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बिन्दुखत्ता के किसान आन्दोलन की ख़बर, जिसे मीडिया ने आप तक नहीं पहुंचाया

Indresh Maikhuri for BeyondHeadlines

पिछले दिनों उत्तराखंड के बिन्दुखत्ता को राजस्व गाँव की मांग तथा नगरपालिका बनाने के उत्तराखंड  सरकार के निर्णय के खिलाफ हजारों की तादाद में लोग अखिल भारतीय किसान महासभा द्वारा आहूत महापंचायत में शामिल हुए. यह अलग बात है कि हमारी मीडिया ने इस ओर ध्यान नहीं दिया. शायद उनके लिए यह खबर नहीं थी, या इसके लिए उन्हें पैसे नहीं मिले थे.

खैर, बिन्दुखत्ता उत्तराखंड में नैनीताल जिले की लालकुँआ तहसील के अंतर्गत वन भूमि पर बसी लगभग 25 हजार की बसासत है. बिन्दुखत्ता को राजस्व गाँव बनाये जाने की मांग को लेकर यहाँ के वाशिंदे 70 के दशक से भाकपा (माले) और उसके जनसंगठनों के नेतृत्व में लगातार संघर्ष करते रहे हैं.

लम्बे अरसे तक भाकपा (माले) के अलावा कोई अन्य राजनीतिक पार्टी बिन्दुखत्ता को राजस्व गाँव बनाने की मांग को स्वीकार नहीं करती थी. लेकिन अब बिन्दुखत्ता को राजस्व गाँव बनाने की मांग तकरीबन सभी राजनीतिक पार्टियों के चुनावी घोषणापत्र का हिस्सा बन चुकी है. इसके बावजूद इस लोकप्रिय मांग को दरकिनार कर वन भूमि को नगरपालिका बनाने के सरकारी निर्णय के लिए जनता का आक्रोश लालकुँआ की सड़कों पर साफ़ नजर आया. यह भी ज्ञात हुआ है कि नौकरशाही ने भी बिन्दुखत्ता बनाने के निर्णय की खिलाफत की थी और इसमें आने वाले कानूनी अड़चनों की ओर भी सरकार का ध्यान खींचा.

लेकिन मुख्यमंत्री हरीश रावत ने नौकरशाही की राय को दरकिनार कर बिन्दुखत्ता को नगरपालिका बनाने का निर्णय लिया है. इस सम्बन्ध में अधिसूचना प्रकाशित होते ही विरोध प्रदर्शन कर अखिल भारतीय महासभा ने 16 दिसम्बर 2014 को नगरपालिका बनाए जाने के निर्णय के विरोध में हज़ारों हस्ताक्षर वाला ज्ञापन सरकार को भेजा.

अखिल भारतीय किसान महासभा ने पूरे बिन्दुखत्ता में राजस्व गाँव घोषित किये जाने और नगरपालिका की अधिसूचना रद्द करने की मांग को लेकर पंचायतें आयोजित की. महीने भर से अधिक अवधि तक निरंतर नगरपालिका बनाये जाने के दुष्प्रभावों के प्रति लोगों को जागरूक करते हुए और किसान महासभा की इलाकावार कमेटियां बनाते हुए 16 किसान पंचायतें आयोजित की गई. इन पंचायतों में भी जनता की व्यापक भागीदारी हुई.

28 जनवरी 2015 को आयोजित महापंचायत लालकुँआ क्षेत्र में अब तक हुई सबसे बड़ी राजनीतिक गोलबंदी बताई जा रही है. बिन्दुखत्ता के शहीद स्थल पर हुई महापंचायत के बाद जब महिला-पुरुषों के जुलूस लालकुँआ तहसील की ओर बढ़ा तो पूरा लालकुँआ बाज़ार लाल झंडों, बैनरों से पट गया. जुलुस के लालकुँआ की सड़कों पर से गुजरने के डेढ़ घंटे बाद पुलिस यातायात को सामन्य कर सकी. जुलूस लालकुँआ तहसील पहुंचा तो वहां तिल रखने की जगह नहीं बची और बड़ी संख्या में जुलूस में शामिल लोगों को तहसील से मुख्य सड़क तक जाने वाली गली और सड़क में खड़ा रहना पड़ा.

महापंचायत को संबोधित करते हुए अखिल भारतीय किसान महासभा के प्रदेश अध्यक्ष कामरेड पुरुषोत्तम शर्मा ने आरोप लगाया कि अपने चंद कार्यकर्ताओं और भूमाफिया को फ़ायदा पहुंचाने के लिए स्थानीय विधायक व काबीना मंत्री हरीश दुर्गापाल ने जन भावना के खिलाफ बिन्दुखत्ता को नगर पालिका बनाने का षड़यंत्र रचा है.

उन्होने कहा कि काबीना मंत्री को इस बात का जवाब देना होगा कि जिस बिन्दुखत्ता की वन भूमि सेंचुरी पेपर मिल, स्लीपर फैक्ट्री, दवाई फ़ार्म, स्टोन क्रेशरों, आईटीबीपी और इन्डियन आयल को हस्तांतरित की जा सकती है, उसी भूमि को बिन्दुखत्ता के ग़रीबों को हस्तांतरित क्यों नहीं किया जा सकता है?

उन्होंने कहा कि आज भी राज्य में विद्युत कंपनियों और अन्य कार्यों के लिए हजारों एकड़ वन भूमि का हस्तांतरण हो रहा है फिर बिन्दुखत्ता की जमीन पर ही यह अड़चन क्यों है? कामरेड शर्मा ने कहा कि आज बिन्दुखत्ता की 98 प्रतिशत आबादी खेती और पशुपालन से अपनी आजीविका चला रही है. बिन्दुखत्ता की जनता की एक ही मांग है कि उन्हें ज़मीन का मालिकाना हक़ मिले.

किसान नेता ने कहा कि काबीना मंत्री और कांग्रेस कार्यकर्ता यह नहीं बता रहे हैं कि नगर पालिका बनने से बिन्दुखत्ता का कौन सा नया विकास होगा जबकि सड़क, बिजली, शिक्षा, स्वास्थ्य सहित सभी बुनियादी नागरिक सुविधाएं अपने आन्दोलनों के बल पर बिन्दुखत्ता की जनता ने प्राप्त कर ली हैं.

उन्होंने कहा कि नगर पालिका बनाने से यहाँ के लोगों की खेती व पशुपालन पर आधारित आजीविका पर खतरा पैदा हो जाएगा और इस ज़मीन को अपने नाम कराना यहाँ के गरीबों की ताक़त से बाहर की बात होगी. ऐसे में भूमाफिया कौड़ियों के भाव इस जमीन को हड़प लेगा. उन्होंने कहा कि किसी भी हालात में बिन्दुखत्ता को नगर पालिका नहीं बनाने दिया जाएगा.

किसान पंचायत को संबोधित करते हुए भाकपा (माले) के राज्य सचिव कामरेड राजेन्द्र प्रथोली ने कहा कि बिन्दुखत्ता की जनता का इतिहास है कि उसने सत्ता के हर हमले को जन आन्दोलन की ताक़त से विफल किया है. उन्होंने कहा कि आज पूरे देश में विकास के नाम पर किसानों की ज़मीन छीनने का अभियान चलाया जा रहा है. इस सवाल पर केंद्र व राज्य सरकारों का रवैया एक सामान है. पूरे देश में किसान अपनी ज़मीन व आजीविका बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं. बिन्दुखत्ता में भी आज नगर पालिका के नाम पर जो नया हमला हुआ है इसे भी जन प्रतिरोध कर विफल करना है.

किसान नेता बहादुर सिंह जंगी ने  कहा कि स्थानीय विधायक हरीश दुर्गापाल ने राजस्व गाँव बनाने का वायदा जनता से किया था पर जीतने के बाद एक बार भी इस मुद्दे को नहीं उठाया. उन्होंने कहा कि नगर पालिका बनने के बाद भूमि हस्तांतरण होने से सारी ज़मीन नजूल हो जाएगी जिसके सर्किल रेट के हिसाब से ज़मीन का शुल्क अदा करना यहाँ के ग़रीबों के बस की बात नहीं है. ऐसे में ये गरीब अपनी ज़मीनें भू माफिया को बेचने पर मजबूर होंगे.

किसान पंचायत को भाकपा (माले) के नैनीताल जिला सचिव कैलाश पाण्डेय ने कहा कि महा पंचायत में पहुंची किसानों की भीड़ इस बात का ऐलान है कि जनता ने सरकार के नगर पालिका के निर्णय को खारिज कर दिया है.

चमोली गढ़वाल से आये किसान महासभा नेता अतुल सती, किसान महासभा के बिन्दुखत्ता अध्यक्ष भुवन जोशी, एक्टू के प्रदेश महामंत्री के. के. बोरा, आनंद सिंह सिजवाली, विमला रौथाण, लक्ष्मन सुयाल, शंकर जोशी, किशन बघरी, दौलत नाथ गोश्वामी, छविराम, शंकर सिंह चुफाल, राजेन्द्र शाह, महिला समूह बिन्दुखेड़ा की अध्यक्ष बसंती देवी आदि ने भी किसान महापंचायत को संबोधित किया. जन संस्कृति मंच के राष्ट्रीय पार्षद मदन मोहन चमोली ने गढवाली में “ ऐ लोगो लम्बी लड़ै छा ” गाकर लोगों में जोश भर दिया.

 

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