस तथाकथित परिवार नियोजन के कार्यक्रम के प्रायोजक भी विदेश में बैठे हैं. अमीर मुल्कों का यह फलसफा है कि जलवायु परिवर्तन और कार्बन उत्सर्जन के लिए पिछड़े देशों की गरीब आबादी की बहुसंख्या जिम्मेदार है. इसलिए वे चाहते हैं कि हर हाल में इस जनसंख्या पर नियंत्रण किया जाए. जबकि तथ्य यह है कि विकसित देश जिनमें दुनिया की 20 प्रतिशत आबादी रहती है, वे वायुमंडल में 80 प्रतिशत से अधिक कार्बन डाई ऑक्साइड का उत्सर्जन करते हैं.

बहरहाल, दुनिया के अमीर देश, गरीब मुल्कों के जनसंख्या नियंत्रण के कार्यक्रमों के लिए भारी धनराशी खर्च कर रहे हैं. ब्रिटेन के डिपार्टमेंट फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट ने भारत को इस जनसंख्या नियंत्रण कार्यक्रम के लिए 162 मिलियन पाउंड की सहायता दी हुई है. इसके साथ ही ऐसी दवाओं और उपकरणों का भी प्रयोग भारत और तमाम गरीब मुल्कों में किया जा रहा है, जिनका प्रयोग विकसित देशों में प्रतिबंधित है.

परोपकार के लिए सुर्खियां बटोरने वाले दुनिया के सर्वाधिक धनी व्यक्तियों में से एक बिल गेट्स की संस्था- बिल गेट्स एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन की भी इस मामले में विवादस्पद भूमिका है.

औपनिवेशिक प्रभुओं ने आदेश और धन दिया तो भारत में सरकारें लगी अंधाधुंध नसबंदी करवाने… उसके लिए तमाम तरह के प्रलोभन भी लोगों को दिए जाते हैं. इन प्रलोभनों में रुपये से लेकर सरकारों द्वारा लॉटरी में कार, फ्रिज आदि जीतने के प्रलोभन तक शामिल हैं.

पिछले वर्ष मध्य प्रदेश में नसबंदी के लिए 500 मरीज़ लाने वाले को नैनो कार, 50 मरीज़ लाने वाले को फ्रिज और 25 मरीज़ लाने वाले को 10 ग्राम सोने के सिक्के देने की घोषणा की गयी.

डाक्टर, अनेस्थिसिया देने वाले से लेकर नसबंदी करवाने वाले तक सब के लिए धनराशी निर्धारित है. यह सरकारी और विदेशी पैसे का लालच है जो गरीब महिलाओं का जीवन संकट में डाल कर भी उनकी नसबंदी की जा रही है.

जिस डाक्टर के हाथों छत्तीसगढ़ में 15 महिलाएं मारी गयी, उसने उसने 5 घंटे में 83 ऑपरेशन किये, उसने डींग हांकी कि वह एक दिन में सौ से अधिक ऑपरेशन भी करता रहा है. छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार ने उसे एक लाख नसबंदी करने के लिए गणतंत्र दिवस पर सम्मानित किया. उच्चतम न्यायालय का निर्देश है कि एक दिन में एक डॉक्टर 10 से अधिक नसबंदी के ऑपरेशन नहीं करेगा. क्या उच्चतम न्यायालय के निर्देश के पालन करते हुए कोई डॉक्टर एक लाख ऑपरेशनों जैसा रिकॉर्ड बना सकता है? कोई सरकार नियम-कायदों का उल्लंघन करने वाले का सम्मान करे, क्या यह विचित्र नहीं है?

छत्तीसगढ़ में नसबंदी करने के दौरान महिलाओं के मरने का मामला मामला नहीं है. अंग्रेजी दैनिक टाइम्स ऑफ इंडिया लिखता है कि लोकसभा में दिए गए एक आंकड़े के अनुसार 2009 से 2012 के बीच 707 महिलाएं नसबंदी ऑपरेशनों के दौरान मारी गयी यानी औसतन एक साल में 176 महिलाएं और प्रतिमाह 15 महिलाएं नसबंदी के दौरान प्राण गंवा बैठी.

गरीब महिलाओं के प्राणों का कितना मूल्य सरकारों और तथाकथित परिवार नियोजनकर्ताओं की नज़र में इसका अंदाजा इस बात से भी लगा सकते हैं कि छत्तीसगढ़ में ऑपरेशन के दौरान चूहे मारने की दवाई इस्तेमाल की गयी और ऑपरेशन करवाने वाली कतिपय आदिवासी महिलाओं को तो पांच अंडे और आधा किलो दाल देकर चलता कर दिया गया.

निश्चित रूप में महिलाओं को बच्चा पैदा करने की मशीन नहीं बनाया जाना चाहिए. लेकिन उन्हें विदेशी पैसे से चलने वाले इन दुर्दांत नसबंदी कैम्पों का शिकार भी तो नहीं बनने दिया जाना चाहिए. वे बच्चे पैदा करेंगी, नहीं करेंगी, कितने करेंगी, इसका फैसला विदेशी फंडिंग एजेंसी, सरकार और पुरुष करने वाले कौन होते हैं? यह फैसला लेना पूरी तरह से महिलाओं के अख्तियार में होना चाहिए.

ऑस्ट्रेलिया में हमारे घुमंतू प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी ने भारत माता की 250 भुजाओं वाला एकालाप फिर दोहराया. लेकिन गरीब महिलाओं का माता होना और न होने का निर्णय (और उनके प्राण भी) विदेशी फंडिंग एजेंसियों के हाथ चला गया है, इस पर मोदी साहब की जुबान खामोश है. देश में अपनी पार्टी की सरकार के राज में हो रही मौतें उनकी उत्सवी विदेश यात्रा में कोई खलल नहीं डालती.

भाषणबाज प्रधानमंत्री के मुंह से इस गंभीर मसले पर एक बोल नहीं फूटे और कोई ट्वीट भी सुनाई नहीं दिया. देशभक्ति का विज्ञापन और औपनिवेशिक प्रभुओं की फरमाबरदारी, क्या गजब कम्बीनेशन है!

TAGGED:nasbandiनसबंदी
Share This Article
Facebook Copy Link Print
What do you think?
Love0
Sad0
Happy0
Sleepy0
Angry0
Dead0
Wink0
“Gen Z Muslims, Rise Up! Save Waqf from Exploitation & Mismanagement”
India Waqf Facts Young Indian
Waqf at Risk: Why the Better-Off Must Step Up to Stop the Loot of an Invaluable and Sacred Legacy
India Waqf Facts
“PM Modi Pursuing Economic Genocide of Indian Muslims with Waqf (Amendment) Act”
India Waqf Facts
Waqf Under Siege: “Our Leaders Failed Us—Now It’s Time for the Youth to Rise”
India Waqf Facts

You Might Also Like

IndiaLeadबियॉंडहेडलाइन्स हिन्दी

क्या आज एएमयू अपने संस्थापक के नज़रिए से विपरीत दिशा में खड़ा है?

November 5, 2024
LeadWorldबियॉंडहेडलाइन्स हिन्दी

इसराइल की सेना आधुनिक काल का फ़िरौन है: एर्दोआन

May 8, 2024
ExclusiveWorldबियॉंडहेडलाइन्स हिन्दी

तुर्किये भूकंप: मैंने ऐसा मंज़र ज़िन्दगी में कभी नहीं देखा…

June 7, 2025
Worldबियॉंडहेडलाइन्स हिन्दी

फ़िलिस्तीन के समर्थन में अमेरिकी उप राष्ट्रपति कमला हैरिस के ख़िलाफ़ मिशिगन यूनिवर्सिटी के छात्रों का विरोध-प्रदर्शन

January 16, 2023
Copyright © 2025
  • Campaign
  • Entertainment
  • Events
  • Literature
  • Mango Man
  • Privacy Policy
Welcome Back!

Sign in to your account

Lost your password?